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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
फिर उसने बैठ कर अपना * लंड मेरे चेहरे के सामने ला कर मेरे होंठों पर रख दिया। मैंने शरारत से उसकी आँखों में देखते हुए अपने होंठ खोल कर उसका अनकटा लंड जो कि मेरी चूत और उसके खुद के पानी से सना हुआ था,  अपने मुँह में ले लिया। उसके मर्दाना * लंड में अभी भी काफी सख्ती बरकरार थी। मुझे अपनी चूत और उसके लण्ड के पानी का मिलाजुला स्वाद बहुत ही लज़ीज़ लग रहा था। मेरे चूसने से उसका लण्ड फिर फूलने लगा और उसने झटके मारते हुए मेरा मुँह चोदना शुरू कर दिया।
 
अचानक उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाला। उसका * अज़ीम लंड फिर से पूरा सख्त हो कर फूल गया था। चल साली मुसल्ली राँड! घोड़ी बन जा! अब तेरी मुस्लि़मा नवाबी गाँड की धज्जियाँ उड़ाउँगा! उसने कहा। रमेश अक्सर अपने आठ इंच लंबे मोटे लंड से मेरी नवाबी गाँड मारता था और मुझे भी बेहद मज़ा आता था लेकिन बलराम का लंड तो उससे कहीं ज्यादा लम्बा मोटा था। इसलिये मुझे थोड़ी हिचकिचाहट तो हुई लेकिन इतना अज़ीम अनकटा लण्ड अपनी गाँड में लेने के ख्याल से सनसनी भी महसुस होने लगी। मैंने बलराम को देखते हुए कहा,  नहीं! नहीं! तुम्हारा ये गदाधारी लण्ड-ए-अज़ीम तो मेरी गाँड फाड़ डालेगा! लेकिन मेरी आवाज़ मुस्तकिल नहीं थी और मेरी आँखों और चेहरे के जज़्बातों से भी बलराम समझ गया कि मैं सिर्फ नखरा कर रही हूँ।
 
मुझे पता है मुसल्ली राँड! तेरी मोटी गाँड में भी बहुत खुजली है! एक बार मेरा लंड अपनी छिनाल मुस्लि़मा नवाबी गाँड में ले लेगी तो हर रोज़ गाँड मरवाने के लिये भीख माँगेगी! वो बोला और मुझे बिस्तर से उठाकर ज़मीन पर खड़ा किया और मुझे बिस्तर पर झुकने को कहा। चल मुसल्ली छिनाल! खड़ी-खड़ी ही बिस्तर पर हाथ रख कर झुक जा! जैसे ही मैं बिस्तर पर झुकी,  बलराम ने मेरे चूतड़ों पर दो-तीन थप्पड़ मारे और फिर मेरी गाँड के छेद पर अपने लंड का गदा जैसा सुपाड़ा टिका दिया और फिर धीरे-धीरे मेरी गाँड में घुसेड़ने लगा।
 
आआईईईईऽऽऽ! अल्लाहऽऽऽऽ मर गयी!!! मैं दर्द बर्दाश्त करते हुए चिल्लायी। उसने बिना तवज्जो दिये मेरी गाँड में अपना खंबे जैसा * मर्दाना लंड घुसेड़ना ज़ारी रखा। हायऽऽ अल्लाहऽऽऽ! नहींऽऽऽ अल्लाह! मेरी आवाज़ दर्द और वासना दोनों मौजूद थीं।  दर्द भी इस कदर था कि मैं खुद को छटपटाने से रोक नहीं पा रही थी और तड़प कर ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ हिलाने लगी। बलराम ने फिर मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारे और फिर झुक कर मेरे छटपटाते जिस्म को अपनी मजबूत बाँह में कस कर पकड़ लिया और अपना बाकी का * ना-कटा लंड मेरी गाँड में ढकेलने लगा।
 
धीरे-धीरे मेरा दर्द काफूर होने लगा और मुझे और मज़ा आने लगा। मेरी गाँड बलराम के * लण्ड पर चिपक कर कस गयी और मैं उसके नीचे दबी हुई उसका लंड अपनी गाँड में और अंदर लेने की कोशिश में अपने चूतड़ उछालने लगी। कुछ ही लम्हों में उसका तमाम लण्ड मेरी गाँड में दाखिल हो गया। अब बलराम ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा और उसके मर्दाना पुट्ठे मेरे चूतड़ों पर टकराने लगे। चोदो मेरे * राजा! मेरी मुस्लि़मा नवाबी गाँड में अपना शाही लण्ड ज़ोर-ज़ोर से चोदो! मैं मस्ती में बोलते हुए अपने चूतड़ हिलाने लगी। बलराम अब इतनी ज़ोर-ज़ोर से झटके मार कर अपना लण्ड मेरी छिनाल कसी हुई नवाबी गाँड में पेल रहा था कि मैं ऊँची हील के सैंडल में अपने पैरों पर खड़ी नहीं रह सकी और अपने पैर और टाँगें ज़मीन से हवा में उठा कर बिस्तर पर पेट के बल सपाट झुक गयी। अब मेरी चूत भी नीचे से बिस्तर पर रगड़ रही थी। करीब दस मिनट तक बलराम ने मेरी गाँड अपने * अज़ीम लंड से मारी और मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ा। फिर बलराम भी मेरी कमर पर झुका और तमाम * लण्ड मेरी गाँड में ठाँस कर रुक गया और फिर मेरी गाँड अपने पानी से भर दी।
 
हम दोनों कुछ देर इसी तरह पड़े हाँफते रहे और पिर धीरे-धीरे बलराम ने अपना * अनकटा लंड मेरी मुस़लिमा गाँड में से बाहर निकाला। फिर वो खड़ा हुआ तो मैं भी पलट कर उसकी आँखों में देखते हुए मुस्कुराने लगी।
 
मैं बैठ कर अपने खुले हुए बाल बाँधने लगी तो बलराम झुक कर मेरी मुस्लि़म चूचियाँ पकड़ कर आहिस्ता से दबाने लगा। उसका लण्ड अब ढीला पड़ गया था लेकिन फिर भी छः-सात इंच का था। मेरे शौहर असलम शरीफ की लुल्ली तो सख्त होकर भी मुश्किल से तीन-चार इंच की होती थी। बलराम का * लंड अपने पानी से सना हुआ चिपचिपा रहा था। मैंने उसे पकड़ अपने मुँह में भर लिया और चूसते हुए साफ करने लगी। बलराम जी के * लंड को चूसते हुए मुझे सिर्फ लंड के पानी का ही लज़ीज़ स्वाद नहीं बल्कि अपनी गाँड का भी हल्का-हल्का सा जाना-पहचाना ज़ायका आ रहा था। इससे पहले भी कईं बार मैंने रमेश से गाँड मरवाने के बाद उसके लण्ड से ये मज़ेदार ज़ायका लिया था।
 
इतने में बलराम ने कहा, शबाना बेगम! आओ तुम्हें अपने लंड की शराब पिलता हूँ!
 
तुम मुझे अपना पेशाब पिलाये बगैर मानोगे नहीं! मैं मुस्कुराते हुए अदा से बोली। एक बार पी कर देख फिर तू खुद ही पेशाब पिये बगैर मानेगी नहीं! उसने हंसते हुए जवाब दिया। फिर उसने मुझे बिस्तर से उतार कर नीचे ज़मीन पर बैठने को कहा तो मैं उसकी टाँगों के बीच में घुटने मोड़ कर बैठ गयी। अब तो मैं भी उसका पेशाब चखने के लिये मुतजस्सिस थी और गर्दन उठा कर मैं बलराम की आँखों में झाँकते हुए अदा से अपने होंठों पर जीभ फिराने लगी और बोली,अब जल्दी से पिला दो अपने लण्ड की शराब! मैं भी देखूँ कितना नशा है इसमें!
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-02-2024, 04:50 AM



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