26-07-2023, 12:44 AM
फ़रीदा बोली, “नहीं नाज़... मुझे तो बेहद मज़ा आता हैं गाँड मरवाने में... तू भी अमित से कह कि वो अपना लंड तेरी गाँड में डाले!”
“नहीं बाबा, मुझे डर लग रहा है। मैंने पहले कभी गाँड नहीं मरवायी। पहले से ही मेरी चूत सर ने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गाँड अमित से नहीं फड़वाऊँगी!” नाज़ ने अपनी अम्मी से कहा तो फ़रीदा बोली, “अरे पगली! पहली मर्तबा शुरूआत में थोड़ा दर्द होगा लेकिन फिर मज़ा आयेगा! तू भी एक तगड़ा सा पैग मार ले फिर दर्द का एहसास भी कम होगा और मज़ा भी आयेगा!”
फ़रीदा ने खुद ही अपनी बेटी के लिये गिलास में व्हिस्की डाल कर उसे दी। फ़रीदा की आवाज़ और हावभाव से स्पष्ट था कि वो शराब के नशे में मदहोश थी। नाज़ अपनी अम्मी से शराब का गिलास लेकर उसी की तरह गटागट पी गयी। उसके बाद भी वो हिचकिचा रही थी तो मैंने नाज़ की चूँची को मसलते हुए कहा, “ठीक है नाज़ मेरी जान... मैं पहले तुम्हारी चूत चोदुँगा और अगर तुम चाहो तो बाद में मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा!”
अब मैंने नाज़ को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट के किनारे से पकड़ा दिया। मैं फिर नाज़ के पीछे जाकर उसकी चूत, जो कि पीछे से बाहर निकल आयी थी, अपनी जीभ से चूसने लगा। नाज़ मारे गर्मी के अपनी कमर आगे-पीछे कर रही थी। मैं अपने एक हाथ से नाज़ की चूँचियाँ मसलने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड नाज़ की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया। लंड अंदर जाते ही नाज़ हाय-हाय करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे-धीरे चोदने लगा। नाज़ कहने लगी, “हाय! बेहद अच्छा लग रहा है, तुम जरा जोर से अपना लंड अंदर बाहर पेलो। मेरे चूत में बेहद खुजली हो रही है। अब तुम जोर-जोर से चोदो मुझे!”
इतना सुनते ही मैं नाज़ पर पिल पड़ा और उसे जोर-जोर से चोदने लगा और अपनी एक अँगुली में थूक लगा कर उसकी गाँड के छेद में घुसा कर घुमाने लगा। उधर मनोज भी फ़रीदा को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गाँड में अपना लंड पेल चुका था। फ़रीदा अपना सैंडल वाला एक पैर उठा कर सीट पर रखा हुआ था और अपनी कमर हिला-हिला कर अपनी गाँड मनोज से मरवा रही थी और बोल रही थी, “देख नाज़... देख कैसे सर का लंड मेरी गाँड में घुस कर मेरी गाँड चोद रहा है। सच कह रही हूँ... मुझे गाँड चुदवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है। अब तू भी अमित से अपनी गाँड मरवा ले!”
“नहीं अम्मी, मुझे पहले अपनी चूत चुदवानी है। अमित से चूत चुदवाने में बेहद मज़ा आ रहा है मुझे! मैं बाद में अपनी गाँड में लंड पिलवाऊँगी। तुम अब मज़े से अपनी गाँड चुदवाओ,” नाज़ अपनी अम्मी से बोली। मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद नाज़ बोली, “अमित मुझे अपनी अम्मी के पास जाना है। तुम ऐसे ही चोदते-चोदते मुझे अम्मी के करीब ले चलो!” मैंने भी अपना लंड निकाले बगैर नाज़ को अपनी बाहों में भर लिया और फ़रीदा के पास ले गया।
नाज़ अपनी अम्मी के पास पहुँचते ही फ़रीदा की चूंची को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी और अपने हाथों को फ़रीदा की चूत पर रख दिया। फिर वो बोली, “अम्मी जब जब अब्बू तुमको चोदते थे... मैं छुप-छुप कर देखती थी और अपने चूत में उंगली किया करती थी और सोचती थी कि एक दिन मैं तुम्हारे करीब बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखुँगी। आज अल्लाह ने मेरी सुन ली और मैं तुम्हारे करीब खड़ी-खड़ी अपनी चूत में लंड चुदवाते हुए तुम्हें भी चुदते हुए देख रही हूँ!” यह कह कर नाज़ अपनी अम्मी की चूत सहलाने लगी।
हम लोगों ने अपने बिस्तर जमीन पर बिछा दिये और फिर फ़रीदा और नाज़ को साथ-साथ लिटा कर मैंने और मनोज ने उनकी चूत और गाँड खूब जम कर मारी। एक बार तो मैं फ़रीदा की गाँड मार रहा था और फ़रीदा नाज़ की चूत अपनी जीभ से चूस रही थी और मनोज अपना लंड नाज़ के मुँह में डाल कर चुसवा रहा था। फ़रीदा और नाज़ दोनों अपनी चूत और गाँड हम लोगों से मरवा कर बहुत खुश थीं और लौटने का प्रोग्राम भी हमने साथ-साथ बना डाला। यहाँ तक कि फ़रीदा ने अपने घर का पता और फोन नंबर भी मुझे दे दिया और बोली कि “दिल्ली लौट कर हमारे यहाँ जरूर आईयेगा... वहाँ मेरी सहेलियाँ भी होंगी जो कि अपनी चूत और गाँड तुमसे चुदवा कर खुश होंगी!”
इस तरह मैंने और मनोज ने अपने सफ़र का पूरा समय उन माँ और बेटी को चोदते हुए बिताया।
“नहीं बाबा, मुझे डर लग रहा है। मैंने पहले कभी गाँड नहीं मरवायी। पहले से ही मेरी चूत सर ने फाड़ रखी है और अब मैं अपनी गाँड अमित से नहीं फड़वाऊँगी!” नाज़ ने अपनी अम्मी से कहा तो फ़रीदा बोली, “अरे पगली! पहली मर्तबा शुरूआत में थोड़ा दर्द होगा लेकिन फिर मज़ा आयेगा! तू भी एक तगड़ा सा पैग मार ले फिर दर्द का एहसास भी कम होगा और मज़ा भी आयेगा!”
फ़रीदा ने खुद ही अपनी बेटी के लिये गिलास में व्हिस्की डाल कर उसे दी। फ़रीदा की आवाज़ और हावभाव से स्पष्ट था कि वो शराब के नशे में मदहोश थी। नाज़ अपनी अम्मी से शराब का गिलास लेकर उसी की तरह गटागट पी गयी। उसके बाद भी वो हिचकिचा रही थी तो मैंने नाज़ की चूँची को मसलते हुए कहा, “ठीक है नाज़ मेरी जान... मैं पहले तुम्हारी चूत चोदुँगा और अगर तुम चाहो तो बाद में मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा!”
अब मैंने नाज़ को सीट से उठा कर सीट के सहारे खड़ा कर दिया और उसका हाथ सीट के किनारे से पकड़ा दिया। मैं फिर नाज़ के पीछे जाकर उसकी चूत, जो कि पीछे से बाहर निकल आयी थी, अपनी जीभ से चूसने लगा। नाज़ मारे गर्मी के अपनी कमर आगे-पीछे कर रही थी। मैं अपने एक हाथ से नाज़ की चूँचियाँ मसलने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना लंड नाज़ की चूत पर रखा और धक्का मार कर उसको अंदर कर दिया। लंड अंदर जाते ही नाज़ हाय-हाय करने लगी लेकिन मैं उसको धीरे-धीरे चोदने लगा। नाज़ कहने लगी, “हाय! बेहद अच्छा लग रहा है, तुम जरा जोर से अपना लंड अंदर बाहर पेलो। मेरे चूत में बेहद खुजली हो रही है। अब तुम जोर-जोर से चोदो मुझे!”
इतना सुनते ही मैं नाज़ पर पिल पड़ा और उसे जोर-जोर से चोदने लगा और अपनी एक अँगुली में थूक लगा कर उसकी गाँड के छेद में घुसा कर घुमाने लगा। उधर मनोज भी फ़रीदा को सीट के सहारे झुका कर खड़ा कर के उसकी गाँड में अपना लंड पेल चुका था। फ़रीदा अपना सैंडल वाला एक पैर उठा कर सीट पर रखा हुआ था और अपनी कमर हिला-हिला कर अपनी गाँड मनोज से मरवा रही थी और बोल रही थी, “देख नाज़... देख कैसे सर का लंड मेरी गाँड में घुस कर मेरी गाँड चोद रहा है। सच कह रही हूँ... मुझे गाँड चुदवाने में बड़ा मज़ा आ रहा है। अब तू भी अमित से अपनी गाँड मरवा ले!”
“नहीं अम्मी, मुझे पहले अपनी चूत चुदवानी है। अमित से चूत चुदवाने में बेहद मज़ा आ रहा है मुझे! मैं बाद में अपनी गाँड में लंड पिलवाऊँगी। तुम अब मज़े से अपनी गाँड चुदवाओ,” नाज़ अपनी अम्मी से बोली। मैं उसकी इस तरह खुल्लम खुल्ला बात सुन कर बहुत खुश हुआ और उसकी चूत चोदता रहा। थोड़ी देर के बाद नाज़ बोली, “अमित मुझे अपनी अम्मी के पास जाना है। तुम ऐसे ही चोदते-चोदते मुझे अम्मी के करीब ले चलो!” मैंने भी अपना लंड निकाले बगैर नाज़ को अपनी बाहों में भर लिया और फ़रीदा के पास ले गया।
नाज़ अपनी अम्मी के पास पहुँचते ही फ़रीदा की चूंची को अपने मुँह में भर कर चूसने लगी और अपने हाथों को फ़रीदा की चूत पर रख दिया। फिर वो बोली, “अम्मी जब जब अब्बू तुमको चोदते थे... मैं छुप-छुप कर देखती थी और अपने चूत में उंगली किया करती थी और सोचती थी कि एक दिन मैं तुम्हारे करीब बैठ कर तुम्हारी चूत की चुदाई देखुँगी। आज अल्लाह ने मेरी सुन ली और मैं तुम्हारे करीब खड़ी-खड़ी अपनी चूत में लंड चुदवाते हुए तुम्हें भी चुदते हुए देख रही हूँ!” यह कह कर नाज़ अपनी अम्मी की चूत सहलाने लगी।
हम लोगों ने अपने बिस्तर जमीन पर बिछा दिये और फिर फ़रीदा और नाज़ को साथ-साथ लिटा कर मैंने और मनोज ने उनकी चूत और गाँड खूब जम कर मारी। एक बार तो मैं फ़रीदा की गाँड मार रहा था और फ़रीदा नाज़ की चूत अपनी जीभ से चूस रही थी और मनोज अपना लंड नाज़ के मुँह में डाल कर चुसवा रहा था। फ़रीदा और नाज़ दोनों अपनी चूत और गाँड हम लोगों से मरवा कर बहुत खुश थीं और लौटने का प्रोग्राम भी हमने साथ-साथ बना डाला। यहाँ तक कि फ़रीदा ने अपने घर का पता और फोन नंबर भी मुझे दे दिया और बोली कि “दिल्ली लौट कर हमारे यहाँ जरूर आईयेगा... वहाँ मेरी सहेलियाँ भी होंगी जो कि अपनी चूत और गाँड तुमसे चुदवा कर खुश होंगी!”
इस तरह मैंने और मनोज ने अपने सफ़र का पूरा समय उन माँ और बेटी को चोदते हुए बिताया।
!! समाप्त !!