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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
चलो अभी तो चूत और लण्ड की ही ईद मिलनी कर लेते हैं। वो बोला और मेरी कमीज़ उतारने लगा। एक दूसरे को चूमते हुए हम दोनों नंगे हो गये। मैंने इस वक्त भी उस दुकानदार से तोहफे में मिले वो लाल सैंडल पहन हुए थे और मेरे पैरों में उसके लण्ड के पानी का गीला और चिपचिपा एहसास मौजूद था। रमेश ने मुझे वहीं ज़मीन पर लिटा दिया और मेरी चूत में अपना काला अनकटा लण्ड पेल कर दनादन चोदने लगा। करीब पंद्रह बीस मिनट तक उसने मुझे खूब चोदा और मेरी चूत ने कईं बार पानी छोड़ा। फिर उसने भी मेरी चूत को अपने लण्ड का शीर-खोरमा पिला दिया।
 
मैंने उसे जल्दी से रुखसत किया और अपने कपड़े पहन कर रसोई में काम निपटने लगी। मैंने शीर-खोरमा और खाना वैगैर बना लिया और फिर एक बार नहा कर लाल रंग का नया सलवार-कमीज़ पहन लिया और साथ में वही तोहफे में मिले लाल ऊँची हील के सैंडल पहन लिये। कुछ देर बाद असलम की आवाज़ बाहर से आने लगी। शायद किसी से बात कर रहे थे। मैं बाहर गयी और दरवाजा खोल कर देखा तो ये क्या? वो * दुकानदार मेरे शौहर असलम से बात कर रहा था।
 
दोनों हंसकर बातें कर रहे थे। मुझे समझ नहीं आया कि ये क्या माजरा है। शौहर की पीठ मेरी तरफ़ थी। मैं पीछे से जैसे ही आयी तो शौहर ने कहा,  “बेगम देखो! मैंने और बलराम ने पहले की बातों को भुला दिया है। आज ईद के दिन हमारा झगड़ा खतम! वो भी शरारती अंदाज़ में आगे बढ़ा और शौहर असलम से बोला,  “अब तो गले मिल लो असलम साहब! और गले मिलते ही उसने मुझे देख कर आँख मारी और अपना हाथ आगे बढ़ा कर मेरी मुस्लि़म चूची को नीचे से हल्के से मार कर उछाला और इशारे से उसने आँखें मटकायीं।
 
मैं समझ गयी कि जो ताना मैंने मारा था ये उसका जवाब है। उफ़्फ़ * मर्दाना! फिर उसने आँखों से ही मेरे पैरों में उसके लाये सैंडलों की तरफ इशारा किया और आँख मार दी। मैं हंसते हुए उसे देख कर अंदर चली गयी। दोनों अंदर आये और वो भी आकर बैठ गया। बेगम शबाना बलराम और हमारे लिये शीर-खोरमा लाओ भाई!” शौहर ने हुक्म सुनाया। मैंने भी ओढ़नी सर पर डाली लेकिन उभरे हुए एक मम्मे का नज़ारा खुला रहने दिया।
 
शीर-खोरमा मैंने पहले शौहर को डाल कर दिया फिर बलराम को शीर-खोरमा डालते हुए चोर नज़र वाले अंदाज़ में मैंने उसे देखा। उसने मेरी झुकी हुई चूची को देखा और अपनी ज़ुबान शरारत से बाहर निकाल दी। मैंने भी दाँतों में अपने होंठ दबाये और उसे अपना शरारती गुस्सा दिखाया। वो थोड़ा हंसा और शौहर की तरफ़ देख कर बोला, क्या असल्म साहब! आप तो शीर-खोरमा पीने में मसरूफ हो गये,  वैसे आपके यहाँ का ये दूधवाला शीर-खोरमा तो राम कसम बहुत मज़ेदार है! मैं किचन में जाकर पर्दे के पीछे से थोड़ा पर्दा हटाकर शौहर असलम के पीछे से झाँक कर बलराम को देखने लगी। हाँ जनाब! हमारे यहाँ तो ईद का शीर-खोरमा माशा अल्लाह बहुत मशहूर है! हाँ हाँ असलम साहब! बलराम ने बात मिलाते हुए कहा,सच कहा आपने! ईद के दिन मुस्लि़म घरों में ताज़े दूध को कढ़ा कर उसमें  सेंवई और उस पर लाल रंग की स्ट्राबरी सजाकर पेश करते हैं! और फिर मेरी तरफ़ देख हंस दिया। असलम ने बात काट कर कहा, अरे जनाब! वो स्ट्राबरी नहीं वो तो खजूर होता है काला वाला! बलराम ने असलम के ऊपर मन ही मन में हंसते हुए कहा, हाँ हाँ वही! फिर असलम ने कहा कि चलो खुदा ने आपको हिदायत दी के आप और हम आज ईद के दिन मिल जायें! बलराम बोला,सच कहा आपने! मैंने आज सुबह-सुबह ईद का चाँद देखा और फिर मैंने फैसला किया कि आज झगड़ा खतम और देखिये मैं आ गया आपके घर का ये मज़ेदार दूधवाला शीर-खोरमा पीने के लिये असलम साहब! मैं भी अपने ही आप दिल में हंस रही थी। वो कुछ देर बैठा और चला गया।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-02-2024, 04:48 AM



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