02-09-2023, 01:00 AM
(This post was last modified: 02-09-2023, 01:15 AM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
दोनों जोर-जोर से धक्के लगा रहे थे। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। मैं चींखना चाह रही थी मगर मुँह से सिर्फ़ "उम्म्म्म उम्फ" जैसी आवाज ही निकल रही थी। दोनों एक साथ वीर्य निकाल कर मेरे जिस्म पर लुढ़क गये। मैं जोर जोर से सांसें ले रही थी। बुरी तरह थक गयी थी मगर आज मेरे नसीब में आराम नहीं लिखा था। उनके हटते ही भोगी भाई उठा और मेरे पास अकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया। फिर उसने बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लंड मेरी टपकती चूत पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया। चूत गीली होने की वजह से उसका मूसल जैसा लंड लेते हुए भी कोई दर्द नहीं महसूस हुआ। मगर ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे जिस्म को चीरता हुआ मुँह से निकल जायेगा। फिर वो धक्के देने लगा। मजबूत पलंग भी उसके धक्कों से चरमराने लगा। फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसका तो सिर्फ अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है!
"पानी…" मैंने पानी माँगा तो एक ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आयी। तीनों वापस मेरे जिस्म से चिपक गये। अब मैं बिस्तर के किनारे पैर लटका के बैठ गयी। एक का लंड मैंने अपनी दोनो चूचियों के बीच ले रखा था और बाकी दोनों के लंड को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूस रही थी। वो मेरी चूचियों को चोद रहा था। मैं अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को उसके लंड पर दोनों तरफ से दबा रखा था। उसने मेरी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया। फिर बाकी दोनों ने मुझे बारी-बारी से कुत्तिया बना कर चोदा। उनके वीर्य पट हो जाने के बाद वो चले गये।
मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुयी थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे। भोगी भाई पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। भोगी भाई ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गयी और उसके जिस्म से सट गयी।
"जा किचन में... भीमा ने खाना बना लिया होगा। टेबल पर खाना लगा... और हाँ तू इसी तरह रहेगी" मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ़ ढकेल कर मेरे नंगे नितंब पर एक चपत लगायी।
मैं अपने जिस्म को सिकोड़ते हुए और एक हाथ से अपने मम्मों को और एक हाथ से अपनी टाँगों को जोड़ कर ढकने की असफ़ल कोशिश करती हुई किचन में पहुँची। अंदर ४५ साल का एक रसोइया था। उसने मुझे देख कर एक सीटी बजायी और मेरे पास आकर मुझे सीधा खड़ा कर दिया। मैं झुकी जा रही थी मगर उसने मेरी नहीं चलने दी। जबरदस्ती मेरे सीने पर से हाथ हटा दिया।
मैं चींख रही थी, "आहहह ओओओहहह प्लीज़ज़ज़ज़। प्लीज़ज़ज़ मुझे छोड़ दो। आआआह आआआह नहींईंईंईं प्लीज़ज़ज़ज़ज़।" मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था। पूरे कमरे में ‘फच फच’ की आवाजें गूँज रही थी। बाकी तीनों उठ कर मेरे करीब आ गये थे और मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे। मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लंड जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आ रही थी। कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गयी। मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह टूट रहा था और गला सूख रहा था।
"पानी…" मैंने पानी माँगा तो एक ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आयी। तीनों वापस मेरे जिस्म से चिपक गये। अब मैं बिस्तर के किनारे पैर लटका के बैठ गयी। एक का लंड मैंने अपनी दोनो चूचियों के बीच ले रखा था और बाकी दोनों के लंड को बारी-बारी से मुँह में लेकर चूस रही थी। वो मेरी चूचियों को चोद रहा था। मैं अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को उसके लंड पर दोनों तरफ से दबा रखा था। उसने मेरी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया। फिर बाकी दोनों ने मुझे बारी-बारी से कुत्तिया बना कर चोदा। उनके वीर्य पट हो जाने के बाद वो चले गये।
मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुयी थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे। भोगी भाई पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। भोगी भाई ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गयी और उसके जिस्म से सट गयी।
"जा किचन में... भीमा ने खाना बना लिया होगा। टेबल पर खाना लगा... और हाँ तू इसी तरह रहेगी" मुझे कमरे के दरवाजे की तरफ़ ढकेल कर मेरे नंगे नितंब पर एक चपत लगायी।
मैं अपने जिस्म को सिकोड़ते हुए और एक हाथ से अपने मम्मों को और एक हाथ से अपनी टाँगों को जोड़ कर ढकने की असफ़ल कोशिश करती हुई किचन में पहुँची। अंदर ४५ साल का एक रसोइया था। उसने मुझे देख कर एक सीटी बजायी और मेरे पास आकर मुझे सीधा खड़ा कर दिया। मैं झुकी जा रही थी मगर उसने मेरी नहीं चलने दी। जबरदस्ती मेरे सीने पर से हाथ हटा दिया।