06-02-2024, 04:46 AM
(This post was last modified: 18-08-2024, 04:13 AM by rohitkapoor. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
रमेश अब पूरे जोश में मेरे बूब्स चूसने लगा और लगातार अपने झटके लगाने लगा। मैं भी अपनी प्यासी चूत को उसके कड़क काले लंड के हवाले करके मज़े ले रही थी। मुझे बेतहाशा चोदते हुए उसके मुँह से गालियाँ निकालने लगी, “साली शबाना रंडी! ले मेरा लंड अपनी चूत में और ले साली छिनाऽऽल!” मैं भी चुदते हुए बोल रही थी, “आह चोद मेरी चूत को अपने मोटे लंड से रमेश! फाड़ डाल मेरी चूत को चोद मेरी जान, अपनी जवानी का सारा पानी मेरी प्यासी शादीशुदा चूत में डाल दे मेरे राजाऽऽऽ...!” मेरी बातों से रमेश का ज़ोर बढ़ता जा रहा था और वो मुझे एक बाज़ारू औरत की तरह चोद रहा था। मेरी चूत अब तक कम से कम चार बार पानी छोड़ चुकी थी और हर बार मेरा जिस्म ऐंठ कर सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ा जाता।
फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के कुछ अजीब सा मेरी चूत में कुछ हुआ है। हाय खुदा। ये तो रमेश के ह़िंदू लंड का पानी था। रमेश ने अपने होंठ मेरे मम्मों से हटाये और मेरी आँखों में देखने लगा और गुस्से भरे झटके देने लगा। मैंने भी उसकी आँखों में देख कर इकरार किया कि मैं भी यही चाहती थी कि उसके लंड का पानी मेरी प्यासी मुस्ल्म चूत में हो! मेरी चूत की प्यास मानो रमेश ने अपने ह़िंदू लंड के पानी से बुझा दी। मैंने अपनी दोनों टाँगें रमेश के चूतड़ पर कसकर उसका सारा पानी अपनी प्यासी चूत में ले लिया और रमेश अपना सीना मेरे बूब्स पर दबाता हुआ मेरे जिस्म से लिपट गया। हाय अल्लाह! मैं अजीब सा महसूस कर रही थी। अब रमेश का सारा पानी निकल चुका था और वो मेरे जिस्म के ऊपर ठंडा हो गया और मैं उसके चूतड़ों पर हल्के से हाथ फेर रही थी। ज़िंदगी में पहली दफा मुझे चुदाई का असली मज़ा मिला था।
रमेश ने कहा, “अब तेरी मुस्लि़म चूत पूरी तरह से आज़ाद है शबाना इज़्ज़त शरीफ! आज मेरे लंड ने तेरी इज़्ज़तदार शादीशुदा चूत को चोद कर तुझे राँड बना दिया।” मैंने रमेश के चूतड़ों को शरारत से दबाया और कहा, “तुम्हारे लंड को मेरा सलाम मेरे ह़िंदू राजा! जिसने मेरी इज़्ज़त को अपने हि़ंदू जज़्बे से चोद कर मुझे मज़े दिये!”
अब रमेश उठा और मेरी चूत से लंड निकाला। मैंने रमेश का लंड अपने नकाब से साफ़ किया और रमेश के अनकटे काले लंड के अपने होंठों से किस किया। रमेश मेरी जिस्म को देखता हुआ कपड़े पहनने लगा और मैं भी कपड़े पहनने लगी। दोनों ने कपड़े पहने और रमेश ने मेरे बुऱके का नकाब उठाया और बोला, “ये निशानी है मेरे पास कि तूने मेरा लंड चूसा है!” और अपनी जेब में रख लिया। अचानक मुझे लगा कि मेरे शौहर ने मुझे पुकारा! मैंने जल्दी से रमेश को कहा कि “अब मुझे इजाज़त दो” और मैंने झुक कर रमेश को सलाम किया। रमेश ने मेरा सर थोड़ा सा झुका कर अपनी पैंट पर ले गया। मैंने उसकी पैंट पर से उसके लंड को किस किया और फिर रमेश ने मेरा एक बूब और चूतड़ पकड़ कर मुझे किस किया और जाते हुए बोला, “अपनी चूत का खयाल रखना!” मैंने भी अपनी कमीज़ उठा कर सलवार के ऊपर से चूत पर हाथ रखा और कहा, “तेरी अमानत है रमेश! जैसे चाहे इस्तेमाल कर मेरे ह़िंदू चुदक्कड़!” जाते-जाते रमेश ने हाथों से चुदाई का इशारा किया और मैं हंसते हुए सीढ़ियों का दरवाजा खोल कर नीचे चली गयी। मेरा शौहर असलम अभी भी नशे में धुत्त सोफे पर पड़ा खर्राटे मार रहा था।
उस दिन के बाद तो मैं रमेश के ह़िंदू अनकटे लण्ड से अक्सर चुदवाने लगी। उसकी रखैल जैसी बन गयी थी मैं। वो भी मुझे शराब पिला-पिला कर बाज़ारू राँड की तरह चोदता था। मैं उसके लण्ड की इस कदर दीवानी हो गयी थी की अपनी पाकिज़ा गाँड भी उसे सौंप दी। दिन में जब मेरा शौहर दफ़्तर में होता तो रमेश मेरे बिस्तर में मुझे चोद रहा होता था। कईं बार तो असलम घर में नशे में चूर सो रहा होता था और मैं छत्त पर पानी की टंकी के पीछे रमेश का अनकटा लण्ड चूत में ले कर मज़े लूटती। असलम को इस बात की कभी शक नहीं हुआ कि उसकी नाक के नीचे ही मैं दिन-रात एक ह़िंदू गैर-मर्द के साथ अपनी चूत और गाँड मरवा कर इज़्ज़त निलाम कर रही हूँ।
फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के कुछ अजीब सा मेरी चूत में कुछ हुआ है। हाय खुदा। ये तो रमेश के ह़िंदू लंड का पानी था। रमेश ने अपने होंठ मेरे मम्मों से हटाये और मेरी आँखों में देखने लगा और गुस्से भरे झटके देने लगा। मैंने भी उसकी आँखों में देख कर इकरार किया कि मैं भी यही चाहती थी कि उसके लंड का पानी मेरी प्यासी मुस्ल्म चूत में हो! मेरी चूत की प्यास मानो रमेश ने अपने ह़िंदू लंड के पानी से बुझा दी। मैंने अपनी दोनों टाँगें रमेश के चूतड़ पर कसकर उसका सारा पानी अपनी प्यासी चूत में ले लिया और रमेश अपना सीना मेरे बूब्स पर दबाता हुआ मेरे जिस्म से लिपट गया। हाय अल्लाह! मैं अजीब सा महसूस कर रही थी। अब रमेश का सारा पानी निकल चुका था और वो मेरे जिस्म के ऊपर ठंडा हो गया और मैं उसके चूतड़ों पर हल्के से हाथ फेर रही थी। ज़िंदगी में पहली दफा मुझे चुदाई का असली मज़ा मिला था।
रमेश ने कहा, “अब तेरी मुस्लि़म चूत पूरी तरह से आज़ाद है शबाना इज़्ज़त शरीफ! आज मेरे लंड ने तेरी इज़्ज़तदार शादीशुदा चूत को चोद कर तुझे राँड बना दिया।” मैंने रमेश के चूतड़ों को शरारत से दबाया और कहा, “तुम्हारे लंड को मेरा सलाम मेरे ह़िंदू राजा! जिसने मेरी इज़्ज़त को अपने हि़ंदू जज़्बे से चोद कर मुझे मज़े दिये!”
अब रमेश उठा और मेरी चूत से लंड निकाला। मैंने रमेश का लंड अपने नकाब से साफ़ किया और रमेश के अनकटे काले लंड के अपने होंठों से किस किया। रमेश मेरी जिस्म को देखता हुआ कपड़े पहनने लगा और मैं भी कपड़े पहनने लगी। दोनों ने कपड़े पहने और रमेश ने मेरे बुऱके का नकाब उठाया और बोला, “ये निशानी है मेरे पास कि तूने मेरा लंड चूसा है!” और अपनी जेब में रख लिया। अचानक मुझे लगा कि मेरे शौहर ने मुझे पुकारा! मैंने जल्दी से रमेश को कहा कि “अब मुझे इजाज़त दो” और मैंने झुक कर रमेश को सलाम किया। रमेश ने मेरा सर थोड़ा सा झुका कर अपनी पैंट पर ले गया। मैंने उसकी पैंट पर से उसके लंड को किस किया और फिर रमेश ने मेरा एक बूब और चूतड़ पकड़ कर मुझे किस किया और जाते हुए बोला, “अपनी चूत का खयाल रखना!” मैंने भी अपनी कमीज़ उठा कर सलवार के ऊपर से चूत पर हाथ रखा और कहा, “तेरी अमानत है रमेश! जैसे चाहे इस्तेमाल कर मेरे ह़िंदू चुदक्कड़!” जाते-जाते रमेश ने हाथों से चुदाई का इशारा किया और मैं हंसते हुए सीढ़ियों का दरवाजा खोल कर नीचे चली गयी। मेरा शौहर असलम अभी भी नशे में धुत्त सोफे पर पड़ा खर्राटे मार रहा था।
उस दिन के बाद तो मैं रमेश के ह़िंदू अनकटे लण्ड से अक्सर चुदवाने लगी। उसकी रखैल जैसी बन गयी थी मैं। वो भी मुझे शराब पिला-पिला कर बाज़ारू राँड की तरह चोदता था। मैं उसके लण्ड की इस कदर दीवानी हो गयी थी की अपनी पाकिज़ा गाँड भी उसे सौंप दी। दिन में जब मेरा शौहर दफ़्तर में होता तो रमेश मेरे बिस्तर में मुझे चोद रहा होता था। कईं बार तो असलम घर में नशे में चूर सो रहा होता था और मैं छत्त पर पानी की टंकी के पीछे रमेश का अनकटा लण्ड चूत में ले कर मज़े लूटती। असलम को इस बात की कभी शक नहीं हुआ कि उसकी नाक के नीचे ही मैं दिन-रात एक ह़िंदू गैर-मर्द के साथ अपनी चूत और गाँड मरवा कर इज़्ज़त निलाम कर रही हूँ।