27-07-2023, 04:25 AM
(This post was last modified: 27-07-2023, 04:42 AM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं कुछ नहीं बोली। ये लड़के हमेशा मुझे अख़्तर या तबस़्सुम़ मैम कह कर बुलाते थे लेकिन आज बाकी स्टॉफ की तरह तब्बू मैम कह कर उस लड़के ने मुझसे बात करी। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और चूत गिली हो चुकी थी। बारिश की हल्की सी ठंडक मेरे जिस्म की गर्मी में और इज़ाफ़ा कर रही थी। हवस ने मुझे इतना अंधा कर दिया था कि अगर वो वहीं मुझे नंगी करके चोदना भी शुरू कर देते तो शायद मैं उन्हें मना नहीं करती। उस वक़्त मुझे अपनी इज़्ज़त-आबरू... हैसियत और सोसायटी में रुसवाई या बदनामी... किसी बात की ज़रा सी भी परवाह नहीं थी। मैंने देखा कि वो दोनों लड़कियाँ असल में मजे से दूसरे दो लड़कों का हाथ अपनी कॉलेज युनीफॉर्म की ट्यूनिक के अंदर अपनी टाँगों के बीच में ले रही थी। वो मेरी जानिब देख कर बेहयाई से मुस्कुराने लगीं। तब मेरे पीछे वाले लड़के ने मेरे कान में कहा, “ये दोनों तो अक्सर हम चारों चुदती हैं... तब्बु मैम आप इनकी परवाह ना कीजिये... इनका काम अब पूरा हो गया... अब इन्हें अगले संडे मजे से चोदेंगे... आज आपका नम्बर है!”
मैं उसकी हिम्मत पे हैरान थी कि किस तरह खुल कर गंदे लफ़्ज़ों में वो अपनी टीचर के साथ चुदाई की बातें कर रहा था। उसकी गंदी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा। मैं कुछ नही बोली और चुप रही। मैं तो खुद अपनी हवस की आग में अंधी हो गयी थी और अपनी इज़्ज़त लुटाने के लिये खुद ही तड़प रही थी। अगले स्टॉप पर पीछे वाली सीट खाली हुई तो मेरे पीछे वाला लड़का दायीं तरफ़ बैठ गया और मैं चुपचाप उसके बगल में बैठ गयी। दूसरा लड़का मेरी बांयी तरफ़ बैठ गया। बाकी दोनों लड़के और वो लड़कियाँ हमारे आगे खड़ी हो गयीं। बस चलने लगी तो मेरी बगल वाले लड़कों को जैसे खुली छूट मिल गयी मेरे साथ खेलने की... मेरे खज़ाने लूटने की।
दायीं तरफ़ वाले लड़के ने एक बाँह मेरे सर के पीछे सीट पर पसार दी और दूसरे हाथ को मेरी नरम और हवस की वजह से गरम दाहिनी रान पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। बांयी तरफ़ वाला लड़का मेरी बांयी रान को सहलाने लगा। मेरी साँसें एक दम से और तेज़ और गरम हो गयीं और मेरा सर हल्का-हल्का महसूस होने लगा। मैं मदहोश सी हो गयी थी। मैंने आँखें बंद कर लीं। दोनों लड़कों ने अपने हाथ मेरी रानों पर ऊपर की जानिब सरकाये और मेरी कमीज़ के पल्ले के नीचे से सरकाते हुए मेरे पेट की तरफ़ बढ़ा दिये। तभी एक लड़के ने अपने हाथ को मेरी रानों के बीच मेरी चूत की जानिब सरकाने की कोशिश की तो मेरे मुँह से हल्की सी सिसकरी छूट गयी और मैंने अपनी दोनों टाँगों को ज़ोर से आपस में जोड़ लिया और अपने हाथों से उन लड़कों के हाथों को पकड़ लिया और मेरे मुँह से ज़ोर से एक साँस अटकती हुई निकली। इस पर मेरी दांयी तरफ़ वाले लड़के ने अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख कर ज़ोर से से चूम लिया और मेरे होंठ चूसने लगा।
मैं उसकी हिम्मत पे हैरान थी कि किस तरह खुल कर गंदे लफ़्ज़ों में वो अपनी टीचर के साथ चुदाई की बातें कर रहा था। उसकी गंदी बातें सुनकर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लगा। मैं कुछ नही बोली और चुप रही। मैं तो खुद अपनी हवस की आग में अंधी हो गयी थी और अपनी इज़्ज़त लुटाने के लिये खुद ही तड़प रही थी। अगले स्टॉप पर पीछे वाली सीट खाली हुई तो मेरे पीछे वाला लड़का दायीं तरफ़ बैठ गया और मैं चुपचाप उसके बगल में बैठ गयी। दूसरा लड़का मेरी बांयी तरफ़ बैठ गया। बाकी दोनों लड़के और वो लड़कियाँ हमारे आगे खड़ी हो गयीं। बस चलने लगी तो मेरी बगल वाले लड़कों को जैसे खुली छूट मिल गयी मेरे साथ खेलने की... मेरे खज़ाने लूटने की।