23-07-2023, 08:04 PM
“अरे सर देख नहीं रहे कि नाज़ आपकी बात मानने के लिये तैयार है? अरे नाज़ मेरी ही बेटी है और आप जो भी कुछ कहेंगे... मेरी तरह नाज़ भी आपकी बात मानेगी।” इतना कह कर फ़रीदा फिर से सर के बगल में जा कर बैठ गयी और उन्हें अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया।
अब सर के दोनों हाथ माँ और बेटी की चूचियों से खेल रहे थे। माँ की चूचियों को वो हाऊज़ कोट के अंदर हाथ डाल कर मसल रहे थे और बेटी की चूचियों को उसकी मैक्सी के ऊपर से ही दबा रहे थे। यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गयी और मैं अपने कंबल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा। मुझे सर की किस्मत पर ईर्ष्या हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपनी हाथ से कंबल के अंदर सहला रहा था। फिर मैंने देखा कि सर ने अपना हाथ फ़रीदा के हाऊज़ कोट से निकाल कर उसके घुटने के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे फ़रीदा के घुटने और उसकी जाँघ को सहलाने लगे। अपनी जाँघ पर सर का हाथ पड़ते ही फ़रीदा ने अपनी टाँगें, जो कि एक दूसरे के ऊपर थीं, खोल कर फैला दिया और अपने ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल युक्त पैर सामने वाली बर्थ पे रख दिये। उधर सर अपना हाथ अब नाज़ के मैक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूँची को मसल रहे थे और झुक-झुक कर उन्हें मैक्सी के ऊपर से चूम रहे थे। फिर सर अपने हाथ से फ़रीदा का हाऊज़ कोट ऊपर करने लगे और हाऊज़ कोट ऊपर करके फ़रीदा की चूत पर हाथ फेरने लगे। फ़रीदा की चूत उस हल्की रोशनी में भी मुझको साफ-साफ दिखायी दे रही थी और मैंने देखा कि फ़रीदा की चूत पर कोई बाल नहीं है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रही है।
थोड़ी देर के बाद सर ने अपना हाथ नाज़ की मैक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने लगे। नाज़ बार-बार अपनी मम्मी की तरफ शर्मिंदगी से देख रही थी लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी। फिर सर ने फ़रीदा की चूत पर से हाथ निकाल कर नाज़ की मैक्सी धीरे-धीरे टाँगों पर से उठाने लगे। नाज़ अपने हाथों से अपनी मैक्सी पकड़े हुए थी। फ़रीदा अपनी जगह से फिर उठ कर नाज़ के पास गयी और उसको चूमते हुए बोली, “बेटी आज मौका है मज़े कर लो, मैंने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पायी थी। वैसे सर बहुत अच्छे इंसान हैं और बहुत ही आराम-आराम से करेंगे... तुझे बिल्कुल तकलीफ नहीं होगी। बस तू चुपचाप जैसा सर कहें... करती चल, तुझे बेहद मज़ा आयेगा और तुझे नौकरी भी मिल जायेगी!”
इतना कह कर फ़रीदा ने नाज़ के गाल पर और उसकी चूँची पर हाथ फेरा और फिर अपनी जगह आ कर बैठ गयी। तब नाज़ अपनी मम्मी से बोली, “अम्मी ये आप क्या कह रही हैं? आप मुझसे तो ऐसी बातें कभी नहीं करती थीं!”
फ़रीदा अपनी बेटी की चूँची पर हाथ फेरते हुए बोली, “अरे बेटी, यह तो वक़्त-वक़्त की बात है और जब हम दोनों ही सर से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने वाली हैं, मतलब कि जब सर हम दोनों को ही चोदेंगे, तो फिर आपस में कैसा पर्दा। अब हम दोनों सहेलियों की तरह हैं और चुदाई के वक़्त खुल कर बात करनी चाहिये और अब तुम भी खुल कर बातें करो जैसे अपनी बाकी सहेलियों और बॉय-फ्रेंड्स के साथ करती हो!”
नाज़ अपनी माँ की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, “ठीक है, जैसा आप कहती हैं, अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई की ज़ुबान में बातें करूँगी!”
अब सर के दोनों हाथ माँ और बेटी की चूचियों से खेल रहे थे। माँ की चूचियों को वो हाऊज़ कोट के अंदर हाथ डाल कर मसल रहे थे और बेटी की चूचियों को उसकी मैक्सी के ऊपर से ही दबा रहे थे। यह सब देख कर मेरी नींद आँखों से बिल्कुल साफ हो गयी और मैं अपने कंबल के कोने से नीचे की तरफ देखने लगा। मुझे सर की किस्मत पर ईर्ष्या हो रही थी और मेरा लंड खड़ा हो गया था जिसे मैं अपनी हाथ से कंबल के अंदर सहला रहा था। फिर मैंने देखा कि सर ने अपना हाथ फ़रीदा के हाऊज़ कोट से निकाल कर उसके घुटने के ऊपर रख दिया और धीरे-धीरे फ़रीदा के घुटने और उसकी जाँघ को सहलाने लगे। अपनी जाँघ पर सर का हाथ पड़ते ही फ़रीदा ने अपनी टाँगें, जो कि एक दूसरे के ऊपर थीं, खोल कर फैला दिया और अपने ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल युक्त पैर सामने वाली बर्थ पे रख दिये। उधर सर अपना हाथ अब नाज़ के मैक्सी के अंदर डाल कर के उसकी चूँची को मसल रहे थे और झुक-झुक कर उन्हें मैक्सी के ऊपर से चूम रहे थे। फिर सर अपने हाथ से फ़रीदा का हाऊज़ कोट ऊपर करने लगे और हाऊज़ कोट ऊपर करके फ़रीदा की चूत पर हाथ फेरने लगे। फ़रीदा की चूत उस हल्की रोशनी में भी मुझको साफ-साफ दिखायी दे रही थी और मैंने देखा कि फ़रीदा की चूत पर कोई बाल नहीं है और उसकी चूत अपने पानी से भीग कर चमक रही है।
थोड़ी देर के बाद सर ने अपना हाथ नाज़ की मैक्सी के अंदर से निकाल लिया और उसकी चूत पर मैक्सी के ऊपर से ही हाथ फेरने लगे। नाज़ बार-बार अपनी मम्मी की तरफ शर्मिंदगी से देख रही थी लेकिन कुछ कह नहीं पा रही थी। फिर सर ने फ़रीदा की चूत पर से हाथ निकाल कर नाज़ की मैक्सी धीरे-धीरे टाँगों पर से उठाने लगे। नाज़ अपने हाथों से अपनी मैक्सी पकड़े हुए थी। फ़रीदा अपनी जगह से फिर उठ कर नाज़ के पास गयी और उसको चूमते हुए बोली, “बेटी आज मौका है मज़े कर लो, मैंने भी अपनी नौकरी इसी तरह से पायी थी। वैसे सर बहुत अच्छे इंसान हैं और बहुत ही आराम-आराम से करेंगे... तुझे बिल्कुल तकलीफ नहीं होगी। बस तू चुपचाप जैसा सर कहें... करती चल, तुझे बेहद मज़ा आयेगा और तुझे नौकरी भी मिल जायेगी!”
इतना कह कर फ़रीदा ने नाज़ के गाल पर और उसकी चूँची पर हाथ फेरा और फिर अपनी जगह आ कर बैठ गयी। तब नाज़ अपनी मम्मी से बोली, “अम्मी ये आप क्या कह रही हैं? आप मुझसे तो ऐसी बातें कभी नहीं करती थीं!”
फ़रीदा अपनी बेटी की चूँची पर हाथ फेरते हुए बोली, “अरे बेटी, यह तो वक़्त-वक़्त की बात है और जब हम दोनों ही सर से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने वाली हैं, मतलब कि जब सर हम दोनों को ही चोदेंगे, तो फिर आपस में कैसा पर्दा। अब हम दोनों सहेलियों की तरह हैं और चुदाई के वक़्त खुल कर बात करनी चाहिये और अब तुम भी खुल कर बातें करो जैसे अपनी बाकी सहेलियों और बॉय-फ्रेंड्स के साथ करती हो!”
नाज़ अपनी माँ की बात सुन कर मुस्कुरा दी और बोली, “ठीक है, जैसा आप कहती हैं, अब मैं भी लंड, चूत और चुदाई की ज़ुबान में बातें करूँगी!”