06-02-2024, 04:44 AM
(This post was last modified: 18-08-2024, 04:04 AM by rohitkapoor. Edited 7 times in total. Edited 7 times in total.)
रमेश ने अपना लंड थोड़ा सा पीछे किया और मेरी आँख मिलाते हुए बोला, “छिनाऽऽल राँऽऽड आज मैं तेरी चूत का भोंसड़ा बना दुँगा!” मैं भी रमेश के लंड के जज़्बे भरे झटके का इंतज़ार करते हुए बोली, “बना दे भोंसड़ा मेरी चूत का रमेश! साली बहुत दिन से चुदासी है!” फिर मेरी आँखों में घूरते हुए रमेश ने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरी चूत को चीरता हुआ मेरी चूत की आखिरी हद तक दाखिल हो गया और अपने हि़ंदू लंड की झाँटों से मेरी चूत को ढक दिया। मेरे मुँह से एक ज़ोर की हिचकी निकली और फिर चींखते हुए मेरे मुँह से निकला, “हाय अल्लाह! उफ़्फ़ रमेशऽऽऽऽ!” रमेश मेरी आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाते हुए चींखा, “साऽऽली राँऽऽड तेरी चूत में मेरा हि़ंदू लंडऽऽऽ!” रमेश के करारे झटके से मानो मेरा जिस्म उसके ह़िंदू लंड के नीचे पिसा जा रहा था। मैं उसके झटके से बेहाल थी। मुझे लगा कि जैसे मेरी सील हकीकत में आज ही टुटी थी क्योंकि आज तक मेरी चूत में इतनी हद तक इस तरह कोई लंड नहीं गया था। बस केले, बैंगन जैसी बेजान चीज़ें ही इस हद तक मेरी चूत में घुसी थीं।
मैंने अपने हाथ रमेश की पीठ से हटाये और रमेश के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर कहा, “अभी कुछ देर ऐसे ही रहो मेरे ह़िंदू राजा!” अब ह़िंदू नंगा बदन मेरे जवान खूबसुरत नंगे बदन पर था। मेरे बड़े-बड़े गोल बूब्स रमेश के सीने से दब रहे थे। रमेश ने अपनी ज़ुबान निकाली और मेरे होंठों में दे दी। मैं रमेश का लंड अपनी चूत में लिये हुए उसकी ज़ुबान चूसने लगी और साथ ही साथ उसके चूतड़ दबाने लगी। रमेश अब थोड़ा सा ऊपर उठा तो मेरे बूब्स से उसका सीना थोड़ा सा अलग हुआ। उफ़्फ़ खुदा! मैं अब अपनी चूत में रमेश के लंड को घुसे हुए देख रही थी। तमाम लंड मेरी चूत में था और मैं ये देख कर हल्के से मुस्कुराने लगी। मैं अभी गौर से अपनी चूत में घुसे हुए काले लंड को देख ही रही थी कि रमेश ने शरारत से मेरी चूत पर अपने लंड का ज़ोर लगाया और मेरी चूत को दबाने लगा।
मैंने रमेश के चूतड़ दबाते हुए कहा, “क्यों जनाब! कैसी लगी मेरी चूत की आरामगाह तुम्हारे इस जवान ह़िंदू लंड को?” रमेश ने अपने लंड का ज़ोर कसा और कहा, “तेरी मस्त मुस़्लि़म चूत में मेरे ह़िंदू लंड की ही जगह है मेरी रंडी शहज़ादी!” और कहते हुए मेरी चूत से आधा लंड निकाला और फिर झटके से अंदर ठोक दिया। अब दूसरे झटके से मैंने बेखौफ होकर कहा, “तो अब इंतज़ार किस बात का है ह़िंदू लंड को… रास्ता तो बन ही चुका है... अब आना-जाना ज़ारी रखो मेरे राजा!” और मैं रमेश के चूतड़ों को दबाने लगी। रमेश अब मेरी टाइट चूत में अपना मोटा काला मूसल जैसा ह़िंदू लंड चोदने लगा और मेरी चूत के रसीले होंठों को खोल कर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैं मज़े से उसके लंड को खुशामदीद कहती हुई अपनी चूत के प्यासे होंठों से चूसने लगी। रमेश के मुसलसल झटके मेरी शादीशुदा चूत की इज़्ज़त की धज्जियाँ बिखेर रहे थे।
मैंने अपने हाथ रमेश की पीठ से हटाये और रमेश के दोनों चूतड़ों को पकड़ कर कहा, “अभी कुछ देर ऐसे ही रहो मेरे ह़िंदू राजा!” अब ह़िंदू नंगा बदन मेरे जवान खूबसुरत नंगे बदन पर था। मेरे बड़े-बड़े गोल बूब्स रमेश के सीने से दब रहे थे। रमेश ने अपनी ज़ुबान निकाली और मेरे होंठों में दे दी। मैं रमेश का लंड अपनी चूत में लिये हुए उसकी ज़ुबान चूसने लगी और साथ ही साथ उसके चूतड़ दबाने लगी। रमेश अब थोड़ा सा ऊपर उठा तो मेरे बूब्स से उसका सीना थोड़ा सा अलग हुआ। उफ़्फ़ खुदा! मैं अब अपनी चूत में रमेश के लंड को घुसे हुए देख रही थी। तमाम लंड मेरी चूत में था और मैं ये देख कर हल्के से मुस्कुराने लगी। मैं अभी गौर से अपनी चूत में घुसे हुए काले लंड को देख ही रही थी कि रमेश ने शरारत से मेरी चूत पर अपने लंड का ज़ोर लगाया और मेरी चूत को दबाने लगा।
मैंने रमेश के चूतड़ दबाते हुए कहा, “क्यों जनाब! कैसी लगी मेरी चूत की आरामगाह तुम्हारे इस जवान ह़िंदू लंड को?” रमेश ने अपने लंड का ज़ोर कसा और कहा, “तेरी मस्त मुस़्लि़म चूत में मेरे ह़िंदू लंड की ही जगह है मेरी रंडी शहज़ादी!” और कहते हुए मेरी चूत से आधा लंड निकाला और फिर झटके से अंदर ठोक दिया। अब दूसरे झटके से मैंने बेखौफ होकर कहा, “तो अब इंतज़ार किस बात का है ह़िंदू लंड को… रास्ता तो बन ही चुका है... अब आना-जाना ज़ारी रखो मेरे राजा!” और मैं रमेश के चूतड़ों को दबाने लगी। रमेश अब मेरी टाइट चूत में अपना मोटा काला मूसल जैसा ह़िंदू लंड चोदने लगा और मेरी चूत के रसीले होंठों को खोल कर अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैं मज़े से उसके लंड को खुशामदीद कहती हुई अपनी चूत के प्यासे होंठों से चूसने लगी। रमेश के मुसलसल झटके मेरी शादीशुदा चूत की इज़्ज़त की धज्जियाँ बिखेर रहे थे।