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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
साली पियक्कड़ मुसल्ली राँड! नशे में ज्यादा शायराना हो रही है! बाद में तुझे लंड की कुदरती शराब पिलाउँगा आज! वो मेरे निप्पल अपने दाँतों से कुतरते हुए धीरे से बोला। मैं उसका इशारा कुछ-कुछ समझ गयी थी लेकिन शक दूर करने के लिये पूछा, तुम्हारा मतलब पे-पेशाब?”  वो बोला,  हाँ साली कुत्तिया! फिर मेरे हाथ से शराब की बोतल ले कर रख दी। बहुत बड़े अव्वल दर्जे के पाजी हो तुम! अब क्या पेशाब पिलाओगे मुझे! मैंने शरारती अंदाज़ में गुस्सा दिखाते हुए कहा! एक बार चख लेगी तो रोज़-रोज़ पियेगी। तेरे जैसी चुदक्कड़ी मुस्लि़म राँडें बहुत शौक से पिती हैं! वो बोला।
 
फिर इशारे से मुझे बाहर चलने को कहा। मैं झूमती हुई बाहर जाने लगी थी कि उसने पीछे मेरे चूतड़ों को पकड़ कर बेदर्दी से भींच दिया। मैंने पलट कर इशारे से पूछा, क्या हुआ?” तो कान के पास आकर बलराम ने कहा, साली शबाना राँड मुल्लनी! तेरी चूत का भोंसड़ा साली! कटेले की पियक्कड़ बीवी! हाथ में लौड़ा पकड़ और फिर बाहर चल हिजाबी कुत्तिया। * बलराम का अनकटा बड़ा लंड पकड़ कर मैं नंगी नशे में झूमती डगमगाती कमरे से बाहर आ गयी। बाहर आते ही बलराम ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और बाहर से कुँडी लगा दी। मेरा नशा और परवान चढ़ने लगा था और मुझे झूमते देख बलराम मुझे सहारा दे कर बाहर दूसरे बेडरूम में ले जाने लगा! मैं भी हिन्दू बलराम के सहारे डगमगा कर चलती हुई उसके * लंड को लगातार पकड़े हुई थी और दबा रही थी।
 
दूसरे बेडरूम में पहुँचते ही उसने ज़ोर से मेरी चूची दबायी और बोला,साली हिजाबी रंडी! तेरी रंडी चूत का चाँद आज मैं ईद के दिन * हलब्बी लंड से चोदुँगा! फिर मुझे गोद में उठा कर बेड पर फेंक दिया और मेरी दोनों टाँगें फैला कर खोल दीं। मेरी मुस्लि़म चूत का दरवाजा उसके कड़क * लंड के लिये बेकरारी से खुल गया। बलराम ने मेरी चूत के छेद पर अपना * लंड रखा और एक ज़ोर के झटके में तमाम गदाधारी * त्रिशूल लंड मेरी मुस्लि़मा चूत में घुसेड़ दिया। मेरी तो जान ही निकल गयी और मुँह से एक चींख निकल गयी,  “आआआईईईई मर गयीऽऽऽऽ! अल्लाऽऽह! बलराम मेरी चूत के अंदर अपना लंड दाखिल करके रुक गया। मेरी आँखें दर्द के मारे फाट गयी थी और मुँह खुला हुआ था। मैं रमेश के आठ इंच लंबे मूसल जैसे * लंड से चुदने की आदी थी लेकिन बलराम का लण्ड तो उससे भी कहीं ज्यादा अज़ीम था।
 
फिर कुछ लम्हों के बाद मेरी चूत उसके घोड़े जैसे लंबे-मोटे लंड की आदी हो गयी तो मैंने बलराम की आँखों में देखा और कहा, कटेले की मुस्लि़म बीवी की छिनाल चूत में आपके * लंड को मैं सलाम करती हूँ! उफ़्फ़ अल्लाह! मेरे * खसम! मेरे * महबूब! बलराम जानू! मेरी कुत्तिया बनी हिजाबी रंडी चूत को चोदो मेरे * दिलबर! बलराम ने मेरी मुस्लि़म चूचियाँ हाथ में पकड़ीं और मेरे मुस्लि़म होंठों पर अपने होंठ रख कर उन्हें चूसते हुए अपने * अनकटे त्रिशूल जैसे लंड को मेरी मुस्लि़मा चूत में चोदने लगा। उसका भुजंग मोटा अनकटा * लंड मेरी मुस्लि़मा चूत के होंठों को चीरते हुए अंदर बाहर हो रहा था। मैंने अपने हाथों से बलराम के चूतड़ दबाये हुए थे और मैं * बलराम के नीचे बुरी तरह चुद रही थी। बलराम ने मेरे होंठों से होंठ अलग किये और मेरी आँखों में देखा और अपना * गदा जैसा लंड आधा बाहर निकाला और बोला,साली रंडी! हरामी मुल्ले कटवे की हिजाबी बीवी! तेरी मुस्लि़म चूत का भोंसड़ा! ये कहते हुए मेरे होंठों पर फिर से होंठ रख कर ज़ोर के झटके मेरी मुस्लि़म चूत में मारने लगा।
 
मेरी दोनों टाँगें हवा में खुली हुई थीं और लाल सैंडल वाले पैरों के तलवे छत्त की तरफ थे। मेरे गोरे जिस्म पर मानो जैसे बलराम का * बदन हुकुमत कर रहा था। उसके चूतड़ मेरी मुस्लि़म चूत चोदने के वक्त कभी मेरे हाथों में उभरते तो जब कभी वो पूरा * लंड मेरी चूत में डालता तो सिकुड़ जाते। उधर शौहर असलम के खर्राटों की आवाज़ और इधर * बलराम और मेरी चूत की चुदाई की आवाज़।
 
फिर बलराम ने मेरी चूत में मुसलसिल झटके मारते हुए मुझसे कहा, अब तैयार हो जा रंडी छिनाल! तेरी मुसल्ली चूत में * लंड का पानी गिरने वाला है! मैंने भी दोनों टाँगें और ज्यादा खोल लीं और बलराम की आँखों में देखने लगी। वो मेरी आँखों में देख कर मेरी मुस्लि़मा चूत में अपने अनकटे लंड से ज़ोर-ज़ोर के झटके मारने लगा। अब बलराम का चेहरा हल्का सा लाल होने लगा और वो कुछ गुस्सैले अंदाज़ में मेरी आँखों में देखने लगा। मैंने उसकी आँखों में देखते हुए अपनी मुस्लि़मा चूत को उससे चिपकाने की कोशिश की। राँऽऽऽड मुल्लानीऽऽऽ साऽऽली कटीऽऽली छीनाऽऽल! मुल्ले की राँऽऽऽड बीवी! तेरी मुस्लि़मा चूत का मुस्लि़म भोंसड़ाऽऽऽ शबानाऽऽ मुस्लि़माऽऽ ले साऽऽली। ले अपनी छिनाल चूत में मेरा पानी! भोंसड़ी की! कहता हुआ झटकों से मेरी हिजाबी मुस़्लिमा चूत में अपना पानी डालने लगा। उफ़्फ़ उसके अनकटे लण्ड का सारा पानी मेरी मुस्लि़म चूत में था और एक आखिरी झटके के साथ वो मेरी मुस्लि़म चूचियाँ अपने सीने से दबाते हुए मेरे मुस्लि़म जिस्म पर लेट गया। फिर कुछ देर मेरी चूत में अपने अनकटे लंड को आराम देकर उसने बाहर निकाला और मेरे ऊपर ही लेटा रहा। मेरे सुर्ख गुलाबी होंठों में अपने मर्दाना होंठ रख कर चूसने लगा। मेरा पूरा गोरा पाक मुस्लि़मा जिस्म बलराम के * मर्दाना बदन के नीचे दबा हुआ था।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-02-2024, 04:50 AM



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