27-07-2023, 04:24 AM
(This post was last modified: 27-07-2023, 04:47 AM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
अगले दिन क्लास में जब वो लड़के फिर से होमवर्क करके नहीं लाये तो पहली दफ़ा ना चाहते हुए भी मैंने उनकी पिटाई की क्योंकि शायद मैं ये जताना चाहती थी कि पिछले दिन बस में हुए वाकिये के बावजूद मेरा इख़्तियार बरकरार है। टीचर हूँ इसलिये रौब रखना भी ज़रूरी है... लेकिन मुझे दिल में बेहद अफ़सोस महसूस हुआ। उस दिन बस में उनके करीब खड़ी थी लेकिन जब उन्होंने मुझे नहीं छुआ तो थोड़ी मायूसी हुई। लेकिन पता नहीं क्यों अब पहली बार मैं चाहती थी कि वो मुझे छुयें... मेरे चूतड़ों के बीच में हाथ डालें... मेरी चूत को सहलायें। इसी उम्मीद में मैं बस में पीछे उनके पास जाकर खड़ी होती लेकिन अगले दो-तीन दिन भी मेरे साथ ऐसी कोई हरकत नहीं की और उसके बाद फिर चार-पाँच दिन तो वो कॉलेज ही नहीं आये। मैं तड़प कर रह जाती और मायूस हो कर अपने स्टॉप पे उतर जाती। वो लड़के मेरे दिलो-दिमाग में बस से गये थे और ये हालत हो गयी थी कि रोज़ रात को उनके बारे में सोच-सोच कर बार-बार अपनी चूत सहलाती और गाजर से मैस्टरबेट करती। कॉलेज में भी कईं दफ़ा उनका ख्याल आ जाता तो चूत गीली हो जाती और फिर अपने ऑफिस या टॉयलेट में जा कर खुद-लज़्ज़ती करती। मुझे पोर्नोग्राफी से नफ़रत थी लेकिन एक रात को मैंने पहली दफ़ा अपने लैपटॉप पे पोर्न-वेबसाईट तक खोल ली। इससे पहले मैंने कभी गंदी तस्वीरें या ब्लू-फिल्म नहीं देखी थी लेकिन उस रात और फिर अगली दो-तीन रातें मैंने घंटों तक अलग-अलग तरह की चुदाई की क्लिप्स का मज़ा लिया। मेरे जिस्म में हवस की आग इस कदर भड़क गयी थी कि मेरे सारे इख़लाक़ और नेक तर्बियत उसमें जल कर ख़ाक हो रहे थे और कुछ ही दिनों में मेरी फ़ितरत और चाल-चलन में किस कदर बेइंतेहा तब्दीली आ गयी थी।
फिर एक दिन काफी बारिश हो रही थी और कॉलेज में बच्चे भी कम आये थे तो कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गयी। उस दिन बस में भीड़ नहीं थी। मैं आसानी से कहीं भी खड़ी हो सकती थी लेकिन खुश नसीबी से मुझे वो लड़के पीछे खड़े नज़र आये तो मैं पीछे उन ही लड़कों के पास जा कर खड़ी हो गयी क्योंकि मैं तो दिल में ये ही चाहती थी कि वो मुझे छुयें। हमेशा की तरह सुहाना और फ़ातिमा भी वहीं मौजूद थीं। मुझे पूरा शक हो गया था कि वो दोनों भी जानती थी कि लड़के मेरे साथ क्या फ़ाहिश हरकतें करते हैं।
मैं भी झेंप कर थोड़ा सा आगे सरक गयी तो वो सब भी आगे सरक आये और एक लड़के ने हल्के से मेरी गाँड में हाथ दे दिया। मैं तो खुद इसी इंतज़ार में थी इतने दिन से और इस बार मैं भी थोड़ा पीछे सरक गयी ताकि उसका हाथ अच्छी तरह से मेरी टाँगों के बीच में घुस जाये। मैंने अपनी रानों को थोड़ा-थोड़ा खोला और फिर बंद किया तो उस लड़के ने एक हाथ मेरी टाँगों के बीच में घुसा दिया और दूसरा हाथ वो मेरे चूतड़ों पे फेरने लगा। मुझे बेहद मज़ा आ रहा था। मेरी तरफ़ से कोई मुखालफ़त ना देख कर शायद मेरी नियत का भी अंदाज़ा हो गया था। फिर उसने मेरे कान में कहा, “तब़्बू मैम अगले स्टॉप पर पीछे की सीट खाली हो रही है... आप मेरे और मेरे दोस्त के बीच मैं बैठ जायें... बाकी दोनों लड़के और ये लड़कियाँ आगे अपनी हो जायेंगे ताकि किसी को आगे से पता ना चले!”
फिर एक दिन काफी बारिश हो रही थी और कॉलेज में बच्चे भी कम आये थे तो कॉलेज में जल्दी छुट्टी हो गयी। उस दिन बस में भीड़ नहीं थी। मैं आसानी से कहीं भी खड़ी हो सकती थी लेकिन खुश नसीबी से मुझे वो लड़के पीछे खड़े नज़र आये तो मैं पीछे उन ही लड़कों के पास जा कर खड़ी हो गयी क्योंकि मैं तो दिल में ये ही चाहती थी कि वो मुझे छुयें। हमेशा की तरह सुहाना और फ़ातिमा भी वहीं मौजूद थीं। मुझे पूरा शक हो गया था कि वो दोनों भी जानती थी कि लड़के मेरे साथ क्या फ़ाहिश हरकतें करते हैं।
बस में भीड़ ना होने की वजह से वो मुझसे थोड़ा पीछे खड़े थे। लेकिन बस चलने के थोड़ी देर बाद ही वो मेरे नज़दीक आ गये। बारिश की वजह से हाईवे पे काफी ट्रैफिक था और बस धीरे-धीरे चल रही थी। मैं मोबाइल फोन पे किसी से बात करने में मसरूफ थी कि अचानक मुझे महसूस हुआ कि कोई लड़का एक दम मेरे साथ चिपक कर खड़ा हो गया हो। मैंने फोन कॉल बंद करते हुए पीछे देखा तो वो बोला, “अखतर मैम आप ज्यादा पीछे आ गयी हैं... थोड़ा आगे सरक सकती हैं!” उस लम्हे मैंने गौर किया कि दर असल मैं ही फोन पे बात करते हुए पीछे उन लड़कों तक सरक गयी थी। इसके अलावा मैंने देखा कि सुहाना और फ़ातिमा भी उनमें से दो लडकों से बिल्कुल चिपक के खड़ी थीं। मैंने उन लड़कियों की जानिब देखा तो वो मेरी जानिब देखते हुए मुस्कुराने लगीं। तब मुझे एहसास हुआ कि हक़िकत में वो दोनों भी इन लड़कों से मिली हुई हैं और खुद उनसे उंगली करवा के मज़े लेती हैं।