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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
फिर एक महीने बाद मेरे शौहर किसी काम से एक हफ्ते के लिए दफ्तर के काम से बाहर गये। मैं भी दोपहर में मदरसे से लौटते हुए बुऱका पहने अपनी प्यासी मुस्लि़म चूत लेकर शॉपिंग के लिये बाज़ार गयी। अभी मैं मदरसे से निकल कर चलते हुए बीस मिनट का रास्ता ही तय कर पायी थी कि सामने से एक औरत बुऱका पहने मेरी ही तरह ऊँची हील की सैंडल में शोख अंदाज़ में आ रही थी। उसने भी चेहरे से नकाब हटा रखा था। जब वो पास आयी तो मैंने पहचाना के ये तो नाज़िया है। हाय अल्लाह! नाज़िया तू!”  मैंने खुशी से कहा। तू शबाना... शब्बो तू?” नाज़िया भी हंसते हुए मुझसे लिपट गयी। हम दोनों खुशी से गले मिले और बातें करने लगे कि अचानक एक बाइक तेज़ी से आयी। हम लोग जल्दी से एक तरफ़ हट गये और उस लड़के ने जल्दी से अपनी बाइक दूसरी तरफ़ मोड़ ली और गुस्से से जाते-जाते बोला,रंडियाँ साली! देख कर चलो सालियों! और कहता हुआ चला गया। उसकी गालियाँ सुनकर मुझे रमेश और बलराम की याद आ गयी और जिस्म में एक सनसनी फैल गयी। अपने जज़्बात छिपाने के लिये मैंने नज़रें झुका लीं। फिर नाज़िया की तरफ़ देखा तो उसने शरारत भरे अंदाज़ में कहा, लगता है ये हज़रत * लंड वाले हैं! और कहकर ज़ोर से हंसते हुए बोली, चल छोड़ ना शब्बो! बता कि यहाँ कैसे आयी?” मुझे हैरत हुई कि नाज़िया जो कॉलेज की सबसे अव्वल दर्जे की तालिबा थी, उसके मुँह से * लंड सुनकर मेरी आँखें खुली रह गयीं। मैंने कहा, बेहया कहीं की! चुप कर!
 
फिर वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने घर ले गयी। फिर हम दोनों ने अपने बुऱके उतारे। जैसे ही नाज़िया ने अपना बुऱका उतारा तो मेरे मुँह से निकला, सुभान अल्लाह नाज़िया! उसका जिस्म बहुत गदराया हुआ था। गहरे गले की कसी हुई कमीज़ से उसके मुस्लि़मा मम्मे उभरे हुए नज़र आ रहे थे और उसके गोल-गोल चूतड़ भी ऊँची हील के सैंडल की वजह से उभरे हुए थे। उसने मेरी चूचियों को देखते हुए कहा,सुभान अल्लाह क्या? खुद को देख माशा अल्लाह है माशा अल्लाह! इतने में किसी ने दरवाजा खटखटाया। नाज़िया ने दरवाजा खोला और एक शख्स कुर्ता पजामा पहने अंदर आया। ये कौन मोहतरमा हैं?” वो बोला तो नाज़िया ने कहा, जी आपकी साली समझें! ये मेरी कॉलेज की सहेली है शबाना इज़्ज़त शरीफ! वो अंदर चला गया और नाज़िया ने शरारत से कहा, ये दाढ़ी वाला बंदर ही मिला था मुझे शादी करने के लिये! मैंने नाज़िया की बाजू पर मारते हुए कहा,  चुप कर! फिर थोड़ी देर बाद नाज़िया का शौहर बाहर निकल कर जाने लगा और बोला,  “आज काम है... शायद लौटते वक्त देर हो जायेगी! और कहते हुए चला गया।
 
नाज़िया ने मुझे बिठया और पूछा,  “बता क्या पियेगी?” कुछ भी चलेगा! मैंने कहा तो वो चहकते हुए बोली, कुछ भी?” मैंने कहा,हाँ कुछ भी जो तेरा मन हो! फिर वो थोड़ा हिचकते हुए बोली,यार मेरा मन तो एकाध पैग लगाने का हो रहा है... तू... पता नहीं...  पीती है कि नहीं! मैं तो उसकी बात सुनकर खुश हो गयी और बोली,  क्यों नहीं! इसमें इतना हिचक क्यों रही है... ज़रूर पियुँगी! अपनी सहेली के साथ शराब पीने में तो मज़ा अ जायेगा!
 
फिर हम दोनों ने अगले आधे घंटे में दो-दो पैग खींच दिये और यहाँ वहाँ की आम बातें की जैसे तेरा सलवार सूट बहुत खूबसूरत है कहाँ से लिया...! कौन सी फिल्म देखी वगैरह-वगैरह! इस दौरान उसकी बातों से मुझे एहसास हुआ कि वो भी अपने शौहर से खुश नहीं है। उसके शौहर की भी सरकारी नौकरी है और मेरे शौहर असलम की तरह ही उसे भी अपनी हसीन बीवी की कोई कद्र नहीं है। मैंने भी अपने शौहर के बारे में इशारे से बताया लेकिन * मर्दों से अपने नाजायज़ ताल्लुकात का बिल्कुल ज़िक्र नहीं किया। एक बार उसने मेरे सैंडलों की तारीफ करते हुए पूछा कि कहाँ से लिये तो मेरे मुँह से निकलते-निकलते रह गया कि ये तो मेरे आशिक ने तोहफे में दिये हैं। मैंने उस दिन भी बलराम से मिले पचासियों जोड़ी सैंडलों में से एक जोड़ी पहन रखे थे।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-02-2024, 04:55 AM



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