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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
अब सर ने नाज़ के मैक्सी के अंदर से अपना हाथ निकल लिया और नाज़ की चूत पर अपना हाथ मैक्सी के ऊपर से रगड़ रहे थे और झुक-झुक कर उसकी चूचियों पर चुम्माँ दे रहे थे। थोड़ी देर के बाद वो नाज़ की मैक्सी फिर से अपने हाथों से टाँगों के ऊपर करने लगे और अबकी बार नाज़ अपनी मम्मी को मुस्कुराते हुए देखती रही और कुछ नहीं बोली। नाज़ का चुप रहना सर को और भड़का दिया और वो एक ही झटके के साथ नाज़ की मैक्सी पूरी तरह से खींच कर उसकी कमर पर ले आये। इससे नाज़ की चूत बिल्कुल खुल गयी। नाज़ की चूत दिखने में बहुत ही सुंदर थी। उसकी चूत पर भी एक भी बाल नहीं था और फ़रीदा की तरह ही चिकनी थी। बेटी की चूत देख कर फ़रीदा बोली, वाह! बेटी वाह! तूने बहुत ही अच्छी तरह से अपनी चूत साफ की है। तेरी चिकनी और गुलाबी चूत को देख कर मुझे इसे चूमने और चाटने का दिल कर रहा है। पता नहीं सर को कैसा लग रहा है!”

तब सर ने भी उसकी सुंदर सी चूत पर हाथ फेर कर कहा, हाँ फ़रीदा तुम्हारी बेटी की चूत बहुत ही सुंदर है और इसने बड़े करीने से अपनी चूत साफ की है। मुझे नाज़ की चूत पसंद आयी और मैं भी तुम्हारी तरह इसकी चूत को चूमना और चाटना चाहता हूँ!”
 
उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और नाज़ की कमर पकड़ कर उसकी मैक्सी अब उसके शरीर से अलग कर दी। अब नाज़ सीट के ऊपर बिल्कुल नंगी बैठी थी। सर अब फिर नाज़ के पास पहुँच कर उसकी चूँची से खेलने लगे। वो कभी उसकी चूँची को दोनों हाथों से पकड़ कर दबाते और मसलते तो कभी उसकी चूँची को अपने मुँह में भर कर उसकी घुंडी चूसते और जीभ से चुभलाते। धीरे-धीरे नाज़ के शरीर में भी अब काम-ज्वाला उठने लगी और वो अपने हाथों को उठा-उठा कर अँगड़ायी ले रही थी। उसकी साँसें अब फूल रही थी और साँसों के साथ-साथ उसकी चूँची भी अब उठ-बैठ रही थी। अब नाज़ से रहा नहीं गया और वो सीट पर लेट गयी। नाज़ के सीट पर लेटते ही सर अपना मुँह उसकी चूत के पास ले गये और नाज़ की चूत को ऊपर से चाटने लगे। थोड़ी देर के बाद सर ने नाज़ की टाँगों को अपने हाथों से पकड़ कर सीट पर फैला दिया और एक अँगुली उसकी चूत में डालने लगे। चूत पर अँगुली छूते ही नाज़ अपनी कमर नीचे से ऊपर करने लगी और मुँह से आह! आह! ओह! ओह! नहीं! ऊँह! ऊँह! की आवाज निकालने लगी।
 
फ़रीदा अपनी बेटी की कराहें सुन कर हँसती हुई बोली, देख नाज़! मज़ा आ रहा है ना! तेरे ऊपर जवानी का बुखार चड़ गया है और चूत की खुजली सर के शानदार लौड़े से ही जायेगी। अब तू सर का अज़ीम लौड़ा अपने हाथ में ले कर के देख... वो तुझे चोद कर बेइंतेहा मज़ा देने के लिये कितना बेकरार है!” यह कह कर फ़रीदा सर की तरफ देखने लगी। सर अब तक माँ-बेटी की बातें सुन रहे थे और अब उन्होंने फ़रीदा को अपनी बाहों में भर कर एक जोरदार चुम्मा दिया और उसकी चूँची मसलने लगे। फ़रीदा की चूँची मसलते-मसलते उन्होंने फ़रीदा का हाऊज़ कोट उतार दिया। अब माँ और बेटी के तन पर कोई कपड़ा नहीं था... दोनों सिर्फ पैरों में ऊँची-ऊँची हील की सैंडल पहने हुई थी। बस फ़र्क यह था कि बेटी सीट पर अपनी टाँगें फैलाये लेटी हुई थी और माँ सर के बाहों में खड़ी-खड़ी अपनी चूँची मसलवा रही थी। दोनों माँ और बेटी ने एक दूसरे की आँखों में झाँका और मुस्कुरा दीं। अब नाज़ अपने सीट पर बैठ गयी और अपने हाथ बढ़ा कर सर के साथ-साथ वो भी अपनी माँ की चूँची को मसलने लगी। थोड़ी देर के बाद नाज़ अपनी माँ की चूँची मसलते हुए उसकी टाँगों के बीच में नीचे बैठ गयी और अपनी माँ की चूत पर अपना मुँह रगड़ने लगी। फ़रीदा भी अपने हाथों से नाज़ का चेहरा अपनी चूत पर कस-कस कर दबाने लगी।
 
थोड़ी देर के बाद माँ और बेटी एक दूसरे से लिपट कर खड़ी रहीं और फिर उन्होंने आगे जा कर सर को पकड़ लिया। नाज़ ने सर के होठों का चुम्मा लेना शुरू किया और फ़रीदा सर की शॉर्ट्स हटा कर उनके लंड को पकड़ कर मरोड़ने लगी। सर का लंड देख कर मैं हैरान हो गया। उनके लंड की लंबाई लगभग दस इंच और मोटाई करीब तीन-चार इंच थी और सूपाड़ा फूल करके बिल्कुल एक छोटा सा टमाटर सा दिख रहा था।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 08:05 PM



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