15-12-2023, 10:22 PM
(This post was last modified: 15-12-2023, 10:26 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
तीन साल पहले की बात है, तब मैं सत्ताइस साल की थी। हमारा मकान कालोनी के आखिरी गली में है में है जो आगे बंद है। हमारी गली में तीन चार ही मकान ही हैं और बाकी खाली प्लॉट हैं। इसलिये कोई आता जाता नहीं और अक्सर सुनसान सी रहती है। हमारे बाजू वाला घर खाली है जिसमें कोई नहीं रहता। हमारे सामने और दूसरी बाजू में भी खाली प्लॉट ही हैं। इसी बाजू वाले प्लॉट में एक छोटा सा कच्चा कमरा है जिसमें एक बीस-इक्कीस साल का लड़का रहता है और वहीं छप्पर के नीचे कालोनी के लोगों के कपड़े इस्तरी करता है। उसका नाम रमेश है और वो थोड़ा बदतमीज़ किस्म का है। वो अक्सर आते जाते वक्त मुझे छेड़ता रहता और गंदी-गंदी बातें करता। मैंने भी उसे कभी नहीं रोका और उसकी बातों के मज़े लेती रहती। इस वजह से उसकी भी हिम्मत बढ़ गयी थी।
एक दिन की बात है मेरी सहेली असमा ने मुझे नंगी फिल्म की सी-डी दी। वो देसी ब्लू-फिल्म की सी-डी थी। मैंने उस दिन पहली बार ब्लू-फिल्म देखी थी, और उसमें लम्बा मोटा अनकटा लण्ड देख कर मुझे अजीब सा लगा। मैंने अब तक अपने शौहर की कटी लुल्ली ही देखी थी। मेरी भी प्यास भड़क गयी थी और मैं भी अपनी चूत को उस जैसे किसी लण्ड से चुदवाना चाहती थी। खैर मैंने हमेशा की तरह केले से अपनी प्यास बुझायी पर मैं वो लंड भुला नहीं पायी। उसके बाद बुऱका पहन कर मैं कुछ खरीददारी करने बाहर गयी और शाम को घर आते वक्त जब अपनी गली में दाखिल होने लगी तो वहाँ रमेश बैठा था। हमारी गली की दूसरी तरफ़ रास्ता नहीं है, बंद गली है। रमेश पर जैसे ही मेरी नज़र पढ़ी, उसने मेरे हाथ में केलों के थैले की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि ये खाने के लियी हो या कुछ और...? मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। उफ़्फ़ अल्लाह क्या कहूँ, उसका दूसरा हाथ तो उसकी पैंट पर था और वो लंड को पैंट पर से सहला रहा था। मैं थोड़ा सा शरमा गयी लेकिन फिर हिम्मत करके हल्की सी मुस्कुराहट देकर आँख मार दी और घर पहुँच गयी।
जब मैं घर पहुँची तो मेरा शौहर दफ्तर से आ चुका था और टी-वी देखते हुए शराब पी रहा था। मैंने भी बुऱका उतार कर एक पैग बनाया और शौहर के साथ बैठ कर पीने लगी। चार-पाँच मिनट के बाद शौहर असलम शराब पीते-पीते ही मेरी कमीज़ के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा और फिर अपनी लुल्ली बाहर निकाल कर मेरा हाथ उसपे रख दिया। मैं भी एक हाथ से उसे सहलाने लगी तो लुल्ली अकड़ कर करीब चार इंच की हो गयी। फिर हमेशा की तरह उसने मुझे इशारे से उसे चूसने को कहा। मैंने अपना शराब का गिलास खाली किया और झुक कर उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उसकी लुल्ली ने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। शौहर असलम हाँफ रहा था लेकिन मैं शायद आज ज्यादा बेचैन थी। मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने शौहर की तरफ इल्तज़ा भरी नज़रों से देखा तो उसने मुझे झिड़क दिया। मैंने दिल ही दिल में उसे गाली दी और अपने लिये दूसरा पैग बना कर अंदर दूसरे कमरे में चली गयी। मैं खिड़की के पास बैठी शराब की चुस्कियाँ लेने लगी तो मुझे वो ब्लू फिल्म याद आ गयी। अजीब सा लंड था उस फिल्म में। अचानक मेरा ज़हन लंड की बनावट पर गया जो मेरे शौहर से बिल्कुल अलग थी। उफ़्फ़ ये तो अजीब सा लंड था फिल्म में, जिसपर चमड़ी थी। मेरी चूत बेहद गीली हो गयी थी।
एक दिन की बात है मेरी सहेली असमा ने मुझे नंगी फिल्म की सी-डी दी। वो देसी ब्लू-फिल्म की सी-डी थी। मैंने उस दिन पहली बार ब्लू-फिल्म देखी थी, और उसमें लम्बा मोटा अनकटा लण्ड देख कर मुझे अजीब सा लगा। मैंने अब तक अपने शौहर की कटी लुल्ली ही देखी थी। मेरी भी प्यास भड़क गयी थी और मैं भी अपनी चूत को उस जैसे किसी लण्ड से चुदवाना चाहती थी। खैर मैंने हमेशा की तरह केले से अपनी प्यास बुझायी पर मैं वो लंड भुला नहीं पायी। उसके बाद बुऱका पहन कर मैं कुछ खरीददारी करने बाहर गयी और शाम को घर आते वक्त जब अपनी गली में दाखिल होने लगी तो वहाँ रमेश बैठा था। हमारी गली की दूसरी तरफ़ रास्ता नहीं है, बंद गली है। रमेश पर जैसे ही मेरी नज़र पढ़ी, उसने मेरे हाथ में केलों के थैले की तरफ इशारा करते हुए पूछा कि ये खाने के लियी हो या कुछ और...? मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए उसकी तरफ़ देखा। उफ़्फ़ अल्लाह क्या कहूँ, उसका दूसरा हाथ तो उसकी पैंट पर था और वो लंड को पैंट पर से सहला रहा था। मैं थोड़ा सा शरमा गयी लेकिन फिर हिम्मत करके हल्की सी मुस्कुराहट देकर आँख मार दी और घर पहुँच गयी।
जब मैं घर पहुँची तो मेरा शौहर दफ्तर से आ चुका था और टी-वी देखते हुए शराब पी रहा था। मैंने भी बुऱका उतार कर एक पैग बनाया और शौहर के साथ बैठ कर पीने लगी। चार-पाँच मिनट के बाद शौहर असलम शराब पीते-पीते ही मेरी कमीज़ के ऊपर से मेरे मम्मे दबाने लगा और फिर अपनी लुल्ली बाहर निकाल कर मेरा हाथ उसपे रख दिया। मैं भी एक हाथ से उसे सहलाने लगी तो लुल्ली अकड़ कर करीब चार इंच की हो गयी। फिर हमेशा की तरह उसने मुझे इशारे से उसे चूसने को कहा। मैंने अपना शराब का गिलास खाली किया और झुक कर उसकी लुल्ली अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। एक मिनट भी नहीं हुआ था कि उसकी लुल्ली ने अपना पानी मेरे मुँह में छोड़ दिया। शौहर असलम हाँफ रहा था लेकिन मैं शायद आज ज्यादा बेचैन थी। मुझे उम्मीद तो नहीं थी पर फिर भी मैंने शौहर की तरफ इल्तज़ा भरी नज़रों से देखा तो उसने मुझे झिड़क दिया। मैंने दिल ही दिल में उसे गाली दी और अपने लिये दूसरा पैग बना कर अंदर दूसरे कमरे में चली गयी। मैं खिड़की के पास बैठी शराब की चुस्कियाँ लेने लगी तो मुझे वो ब्लू फिल्म याद आ गयी। अजीब सा लंड था उस फिल्म में। अचानक मेरा ज़हन लंड की बनावट पर गया जो मेरे शौहर से बिल्कुल अलग थी। उफ़्फ़ ये तो अजीब सा लंड था फिल्म में, जिसपर चमड़ी थी। मेरी चूत बेहद गीली हो गयी थी।