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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
तभी वो शख्स झटके से उठा और नीचे बैठ गया। अब शबाना सीट पर बैठी थी और वो शख्स नीचे बैठा था। अब चादर संभालने की बारी शबाना की थी। उसे पता था उसकी चूत का रस पीया जाने वाला है। उसने अपनी गाँड आगे की तरफ़ सरका कर सीट के कोने पर पहुँचा दी ताकि उसकी नरम मुलायम गुलाबी चूत तक पहुँचने में उस शख्स की जीभ को आसानी हो और उसकी चूत के अंदर तक घुसकर उसे पूरी तरह से मस्त कर दे वो लपलपाती हुई जीभ। उस आदमी ने शबाना की जाँघों को फैला कर उसकी चूत की दोनों फ़ाँखों को अपने अंगूठे से फैला दिया। शबाना भी अपना एक पैर उस आदमी की टाँगों के बीच में ले जाकर उसके लण्ड को अपने ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल के तलवे से सहलाती तो कभी सैंडल के पंजे से दबाती। शबाना को अपनी चूत के अंदर गहरायी तक जीभ के जाने का एहसास हो रहा था। उसकी गाँड अपने आप हिलने लगी। उस शख्स ने अपनी एक उंगली उसकी चूत में ढकेल दी और उस उंगली के ऊपर से ही उसकी चूत को अपने दोनों होंठों के बीच दबा लिया और शबाना को तो जैसे जन्नत नसीब हो गयी। उसकी चूत में उंगली और जीभ में जैसे होड़ लगी हुई थी और वो दोनों एक दूसरे से आगे निकलने की कोशिश कर रहे थीं। अचानक शबाना की कमर ऐंठने लगी और वो बिल्कुल अकड़ गयी। उसकी गाँड सीट से एक-दो सेकेंड के लिये हवा में उछली और उस शख्स के मुँह पर रस की बौछार कर दी।

अब वो आदमी उठा और शबाना के बगल में खिड़की वाली सीट पर बैठ गया। उसने शबाना का हाथ पकड़ा और अपने लण्ड पर रख दिया। शबाना अब भी बाँये हाथ से पतली सी चादर को पकड़े हुए थी। उसकी चूत में लण्ड नहीं जाने की वजह से वो अब भी मदमस्त थी और उसकी प्यास अब भी जवान थी। उसने लण्ड को अपनी हथेली में दबाते हुए थोड़ा संयत होने की नाकाम कोशिश की और फिर वो खुद अपनी उंगली चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी। वो आदमी समझ गया कि अब चूत में लण्ड घुसाना ज़रूरी है। उसने अपनी पैंट उतार दी और सीट के बीच में बने हत्थे को ऊँचा कर दिया और बीच में बैठ गया। फिर उसने शबाना को कमर से उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया और उसे एक दम आगे झुका दिया। अब उस आदमी की टाँगें शबाना की फैली टाँगों के बीच में थीं, और उसका लण्ड शबाना की गाँड पर लग रहा था। शबाना के लिये और आगे झुकना मुश्किल था। तभी उसने शबाना की गाँड के नीचे हाथ डाला और उसे उठा लिया, और अपना लण्ड उसी हाथ के अंगूठे से शबाना के नीचे सरका दिया। शबाना भी समझ गयी वो क्या करना चाहता है। शबाना ने भी अपना हाथ नीचे डाला और उसके लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर टिका लिया और फिर सही पोज़िशन में आकर लण्ड पर बैठ गयी। लण्ड उसकी भीगी हुई चूत में अंदर तक फिसलता चला गया। लेकिन अब मुश्किल ये थी कि धक्के लगायें कैसे। शबाना भी ऊफर-नीचे उछल नहीं सकती थी क्योंकि उस आदमी की गोद में बैठने की वजह से शबाना के पैर भी ज़मीन पर ठीक से नहीं पहुँच रहे थे। उसकी सैंडलों की ऊँची ऐड़ियाँ हवा में उठी थीं, बस पंजे ही बस के फर्श पर टिके थे। एक दम प्यासी चूत में लण्ड तो घुस गया था, लेकिन बिना धक्कों के वो लण्ड सिर्फ़ एक लकड़ी  का टुकड़ा था - ऐसा ही जैसे गरम पानी करने के लिये हीटर की रॉड को तो पानी में डाल दिया, मगर बिजली चली गयी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 07:37 PM



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