23-07-2023, 07:30 PM
वो अपनी चुदाई के बारे में सोच-सोच कर मस्तिया रही थी। उसकी चूत और गाँड अब भी लण्ड खाने के लिये बिल्कुल तैयार थी। शबाना अब बिल्कुल रंडी बन चुकी थी, और हर वक्त उसके ज़हन में लण्ड और चुदाई के ही ख्याल आते थे। बस चल चुकी थी। करीब दो घंटे बाद बस रुकी थी चाय नाश्ते के लिये और फिर पंद्रह-बीस मिनट में चल दी।
शबाना को शराब के नशे की वजह से काफी नींद आ रही थी। तभी उसकी बगल में बैठी औरत ने अपना सर शबाना के कंधे पर रख दिया। शबाना ने एक-दो बार तो उसका सिर उठा दिया, लेकिन वो हर बार फिर शबाना के कंधे पर सिर रख देती। आखिर शबाना ने समझौता कर लिया, और उसके सिर पर अपना सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगी। लाइट बंद होने की वजह से बस में बिल्कुल अन्धेरा हो गया था। अचानक शबाना ने अपनी आँखें खोली जब उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसे लगा पास बैठी औरत का हाथ होगा। फिर ध्यान से देखा तो पता चला उस औरत के दोनों हाथ आगे ही थे। वो समझ गयी उसके पीछे बैठे किसी आदमी ने उसकी और उस बाजू वाली औरत की सीट के बीच में जो जगह थी, वहाँ से हाथ अंदर डाला था। अभी तक उस हाथ ने कोई हरकत नहीं कि थी। शबाना के मन में उम्मीद जागी लेकिन वो चुपचाप बैठी रही। उसकी चुदाई की आदत की वजह से वो उसकी लण्ड की भूख जाग गयी थी।
अब वो हाथ उसकी कमर को सहलाने लगा और शबाना की गरमी भी परवान चढ़ने लगी थी। मगर उसके पास वाली औरत ने अब भी अपना सिर उसके कंधों पर रखा हुआ था। शबाना को डर था कि वो उठ जायेगी। वो थोड़ी नीचे सरक गयी और अब उस बाजू वाली औरत को काफी झुकना पड़ रहा था। उस औरत ने अपना सिर उसके कंधों पर से हटा लिया और दूसरी तरफ़ खिड़की पर रख लिया। उस पीछे वाले आदमी का हाथ अब शबाना की कमर की जगह बिल्कुल उसकी बगल में आ गया था। उसने अपने हाथ को और आगे किया और शबाना के उभरे हुए मम्मों को दबाने लगा। शबाना उसकी हिम्मत से हैरान थी लेकिन वो खुद भी मस्तिया रही थी और वो चुपचाप मज़े ले रही थी। तभी उस आदमी ने दूसरी तरफ़ से भी अपना हाथ डाल दिया और शबाना के दोनों मम्मों को दबाने लगा। शबाना का मन अब बुरक़े को उतार फेंकने को हो रहा था। वो इस छुआछुई के खेल को अगली सीढ़ी पर ले जाना चाहती थी।
शबाना को शराब के नशे की वजह से काफी नींद आ रही थी। तभी उसकी बगल में बैठी औरत ने अपना सर शबाना के कंधे पर रख दिया। शबाना ने एक-दो बार तो उसका सिर उठा दिया, लेकिन वो हर बार फिर शबाना के कंधे पर सिर रख देती। आखिर शबाना ने समझौता कर लिया, और उसके सिर पर अपना सिर रख कर सोने की कोशिश करने लगी। लाइट बंद होने की वजह से बस में बिल्कुल अन्धेरा हो गया था। अचानक शबाना ने अपनी आँखें खोली जब उसे अपनी कमर पर किसी का हाथ महसूस हुआ। उसे लगा पास बैठी औरत का हाथ होगा। फिर ध्यान से देखा तो पता चला उस औरत के दोनों हाथ आगे ही थे। वो समझ गयी उसके पीछे बैठे किसी आदमी ने उसकी और उस बाजू वाली औरत की सीट के बीच में जो जगह थी, वहाँ से हाथ अंदर डाला था। अभी तक उस हाथ ने कोई हरकत नहीं कि थी। शबाना के मन में उम्मीद जागी लेकिन वो चुपचाप बैठी रही। उसकी चुदाई की आदत की वजह से वो उसकी लण्ड की भूख जाग गयी थी।
अब वो हाथ उसकी कमर को सहलाने लगा और शबाना की गरमी भी परवान चढ़ने लगी थी। मगर उसके पास वाली औरत ने अब भी अपना सिर उसके कंधों पर रखा हुआ था। शबाना को डर था कि वो उठ जायेगी। वो थोड़ी नीचे सरक गयी और अब उस बाजू वाली औरत को काफी झुकना पड़ रहा था। उस औरत ने अपना सिर उसके कंधों पर से हटा लिया और दूसरी तरफ़ खिड़की पर रख लिया। उस पीछे वाले आदमी का हाथ अब शबाना की कमर की जगह बिल्कुल उसकी बगल में आ गया था। उसने अपने हाथ को और आगे किया और शबाना के उभरे हुए मम्मों को दबाने लगा। शबाना उसकी हिम्मत से हैरान थी लेकिन वो खुद भी मस्तिया रही थी और वो चुपचाप मज़े ले रही थी। तभी उस आदमी ने दूसरी तरफ़ से भी अपना हाथ डाल दिया और शबाना के दोनों मम्मों को दबाने लगा। शबाना का मन अब बुरक़े को उतार फेंकने को हो रहा था। वो इस छुआछुई के खेल को अगली सीढ़ी पर ले जाना चाहती थी।