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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
मीठा-मीठा सा नशा छाने लगा था। शराब का तीसरा पैग पीते हुए नाज़िया कुछ मचलते हुए अंदाज़ में बोली, शब्बो! एक बात बता! जब रास्ते में उस हि़ऩ्दू लड़के ने गाली दी तो तुझे कैसा लगा?” मैंने कहा हट बे-हया! बड़ी शोख हो गयी है तू! इतना सुनते ही वो बोली, मैं सब जानती हूँ। तेरे जज़्बात मैं वहीं समझ गयी थी! फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर कहा,  जल्दी से पी और चल ऊपर चल शब्बो जान! हमने अपने गिलास खाली किये और फिर वो मुझे ऊपर ले गयी और ऊपर ले जाकर उसने पीछे वाली खिड़की खोली। हाय अल्लाह ये क्या?  नीचे तो एक दंगल जिमखाना था जहाँ कुछ चार लोग वरज़िश कर रहे थे। नंगे वरज़िशी पहलवान जिस्मों पर छोटी सी लंगोटी! मैंने नाज़िया को शर्मीले अंदाज़ में कहा,  ऊफ़्फ़ तौबा! ये क्या दिखा रही है कमबख्त?” नाज़िया ने शरारत से कहा, तो फिर ये तेरी बिल्ली जैसी भूरी आँखों में चमक क्यों आ गयी शब्बो... इन नंगे हि़न्दु मर्दों के जिस्म देख कर?”
 
इतने में वरज़िश करते हुए एक पहलवान ने ऊपर देखते हुए इशारे से नाज़िया से पूछा कि ये कौन है?”  नाज़िया ने थोड़ा चिल्ला कर कहा, मुस्लि़म चूत! और हंस पड़ी। मुझे भी उसकी इस शरारत से हंसी आ गयी। शराब का नशा अब पहले से तेज़ होने लगा था। मैंने नाज़िया को देखते हुए हंस कर कहा, तू ना जितनी शर्मीली थी कॉलेज में उतनी बे-हया हो गयी है! क्या करूँ? अगर शौहर मेरे शौहर जैसा हो तो बे-हया होना लाज़मी है! नाज़िया ने मेरी तरफ आँख मारते हुए कहा और सीने से ओढ़नी हटा कर अपनी मुस्लि़मा चूचियों को उभार कर बोली,  “वो मेरा हि़न्दू चोदू है शब्बो! और इशारे से एक चुम्मा उसकी तरफ़ किया। मुझे बहुत खुशी हुई कि मेरी सहेली भी मेरी तरह ह़िंदू अनकटे लंड की दिवानी है और उसके ह़िंदू मर्द से नाजायज़ ताल्लुकात हैं। मैंने फिर खिड़की से देखा तो उफ़्फ़ अल्लाह ये क्या... उस ह़िंदू पहलवान मर्द ने अपनी लंगोटी से अपना ह़िंदू त्रिशूल निकाला हुआ था और उसने जान कर उसे खड़ा नहीं किया था। एक लम्बा सा मोटा ह़िंदू लंड नीचे लटका हुआ था। मेरी मुस्लि़म हिजाबी आँखें उसके ह़िंदू नंगे अनकटे लंड को हवस से देख रही थीं। नाप में बिल्कुल बलराम के लंड की तरह था लेकिन थोड़ा सांवला था।
 
अब नाज़िया ने उसको इशारे से कहा कि अपना ह़िंदू लंड खड़ा करे। वो मुस्कुराया और फिर नाज़िया को अपनी मुस्लि़म चूची बाहर निकालने का इशारा किया। नाज़िया ने अपनी गहरे गले की कमीज़ में हाथ डाला और अपना गोरा बड़ा मुस्लि़म मम्मा बाहर निकाला और फिर नाज़िया ने शरारत से उसे सलाम किया। वो भी बड़ा बदमाश था उसने सलाम करते हुए अपने ह़िंदू लंड की तरफ़ इशारा किया कि इसको सलाम कर! उसने अपने ह़िंदू लंड को काबू में रखा था और उसे उठने नहीं दिया और फिर इशारे से नाज़िया को नीचे दंगल में आने को कहा।
 
मैंने नाज़िया की तरफ़ देखा तो उसने आँख मारते हुए कहा, चल असलम कटवे की मुस्लि़मा बीवी! आज तुझे अपने हि़ऩ्दू यार के लंड के नज़ारे दिखाती हूँ ! मैंने भी नाज़िया का मुस्लि़म चूतड़ दबाया और कहा,  “अभी जो आया था ना वो तेरा कटवा शौहर... वो तो तेरी हसीन मुस्लि़म चूत देखने के भी काबिल नहीं है नाज़ू! हम दोनों हंसते हुए नीचे हॉल में गये और जल्दी से एक-एक पैग और खींचा। फिर हम अपने-अपने सैंडल के अलावा सारे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगी हो गयीं। नाज़िया ने मेरी नंगी मुस्लि़म चूचियों को दबाया और बोली, माशा अल्लाह शबाना इज़्ज़त शरीफ रंडी जी! हि़न्दु मर्दों के लिये कैसे खुशी से तेरी मुस्लि़मा चूचियाँ कैसे सख्त हो गयी हैं। फिर हमने अपना अपना बुऱका पहना। सिर्फ बुऱका और ऊँची-ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल पहने फिर हम दोनों पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल कर ह़िंदू दंगल के मैदान में दाखिल हो गयीं। नशे की खुमारी में हम दोनों के कदम ज़रा से डगमगा रहे थे।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-02-2024, 04:56 AM



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