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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
"शानदार" उसने कहा। मैं शर्म से दोहरी हो रही थी। एक निचले स्तर के गंवार के सामने मैं अपनी इज्जत बचाने में नाकाबिल थी। उसने फ़िर खींच कर चूत पर से दूसरा हाथ हटाया। मैंने टाँगें सिकोड़ ली। यह देख कर उसने मेरी चूचियों को मसल दिया। चूचियों को उससे बचाने के लिये नीचे की ओर झुकी तो उसने अपनी दो अंगुलियाँ मेरी चूत में पीछे की तरफ़ से डाल दी। मेरी चूत वीर्य से गीली हो रही थी।

"खुब चुदी हो लगता है" उसने कहा।
 
"शेर खुद खाने के बाद कुछ बोटियाँ गीदड़ों के लिये भी छोड़ देता है। एक-आध मौका साहब मुझे भी देंगे। तब तेरी खबर लुँगा" कहकर उसने मुझे अपने जिस्म से लपेट लिया।
 
"भोगी भाई जी ने खाना लगाने के लिये कहा है।" मैंने उसे धक्का देते हुए कहा। उसने मुझसे अलग होने से पहले मेरे होंठों को एक बार कस कर चूम लिया।
 
"चल तुझे तो तसल्ली से चोदेंगे... पहले साहब को जी भर के मसल लेने दो," उसने कहा। फिर मुझे खाने का सामान पकड़ाने लगा। मैंने टेबल पर खाना लगाया। फिर डिनर भोगी भाई की गोद में बैठ कर लेना पड़ा। वो भी नंगा ही बैठा था। उसका लंड सिकुड़ा  हुआ था। मेरी चूत उसके नरम पड़े लंड को चूम रही थी। खाते हुए कभी मुझे मसलता, कभी चूमता जा रहा था। उसके मुँह से शराब की बदबू आ रही थी। वो जब भी मुझे चूमता, मुझे उस पर गुस्सा आ जाता। खाते-खाते ही उसने मोबाइल पर कहीं रिंग किया।
 
"हलो, कौन... गावलेकर?"
 
"क्या कर रहा है?"
 
"अबे इधर आ जा। घर पर बोल देना कि रात में कहीं गश्त पर जाना है। यहीं रात गुजारेंगे... हमारे नदीम साहब की जमानत यहीं है मेरी गोद में," कहकर उसने मेरे एक निप्पल को जोर से उमेठा। दोनों निप्पल बुरी तरह दर्द कर रहे थे। नहीं चाहते हुए भी मैं चींख उठी।
 
"सुना? अब झटाझट आ जा सारे काम छोड़ कर" रात भर अपन दोनों इसकी जाँच पड़ताल करेंगे।"
 
मैं समझ गयी कि भोगी भाई ने इंसपैक्टर गावलेकर को रात में अपने घर बुलाया है और दोनों रात भर मुझे चोदेंगे। खाना खाने के बाद मुझे बांहों में समेटे हुए ड्राईंग रूम में आ गया। मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे-मोटे भद्दे होंठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का अपनी जीभ से मोआयना करने लगा। फिर वो सोफ़े पर बैठ गया और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। टाँगें खोल कर मुझे अपनी टाँगों के जोड़ पर खींच लिया।
 
मैं उसका इशारा समझ कर उसके लंड को चूमने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फ़िरा रहा था। फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगी और जीभ निकाल कर उसके लंड के ऊपर फ़िराने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड हर्कत में आता जा रहा था। वो मेरे मुँह में फ़ूलने लगा। मैं और तेजी से उसके लंड पर अपना मुँह चलाने लगी।
[Image: B2539H14.jpg] 
कुछ ही देर में लंड फ़िर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। वापस उसे चूत में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी आ रही थी। चूत का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गयी हो। मैं इसलिए उसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर नीचे  करने लगी जिससे उसका मुँह में ही निकल जाये। मगर वो तो पूरा साँड कि तरह स्टैमिना रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लंड से हल्का सा रस निकलने लगा। मैं थक गयी मगर उसके लंड से वीर्य निकला ही नहीं। तभी दरबान ने आकर गावलेकर के आने की इत्तला दी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 02-09-2023, 01:02 AM



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