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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
"छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाउँगी" मैंने चींखते हुए कहा। तभी हाथ चिटकनी तक पहुँच गये और दरवाजा खोल दिया। मेरी इस हर्कत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी। मैंने एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर लगाया और अपनी नंगी हालत की परवाह ना करते हुए मैंने दरवाजे को खोल दिया। मैं शेरनी कि तरह चींखी, "निकल जा मेरे घर से" और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया। उसकी हालत चोट खाये शेर की तरह हो रही थी। चेहरा गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था। उसने फुफकारते हुए कहा, "साली बड़ी सती सावित्री बन रही है... अगर तुझे अपने नीचे ना लिटाया तो मेरा नाम भी भोगी भाई नहीं। देखना एक दिन तू आयेगी मेरे पास मेरे लंड को लेने। उस समय अगर तुझे अपने इस लंड पर ना कुदवाया तो देखना। मैंने भड़ाक से उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया। मैं वहीं दरवाजे से लग कर रोने लगी।
 
शाम को जब नदीम आया तो उस पर भी फ़ट पड़ी। मैंने उसे सारी बात बतायी और ऐसे दोस्त रखने के लिये उसे भी खूब खरी खोटी सुनायी। पहले तो नदीम ने मुझे मनाने की काफी कोशिश की। कहा कि ऐसे बुरे आदमी से क्या मुँह लगना। मगर मैं तो आज उसकी बातों में आने वाली नहीं थी। आखिर वो उस से भिड़ने निकला। भोगी भाई से झगड़ा करने पर भोगी भाई ने भी खूब गालियाँ दी। उसने कहा, "तेरी बीवी नंगी होकर दरवाजा खोल कर नहाये तो इसमें सामने वाले की क्या गलती है। अगर इतनी ही सती सावित्री है तो बोला कर कि बुर्के में रहे।" उसके आदमियों ने धक्के देकर नदीम को बाहर निकाल दिया। पुलिस में कंपलेंट लिखाने गये मगर पुलिस ने कंपलेंट लिखने से मना कर दिया। सब उससे घबड़ाते थे। खैर खून का घूँट पीकर चुप हो जाना पड़ा। बदनामी का भी डर था और नदीम की नौकरी का भी सवाल था।
 
धीरे-धीरे समय गुजरने लगा। चौराहे पर अक्सर भोगी भाई अपने चेले चपाटों के साथ बैठा रहता था। मैं कभी वहाँ से गुजरती तो मुझे देख कर अपने साथियों से कहता, "नदीम की बीवी बड़ी कंटीली चीज है... उसकी चूचियों को मसल-मसल कर मैंने लाल कर दिया था। चूत में भी अँगुली डाली थी। नहीं मानते हो तो पूछ लो।"
 
"क्यों ताहिरा जान याद है ना मेरे हाथों का स्पर्श"
 
"कब आ रही है मेरे बिस्तर पर"
 
मैं ये सब सुन कर चुपचाप सिर झुकाये वहाँ से गुजर जाती थी।
 [Image: IMG-2888.jpg]
दो महीने बाद की बात है। नदीम के साथ शाम को बाहर घुमने जाने का प्रोग्राम था और मैं उसका ऑफिस से वापिस आने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने एक कीमती साड़ी पहनी और अच्छे से बन-सँवर के अपने गोरे पैरों में नयी सैंडल पहनी। अचानक नदीम की फैक्ट्री से फोने आया, "मैडम, आप मिसेज सिद्दिकी बोल रही हैं?"
 
"हाँ बोलिये" मैंने कहा।
 
"मैडम पुलिस फैक्ट्री आयी थी और सिद्दिकी साहब को गिरफतार कर ले गयी।"
 
"क्या? क्यों?" मेरी समझ में ही नहीं आया कि सामने वाला क्या बोल रहा है।
 
"मैडम कुछ ठीक से समझ में नहीं आ रहा है। आप तुरंत यहाँ आ जाइये।" मैं जैसी थी वैसी ही दौड़ी गयी नदीम के ऑफिस।
 
वहाँ के मालिक कामदार साहब से मिली तो उन्होंने बताया कि दो दिन पहले उनकी फैक्ट्री में कोई एक्सीडेंट हुआ था जिसे पुलिस ने मर्डर का केस बना कर नदीम के खिलाफ़ चार्जशीट दायर कर दी थी। मैं एकदम हैरान रह गयी। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था।
 
"लेकिन आप तो जानते हैं कि नदीम ऐसा आदमी नहीं है। वो आपके के पास पिछले कईं सालों से काम कर रहा है। कभी आपको उनके खिलाफ़ कोई भी शिकायत मिली है क्या?" मैंने मिस्टर कामदार से पूछा।
 
"देखिये मिसेज सिद्दिकी! मैं भी जानता हूँ कि इसमें नदीम का कोई भी हाथ नहीं है मगर मैं कुछ भी कहने में अस्मर्थ हूँ।"
 
"आखिर क्यों?"
 
"क्योंकि उसका एक चश्मदीद गवाह है... भोगी भाई" मेरे सिर पर जैसे बम फ़ट पड़ा। मेरी आँखों के सामने सारी बातें साफ़ होती चली गयी।
 
"वो कहता है कि उसने नदीम को जान बूझ कर उस आदमी को मशीन में धक्का देते देखा था।"
 
"ये सब सरासर झूठ है... वो कमीना जान बूझ कर नदीम को फँसा रहा है" मैंने लगभग रोते हुए कहा।
 
"देखिये मुझे आपसे हमदर्दी है मगर मैं आपकी कोई भी मदद नहीं कर पा रहा हूँ... इंसपेक्टर गावलेकर की भी भोगी भाई से अच्छी दोस्ती है। सारे वर्कर नदीम के खिलाफ़ हो रहे हैं... मेरी मानो तो आप भोगी भाई से मिल लो... वो अगर अपना बयान बदल ले तो ही नदीम बच सकता है।"
 
"थूकती हूँ मैं उस कमीने पर" कहकर मैं वहाँ से पैर पटकती हुई निकल गयी। मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। मैं पुलिस स्टेशन पहुँची। वहाँ काफ़ी देर बाद नदीम से मिलने दिया गया। उसकी हालत देख कर तो मुझे रोना आ गया। बाल बिखरे हुए थे। आँखों के नीचे कुछ सूजन थी। शायद पुलिस वालों ने मारपीट भी की होगी। मैंने उससे बात करने की कोशिश की मगर वो कुछ ज्यादा नहीं बोल पाया। उसने बस इतना ही कहा, "अब कुछ नहीं हो सकता। अब तो भोगी भाई ही कुछ कर सकता है।"
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 31-08-2023, 01:37 AM



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