18-12-2023, 10:20 PM
(This post was last modified: 18-08-2024, 09:10 PM by rohitkapoor. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
अब रमेश मेरी आँखों में देखते हुए बोला, “तभी तेरी ये भूरी आँखें इतनी नशीली हैं! वैसे तू बुऱके में छिपी रुस्तम है!” उसकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गयी। वो आगे बोला, “मैं तुम्हें बुऱके में देखना चाहता हूँ अभी!” उसने मेरे लाये हुए कपड़ों में बुऱका देख लिया था। मैंने शरमाते हुए कपड़ों में से बुऱका निकाला और पहनने लगी। मैंने जैसे ही बुऱका पहना उसने मेरा नकाब की तरफ इशारा करते हुए कहा, “ये भी डाल लो...!” मैंने शरारती अंदाज़ में कहा कि “क्यों रमेश! क्या इरादा है?” उसने बुऱके में से उभरे हुए मम्मे को पकड़ कर कहा की, “तू हमेशा बुऱके में ही दिखी है मुझे, बस तेरा हसीन चेहरा और ऊँची सैंडल में गोरे-गोरे नर्म पैर... मैंने हमेशा इसी रूप में तेरा तसव्वुर किया है और आज तेरी जवान मुस्लि़म चूत को बुऱके में चोदुँगा!”
रमेश के मुँह से ये बात सुनकर मैं और जोश में आ गयी और नकाब डाल लिया। उसने एक कुर्सी ली और उस पर बैठ गया और बोला, “शबाना इज़्ज़त शरीफ! अब अच्छे से बैठ कर मेरे हि़ंन्दू लंड को अपने रसीले मुँह से चूसो!” मैं उसके सामने बैठ गयी और नकाब हटा कर उसके काले अनकटे लंड को अपने होंठों में ले लिया। अजीब मज़ा आ रहा था मुझे। मैं रमेश के लंड को अपने होंठों से चूस रही थी और मेरे दोनों मम्मे उसके घुटनों से दब रहे थे। उसने मेरा सर अपने लंड पर दबाया और उसका सारा हि़न्दू लंड मेरे मुँह में चला गया। मेरी नाक उसके लंड की झाँटों घुस गयी। रमेश मेरे गालों को सहलाने लगा। लंड चूसते हुए मैंने जब उसकी आँखों में देखा तो उसने शरारत से कहा, “क्यों मेरी शबाना इज़्ज़त शरीफ! कैसा लग रहा है मेरा हि़न्दू लंड तेरे रसीले मुँह में?” मैंने लंड चूसते हुए “हाँ” का इशारा किया। अब वो कुर्सी से उठा और खड़ा हो गया और मेरा सर पकड़ कर मेरे मुँह में चोदने लगा। मेरे होंठ काफी मुलायम और रसीले हैं। रमेश को बहुत मज़ा आ रहा था शायद। वो मेरे मुँह को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। फिर अपना काला लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मुझे नीचे लिटा दिया। अब रमेश अपने कपड़े उतारने लगा और देखते ही देखते रमेश नंगा हो गया और उसका हि़न्दू लंड झाँटों से भरा मेरी तरफ़ देखते हुए इतरा रहा था।
अब वो नंगा होकर मुझे बुऱके पर से लिपटने लगा। नंगा काला हि़न्दू बदन मेरे शादीशुदा इज़्ज़त वाले बदन को बे-इज़्ज़त कर रहा था। रमेश ने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर कहा, “साली तू तो मस्त माल है...! किसने बड़े किये इतने तेरे बूब्स?” मैंने थोड़ा शरमाते हुए कहा कि, “कौन करेगा! शौहर तो कुछ करता है नहीं तो खुद ही मसल-मसल कर बड़े किये हैं… शौहर के अलावा आज पहली बार किसी गैर मर्द ने छुआ है मुझे!” ये सुनते ही रमेश ने अपने लंड से मेरी चूत के ऊपर धक्का दिया और बोला, “आज अपनी मुस्लि़म जवान शादीशुदा चूत में मेरा हि़न्दु अनकटा लंड लेगी शबाना?” मैंने भी शरारती होकर रमेश का हि़न्दू लंड अपने मेहंदी लगे हुए हाथ में पकड़ कर कहा, “रोज़ तो जब मैं गली से जाती थी तो सिर्फ बातें बनाता था... ये अपना हि़न्दू लंड दिखाता क्यों नहीं था मुझे?” रमेश ने मेरे बुऱके के ऊपर के दो बटन खोले और मेरी कमीज़ को नीचे करके मेरा एक गोरा मम्मा बाहर निकाला और बोला, “तू भी तो अपना ये मुस्लि़म बूब छुपा कर बस नज़रों के तीर चला कर जाती है रोज़ मेरी शबाना रंडी!”
रमेश के मुँह से ये बात सुनकर मैं और जोश में आ गयी और नकाब डाल लिया। उसने एक कुर्सी ली और उस पर बैठ गया और बोला, “शबाना इज़्ज़त शरीफ! अब अच्छे से बैठ कर मेरे हि़ंन्दू लंड को अपने रसीले मुँह से चूसो!” मैं उसके सामने बैठ गयी और नकाब हटा कर उसके काले अनकटे लंड को अपने होंठों में ले लिया। अजीब मज़ा आ रहा था मुझे। मैं रमेश के लंड को अपने होंठों से चूस रही थी और मेरे दोनों मम्मे उसके घुटनों से दब रहे थे। उसने मेरा सर अपने लंड पर दबाया और उसका सारा हि़न्दू लंड मेरे मुँह में चला गया। मेरी नाक उसके लंड की झाँटों घुस गयी। रमेश मेरे गालों को सहलाने लगा। लंड चूसते हुए मैंने जब उसकी आँखों में देखा तो उसने शरारत से कहा, “क्यों मेरी शबाना इज़्ज़त शरीफ! कैसा लग रहा है मेरा हि़न्दू लंड तेरे रसीले मुँह में?” मैंने लंड चूसते हुए “हाँ” का इशारा किया। अब वो कुर्सी से उठा और खड़ा हो गया और मेरा सर पकड़ कर मेरे मुँह में चोदने लगा। मेरे होंठ काफी मुलायम और रसीले हैं। रमेश को बहुत मज़ा आ रहा था शायद। वो मेरे मुँह को ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। फिर अपना काला लंड मेरे मुँह से बाहर निकाला और मुझे नीचे लिटा दिया। अब रमेश अपने कपड़े उतारने लगा और देखते ही देखते रमेश नंगा हो गया और उसका हि़न्दू लंड झाँटों से भरा मेरी तरफ़ देखते हुए इतरा रहा था।
अब वो नंगा होकर मुझे बुऱके पर से लिपटने लगा। नंगा काला हि़न्दू बदन मेरे शादीशुदा इज़्ज़त वाले बदन को बे-इज़्ज़त कर रहा था। रमेश ने दोनों हाथों से मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर कहा, “साली तू तो मस्त माल है...! किसने बड़े किये इतने तेरे बूब्स?” मैंने थोड़ा शरमाते हुए कहा कि, “कौन करेगा! शौहर तो कुछ करता है नहीं तो खुद ही मसल-मसल कर बड़े किये हैं… शौहर के अलावा आज पहली बार किसी गैर मर्द ने छुआ है मुझे!” ये सुनते ही रमेश ने अपने लंड से मेरी चूत के ऊपर धक्का दिया और बोला, “आज अपनी मुस्लि़म जवान शादीशुदा चूत में मेरा हि़न्दु अनकटा लंड लेगी शबाना?” मैंने भी शरारती होकर रमेश का हि़न्दू लंड अपने मेहंदी लगे हुए हाथ में पकड़ कर कहा, “रोज़ तो जब मैं गली से जाती थी तो सिर्फ बातें बनाता था... ये अपना हि़न्दू लंड दिखाता क्यों नहीं था मुझे?” रमेश ने मेरे बुऱके के ऊपर के दो बटन खोले और मेरी कमीज़ को नीचे करके मेरा एक गोरा मम्मा बाहर निकाला और बोला, “तू भी तो अपना ये मुस्लि़म बूब छुपा कर बस नज़रों के तीर चला कर जाती है रोज़ मेरी शबाना रंडी!”