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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
भाग - ७
 
बस लग गयी थी और शबाना अपनी सीट पर बैठ गयी। उसने अशरफ़ को जाने के लिये कह दिया ताकि अशरफ़ वक्त पर घर पहुँच जाये। अशरफ़ निकल गया और तभी अनाउन्समेन्ट हुई कि खराबी की वजह बस तीन घंटे देरी से निकलेगी। शबाना को गुस्सा तो बहुत आया मगर करती भी क्या। बैठे-बैठे उसे फिर उस रात को अपने बलात्कार के दौरान मिले दर्द और अजीब से मज़े का मिलजुला एहसास याद आने लगा। फिर कुछ सोचकर उसने अपना सामान उठाया और उसी पगडंडी वाले रास्ते से छेद्दीलाल के घर पहुँच गयी। उस कच्चे घर में से कुछ आवाज़ें आ रही थी। उसने खिड़की से झाँक कर देखा तो उसकी आँखें फटी रह गयी। अंदर छेद्दीलाल, लखन और उसका भाई अशरफ़ थे। तीनों बिल्कुल नंगे थे और लखन अशरफ़ की गाँड मार रहा था और छेद्दीलाल उसे अपना लण्ड चुसा रहा था।

तभी उसके पीछे से किसी ने जकड़ लिया। शबाना ने घूम कर देखा तो ये शम्भू था। शम्भू के हाथ में सस्ती शराब की बोतल थी। शम्भू ने शराब की एक घूँट भरी और शबाना के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और उसके बुरक़े को उतार फेंका। शबाना की साड़ी भी एक ही झटके में शंभू ने आगे से पकड़ कर खींचते हुए उतार दी और फिर नाड़ा खींचते ही उसका पेटीकोट भी फ़िसल कर नीचे गिर गया। आज भी शबाना ने पैंटी नहीं पहनी थी। अब उसके जिस्म पर सिर्फ छोटा सा बिकिनी-ब्लाउज़ और सदा की तरह पैरों में ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल थे। शंभू ने फिर बोतल मुँह से लगा कर शराब का घूँट पिया और शबाना की तरफ बोतल बढ़ा दी, ये ले... पियेगी?”
 
शबाना कुछ नहीं बोली और चुपचाप शम्भू से वो बोतल लेकर शराब के दो-तीन घूँट पी लिये। शम्भू ने उसे बरामदे  में  पास पड़ी खटिया पर गिरा लिया और नीचे बैठ कर उसकी टाँगों को उठा कर उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। शबाना भूल गयी कि अंदर उसका भाई गाँड मरवा रहा है। शबाना की सिसकारियाँ छूटने लगीं। शराब की बोतल शबाना के हाथ में ही थी और वो मस्ती में अपनी चूत चुसवाते हुए बीच-बीच में उसमें से शराब पी रही थी। शम्भू ने उसकी चूत में उंगली घुसायी और अंदर बाहर करने लगा। ऐसा करते हुए वो उसकी चूत को चूसे जा रहा था। शबाना की चूत से पानी बहने लगा।
 
फिर शम्भू ने अपनी लुंगी उठायी और शबाना के सामने खड़ा हो गया। शबाना ने उसके लण्ड को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। इसी  लिये तो आयी थी वो यहाँ... फिर से चुदाई करवाने... लण्ड खाने! तीन घंटे थे बस छूटने में और वो इन तीन घंटों में खूब मज़े करना चाहती थी... अपनी चूत को लण्ड खिलाना चाहती थी। अब शराब का नशा भी उस पर चढ़ने लगा था। उसने शम्भू को खटिया पर लिटाया और उसकी गोटियाँ चूमने लगी। शम्भू के लण्ड को ऊपर नीचे करते हुए उसकी चमड़ी से अंदर बाहर होते हुए सुपाड़े को प्यार से चूमने लगी। उसने शम्भू की टाँगों को उठाया और उसकी पसीने से भीगी हुई गाँड चाटने लगी। वो शम्भू की गाँड में अपनी जीभ घुसा-घुसा कर चाट रही थी। शम्भू के पसीने भरी गाँड की तीखी महक उसे और पागल कर रही थी। अब वो शम्भू पर चढ़ बैठी और उसका लण्ड अपनी चूत में घुसा कर उछलने लगी। सस्ती  देसी शराब की बोतल अब भी उसके हाथ में थी और शम्भू के लण्ड पर उछलती हुई वो बीच-बीच में बोतल मुँह से लगा कर शराब पी रही थी। शम्भू का लण्ड उसकी चूत में घुसा हुआ था उसके पेट तक जा रहा था। शबाना की सिसकारियाँ तेज़ होने लगी। वो झड़ने वाली थी और उसने पलट कर शम्भू को झटके से अपने ऊपर ले लिया। शम्भू भी उसके ऊपर चढ़ गया और शबाना की दोनों टाँगें उठाकर अपने कंधों पर रख लीं और तेज़ी से झटके देने लगा। शबाना की तो चींखें निकलने लगीं। उसकी गाँड हवा में हिलने लगी और आँखें बंद हो गयी और उसने पानी छोड़ दिया।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 07:28 PM



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