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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
अब मैंने अपना मुँह कंबल से निकाल लिया और उनकी तरफ करवट ले कर उनके कारनामे देखने लगा। सर अब फ़रीदा को छोड़ कर फिर से नाज़ के पास पहुँच गये और उसे अपनी बांहों में लेकर उसकी चूत मसलने लगे। नाज़ ने चूत मसलने के साथ ही अपनी टाँगें फैला दीं और फिर एक पैर सीट पर रख दिया। अब सर झुक कर नाज़ की चूत में अपनी जीभ घुसेड़ कर उसको अपनी जीभ से चोदने लगे। यह  सब देख कर फ़रीदा जो अब तक खुद ही अपनी चूत में अँगुली अंदर बाहर कर रही थे, आगे बढ़ी और सर का फुला हुआ सूपाड़ा अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। तब सर ने नाज़ को सीट के किनारे टाँगें फैला कर बिठा दिया और उसके पैर सीट पर रख दिये। ऐसा करने से नाज़ की चूत अब बिल्कुल खुल कर सीट के किनारे आ गयी तो सर वहीं बैठ कर नाज़ की चूत को चाटने और चूसने लगे। फ़रीदा को भी अब ताव चढ़ चुका था और उसने सर के आगे बैठ कर सर का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसना शुरू कर दिया। मैं यह सब देख कर अपने आप को रोक ना सका और अपनी सीट पर बैठ गया। मुझको उठते देख कर तीनों घबड़ा गये और अपने-अपने कपड़े ढूँढने लगे। मैं हँस कर बोला,सॉरी, मैं आप लोगों को डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, लेकिन मैं अपने आप को रोक नहीं पाया। कोई बात नहीं आप लोग अपना काम जारी रखिये... मैं यहाँ बैठा हूँ।

अब तक फ़रीदा और नाज़ दोनों ने अपनी अपने जिस्म को अपने हाथों से ढक लिया था। फ़रीदा अपनी नज़र मेरी तरफ घुमा कर बोली, तुम कब से जागे हुए हो?”
 
अरे मैं सोया ही कब था कि जागुँगा!” मैंने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा तो फ़रीदा और नाज़ मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगीं और सर ने अपने नंगपने को ध्यान ना देते हुए मेरी तरफ मुड़ कर अपना हाथ मुझसे मिलाया और कहा, मेरा नाम मनोज शर्मा है और मैं आई-ओ-सी में काम करता हूँ। अब तुम जब हमारा कार्यक्रम देख चुके हो तो मैं तुम्हें हमारे साथ शामिल होने का निमंत्रण देता हूँ। अगर तुम्हें कोई आपत्ति ना हो तो?”
 
मैंने कहा, आपका निमंत्रण स्वीकार है और मुझे खुशी होगी आपके साथ जवानी का खेल खेलने में... वैसे इस खेल में मुझे कोई एक्सपीरियंस नहीं है!”
 
यह सुनकर माँ और बेटी दोनों ने मुस्कुरा दीं। फ़रीदा ने उठ कर कूपे की लाईट जला दी और मेरे पास आ कर मुझे पकड़ कर मेरे होठों को चूमते हुए बोली, एक्सपीरियंस नहीं है तो क्या हुआ... मुझे खूब एक्सपीरियंस है... मैं बनाऊँगी तुम्हें मर्द!
 
तब मैं फ़रीदा को अपनी बांहों में लेकर एक हाथ से उसकी चूँची मसलने लगा और दूसरा हाथ उसकी चूत पर ले जा कर चूत में अँगुली करने लगा। उधर मनोज ने अब नाज़ को सीट पर लिटा दिया था और उसकी चूत में अपनी अँगुली पेल रहा था और नाज़ मज़े से सिसकते हुए छटपता रही थी। नाज़ अपनी माँ को देख कर बोली, अम्मी सर का लौड़ा तो बेहद बड़ा है... मैंने इतना बड़ा लंड नहीं लिया कभी... इनका ये लौड़ा मैं कैसे झेलुँगी मैं अपनी चूत में?”
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 08:06 PM



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