18-12-2023, 10:22 PM
(This post was last modified: 18-08-2024, 09:25 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैं आधी नंगी, कमीज़ से बूब्स बाहर निकाले हुए थी और रमेश का लंड मेरे हाथों में था। रमेश मेरी इज़्ज़त से खेल रहा था और मैं उसके हि़न्दू लंड और गेंदों से खेल रही थी। अब मेरी चूत बेहद गीली हो गयी थी और रमेश के हाथों को गीलापन लगने लगा। उसने अपना गीला हाथ मेरी चूत से निकाला और मेरे बूब्स पर लगा दिया और कहने लगा, “अब मैं तेरी चूत को हि़ंन्दू लंड से चोद कर तेरी प्यास बुझाऊँगा मेरी शबाना इज़्ज़त शरीफ रंडी!” मेरा पूरा नाम जैसे मेरे जिस्म में आग लगा रहा था। मैंने भी जोश में आकर कहा, “आज मैं भी अपनी शरीफ शादीशुदा चूत को तेरे हि़न्दु लंड से चुदवा कर ही साँस लूँगी रमेश!” अब रमेश ने मेरी पैंटी पर से चूत को किस किया और अपने होंठों से पैंटी उतारने लगा। मैं रमेश की आँखों में देख रही थी और वो मुझे देखते हुए मेरी मुस्लि़म चूत नंगी कर रहा था। मेरी चूत ऐसे नंगी हो रही थी जैसे मेरे चेहरे से नकाब उतर रही हो। जैसे ही मेरी चूत पैंटी से बाहर आयी रमेश ने कहा, “हाय राम! क्या मस्त है ये मुस्लि़म चूत!” और मेरी पैंटी नीचे मेरे सैंडलों तक खिसका कर उतार दी और अपने होंठ पहले मेरे होंठों से लगाये और चूसते हुए बोला, “मेरी रंडी शबाना! तेरी चूत के होंठों को भी ऐसे ही चूसुँगा” और मेरे बूब्स के बीच से अपनी ज़ुबान चूत की तरफ़ ले जाने लगा।
मैंने अभी भी कमीज़ पहनी हुई थी मगर बूब्स बाहर थे। अब रमेश ने मेरी कमीज़ को ऊपर करके मेरा पेट भी नंगा कर दिया। मैंने कहा, “रमेश मेरी कमीज़ भी उतार दे।” लेकिन वो मेरी चूत की तरफ़ चला गया और मेरी चिकनी बिना बालों वाली चूत पर अपने हि़न्दू होंठों से चूमने लगा। अब मेरी चूत पर रमेश के होंठों की आग थी। मैं सिसकियाँ भरते हुए रमेश के सर को सहलाने लगी और प्यासी चूत पर रमेश का सर दबाने लगी। मेरी चूत पर रमेश थूकने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चूत को चूसता जा रहा था। मैं नशे में उसका सर दबाते हुए बोली, “रमेश! आज चूस कर ही बच्चा पैदा करेगा क्या मेरे हि़ऩ्दू राजा! अपने जवान काले लंड से भी तो चोद! अब बर्दाश्त नहीं होता!” रमेश ने मेरी मुस्लि़म चूत से अपने होंठ हटाये और मेरे होंठों पर रख दिये। मैं रमेश के होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। नीचे से रमेश का अनकटा हि़न्दू लंड मेरी चूत पर बार-बार लग कर दस्तक से रहा था। शायद उसका लंड कह रहा था कि अब रंडी बनने का वक्त आ गया। उसके लंड की झाँटें जब मेरी चूत को चुभती तो अजीब सा लगता।
अब रमेश ने मेरे बुऱके को उतार कर चादर बना दी और उस पर लिटा दिया और मेरी कमीज़ उतार कर मेरे जवान जिस्म को नंगा कर दिया। अब मैं रमेश के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। बस कलाइयों में चूड़ियाँ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची हील वाले सेंडल थे। अब रमेश मेरी दोनों टाँगों के बीच अपना लंड सहलाता हुआ घुटनों के बल बैठ गया और मेरी तरफ़ देख कर बोला, “बनेगी मेरे हि़न्दू लंड की राँड मेरी शबाना?” रमेश का लंड देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था। मेरी चूत तो जैसे खुल कर उसका लंड लेना चाहती थी। केले और मोमबत्तियों जैसी बेजान चीज़ें ले-ले कर असली लंड के लिये तरस गयी थी। मैंने अपनी दोनों टाँगें फैलाते हुए कहा, “आज हि़न्दू लंड से मेरी मुस्लि़म चूत पर हमला बोल दे और मेरे गोरे जवान शादीशुदा जिस्म को अपने हि़ंन्दू बदन से फूल की तरह खिला दे!”
रमेश ने मेरा मेहंदी से भरा हाथ पकड़ा और उस पर किस करके मेरे हाथ में अपना आठ इंच का लंड दे दिया और बोला, “शबाना रंडी! तुझे ज्यादा तजुर्बा है तो तू ही राह दिखा!” और वो मेरे ऊपर आ गया। मैं रमेश का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी शादीशुदा प्यासी मुस्लि़म चूत जो हमेशा बुऱके में रहती थी उसका रास्ता बताने लगी। रमेश का लंड मेरे हाथ में फूल रहा था और चूत के इर्द गिर्द जैसे जगह ढूँढ रहा हो। अब मैंने अपनी चूत के दरवाजे पर रमेश का बालों से भरा अनकटा लंड जमाया और रमेश को देख कर कहा, “शबाना इज़्ज़त शरीफ की शादीशुदा मुस्लि़म चूत के दरवाजे पर तेरे अनकटे हि़न्दू लंड का सुपाड़ा तैयार है रमेश!” रमेश मेरी आँखों में भूखे कुत्ते की तरह देखते हुए अपने लंड का सुपाड़ा मेरी शादीशुदा इज़्ज़तदार चूत में घुसेड़ने लगा। मैं भी उसकी आँखों में देखते हुए उसके हि़न्दू लंड के सुपाड़े को अंदर लेने की ख्वाहिश जता रही थी। रमेश का लंड थोड़ा- थोड़ा करके मेरी इज़्ज़त को चोद रहा था। मैं रमेश की पीठ पर अब अपने हाथ से उसके जिस्म को अपनी तरफ़ खींचने लगी। रमेश का आधा लंड मेरी गोरी मुस्लि़म चूत में था और वो मेरी आँखों में मुसलसल देख रहा था और मैं उसके हि़न्दू लंड को अपनी चूत में लेते हुए अपने चेहरे से ज़ाहिर कर रही थी कि “और डाल अपना लंड और मेरी चूत के अतराफ़ अपनी झाँटें गड़ा दे।”
मैंने अभी भी कमीज़ पहनी हुई थी मगर बूब्स बाहर थे। अब रमेश ने मेरी कमीज़ को ऊपर करके मेरा पेट भी नंगा कर दिया। मैंने कहा, “रमेश मेरी कमीज़ भी उतार दे।” लेकिन वो मेरी चूत की तरफ़ चला गया और मेरी चिकनी बिना बालों वाली चूत पर अपने हि़न्दू होंठों से चूमने लगा। अब मेरी चूत पर रमेश के होंठों की आग थी। मैं सिसकियाँ भरते हुए रमेश के सर को सहलाने लगी और प्यासी चूत पर रमेश का सर दबाने लगी। मेरी चूत पर रमेश थूकने लगा और ज़ोर-ज़ोर से चूत को चूसता जा रहा था। मैं नशे में उसका सर दबाते हुए बोली, “रमेश! आज चूस कर ही बच्चा पैदा करेगा क्या मेरे हि़ऩ्दू राजा! अपने जवान काले लंड से भी तो चोद! अब बर्दाश्त नहीं होता!” रमेश ने मेरी मुस्लि़म चूत से अपने होंठ हटाये और मेरे होंठों पर रख दिये। मैं रमेश के होंठों को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी। नीचे से रमेश का अनकटा हि़न्दू लंड मेरी चूत पर बार-बार लग कर दस्तक से रहा था। शायद उसका लंड कह रहा था कि अब रंडी बनने का वक्त आ गया। उसके लंड की झाँटें जब मेरी चूत को चुभती तो अजीब सा लगता।
अब रमेश ने मेरे बुऱके को उतार कर चादर बना दी और उस पर लिटा दिया और मेरी कमीज़ उतार कर मेरे जवान जिस्म को नंगा कर दिया। अब मैं रमेश के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी। बस कलाइयों में चूड़ियाँ और पैरों में सफेद रंग के ऊँची हील वाले सेंडल थे। अब रमेश मेरी दोनों टाँगों के बीच अपना लंड सहलाता हुआ घुटनों के बल बैठ गया और मेरी तरफ़ देख कर बोला, “बनेगी मेरे हि़न्दू लंड की राँड मेरी शबाना?” रमेश का लंड देख कर मेरे मुँह में पानी आ रहा था। मेरी चूत तो जैसे खुल कर उसका लंड लेना चाहती थी। केले और मोमबत्तियों जैसी बेजान चीज़ें ले-ले कर असली लंड के लिये तरस गयी थी। मैंने अपनी दोनों टाँगें फैलाते हुए कहा, “आज हि़न्दू लंड से मेरी मुस्लि़म चूत पर हमला बोल दे और मेरे गोरे जवान शादीशुदा जिस्म को अपने हि़ंन्दू बदन से फूल की तरह खिला दे!”
रमेश ने मेरा मेहंदी से भरा हाथ पकड़ा और उस पर किस करके मेरे हाथ में अपना आठ इंच का लंड दे दिया और बोला, “शबाना रंडी! तुझे ज्यादा तजुर्बा है तो तू ही राह दिखा!” और वो मेरे ऊपर आ गया। मैं रमेश का लंड अपने हाथ में लेकर अपनी शादीशुदा प्यासी मुस्लि़म चूत जो हमेशा बुऱके में रहती थी उसका रास्ता बताने लगी। रमेश का लंड मेरे हाथ में फूल रहा था और चूत के इर्द गिर्द जैसे जगह ढूँढ रहा हो। अब मैंने अपनी चूत के दरवाजे पर रमेश का बालों से भरा अनकटा लंड जमाया और रमेश को देख कर कहा, “शबाना इज़्ज़त शरीफ की शादीशुदा मुस्लि़म चूत के दरवाजे पर तेरे अनकटे हि़न्दू लंड का सुपाड़ा तैयार है रमेश!” रमेश मेरी आँखों में भूखे कुत्ते की तरह देखते हुए अपने लंड का सुपाड़ा मेरी शादीशुदा इज़्ज़तदार चूत में घुसेड़ने लगा। मैं भी उसकी आँखों में देखते हुए उसके हि़न्दू लंड के सुपाड़े को अंदर लेने की ख्वाहिश जता रही थी। रमेश का लंड थोड़ा- थोड़ा करके मेरी इज़्ज़त को चोद रहा था। मैं रमेश की पीठ पर अब अपने हाथ से उसके जिस्म को अपनी तरफ़ खींचने लगी। रमेश का आधा लंड मेरी गोरी मुस्लि़म चूत में था और वो मेरी आँखों में मुसलसल देख रहा था और मैं उसके हि़न्दू लंड को अपनी चूत में लेते हुए अपने चेहरे से ज़ाहिर कर रही थी कि “और डाल अपना लंड और मेरी चूत के अतराफ़ अपनी झाँटें गड़ा दे।”