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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
मैंने कांपते हाथों से ब्लाऊज़ के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर ब्लाऊज़ के दोनों हिस्सों को अपनी चूचियों के ऊपर से हटाया तो ब्रा में कसे हुए मेरे दोनों मम्मे उन भुखी आँखों के सामने आ गये। मैंने ब्लाऊज़ को अपने जिस्म से अलग कर दिया। चारों की आँखें चमक उठी। मैंने जिस्म से साड़ी हटा दी। फिर मैंने झिझकते हुए पेटीकोट की डोरी खींच दी। पेटीकोट सरसराता हुआ पैरों पर ढेर हो गया। चारों की आँखों में वासना के सुर्ख डोरे तैर रहे थे। मैं उनके सामने ब्रा, पैंटी और हाई हील के सैंडल में खड़ी हो गयी।
[Image: IMG-3834.jpg]
"मैंने कहा था सारे कपड़े उतारने को" भोगी भाई ने गुर्राते हुए कहा।
 
"प्लीज़ मुझे और जलील मत करो" मैंने उससे मिन्नतें की।
 
"अबे राजे फोन लगा गोवलेकर को। बोल साले नदीम को रात भर हवाई जहाज बना कर डंडे मारे और इस रंडी को भी अंदर कर दे"
 
"नहीं नहीं, ऐसा मत करना। आप जैसा कहोगे मैं वैसा ही करूँगी।" कहते हुए मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को आहिस्ता से जिस्म से अलग कर दिया। अब मैंने पूरी तरह से तसलीम का फ़ैसला कर लिया। ब्रा के हटते ही मेरी दूधिया चूचियाँ रोशनी में चमक उठी। चारों अपनी-अपनी जगह पर कसमसाने लगे। वो लोग गरम हो चुके थे और बाकी तीनों की पैंट पर उभार साफ़ नजर आ रहा था। भोगी भाई लूँगी के ऊपर से ही अपने लंड पर हाथ फ़ेर रहा था। लूँगी के ऊपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं।
 
मैंने अपनी अंगुलियाँ पैंटी की इलास्टिक में फंसायीं तो भोगी भाई बोल उठा, "ठहर जा... यहाँ आ मेरे पास।" मैं उसके पास आकर खड़ी हो गयी। उसने अपने हाथों से मेरी चूत को कुछ देर तक मसला और फ़िर पैंटी को नीचे करता चला गया। अब मैं पूरी तरह नंगी हो कर सिर्फ सैंडल पहने उसके सामने खड़ी थी।
 
"राजे! जा और मेरा कैमरा उठा ला"
 
मैं घबड़ा गयी, "आपने जो चाहा, मैं दे रही हूँ फ़िर ये सब क्यों"
 
"तुझे मुँह खोलने के लिये मना किया था ना"
 
एक आदमी एक मूवी कैमरा ले आया। उन्होंने बीच की टेबल से सारा सामान हटा दिया। भोगी भाई मेरी चिकनी चूत पर हाथ फ़िरा रहा था।
 
"चल बैठ यहाँ" उसने बीच की टेबल कि ओर इशारा किया। मैं उस टेबल पर बैठ गयी। उसने मेरी टाँगों को जमीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा। मैं अपने सैंडल खोलने लगी तो उसने मना कर दिया, "इन ऊँची ऐड़ी की सैंडलों में अच्छी लग रही है तू।"
 
मैंने वैसा ही पैर टेबल पर रख लिये।
 
"अब टाँगें चौड़ी कर"
 
मैं शर्म से दोहरी हो गयी मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाया।
 
"और फ़ैला"
 
मैंने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फ़ैला दिया। मेरी चूत उनकी आँखों के सामने बेपर्दा थी। चूत के दोनों लब खुल गये थे। मैं चारों के सामने चूत फ़ैला कर बैठी हुई थी। उनमें से एक मेरी चूत कि तसवीरें ले रहा था।
[Image: 2767-050.jpg] 
"अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसको चौड़ा कर," भोगी भाई ने कहा। वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लंड पर हाथ फ़ेर रहा था। मैं तो उसके लंड को देख कर ही सिहर गयी। गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लंड मैंने पहली बार देखा था। लंड भी पूरा काला था। मैंने अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसे सबके सामने फ़ैल दिया। चारों हंसने लगे।
 
"देखा मुझसे पंगा लेने का अंजाम। बड़ा गरूर था इसको अपने रूप पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी चूत फ़ैला कर बैठी हुई है।" भोगी भाई ने अपनी दो मोटी-मोटी अंगुलियाँ मेरी चूत में घुसा दी। मैं एक दम से सिहर उठी। मैं भी अब गरम होने लगी थी। मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी  अंगुलियाँ कुछ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो चूत रस से चुपड़ी हुई थी। उसने अपनी अंगुलियों को अपनी नाक तक ले जाकर सूंघा और फ़िर सब को दिखा कर कहा, "अब ये भी गरम होने लगी है।" फिर मेरे होंठों पर अपनी अंगुलियाँ छुआ कर कहा, "ले चाट इसे।"
 
मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने चूत-रस को पहली बार चखा। सब एक दम से मेरे जिस्म पर टूट पड़े। कोई मेरी चूचियों को मसल रहा था तो कोई मेरी चूत में अँगुली डाल रहा था। मैं उनके बीच में छटपटा रही थी। भोगी भाई ने सबको रुकने का इशारा किया। मैंने देखा उसकी कमर से तहमद हटी हुई है और काला भुजंग सा लंड तना हुआ खड़ा है। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लंड पर दाब दिया।
 
"इसे ले अपने मुँह में" उसने कहा "मुँह खोल।"
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 31-08-2023, 01:39 AM



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