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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
छेद्दीलाल और शम्भू उसे सहारा देकर खेत में ही पास में एक छोटे से मकान में ले गये - जो कि छेद्दीलाल का था। वहाँ पर शबाना ने खुद को थोड़ा साफ किया और कपड़े बदले। शबाना से ठीक तरह से खड़े भी नहीं हुआ जा रहा था। उसने एक ग्लास दूध पिया, थोड़े बिस्कुट खाये। फिर उसकी हालत थोड़ी ठीक हुई। जो लोग कुछ देर पहले दरिंदों की तरह उसका बलात्कार कर रहे थे वो ही अब उसकी खातिरदारी भी कर रहे थे। फिर शम्भू ने उसे चौंक तक छोड़ दिया, लेकिन दूर से ही।

आपा! इतनी देर कैसे लग गयी आने में? मैं कब से आपका फोन ट्राई कर रहा था लेकिन स्विच ऑफ आ रहा था!
 
ऐसे ही ज़रा रास्ता भटक गयी थी... अब जल्दी से चल! शबाना ने कुछ भी बताना ठीक नहीं समझा।
 
ये आपके चेहरे पर निशान कैसे हैं? क्या हुआ?” 
 
कुछ नहीं हुआ! तू चल अब!
 
अशरफ़ ने गाड़ी स्टार्ट की और वो घर आ गये। अगले दिन अशरफ़ की सगाई हो गयी और तीसरे दिन उसने घर लौटना था। इन दोनों रातों को शबाना को बस शम्भू, लखन और छेद्दीलाल से चुदाई के ही ख्वाब आते थे और उसकी चूत भीग जाती। जागते हुए भी अक्सर उसी वाकये का ख्याल आ जाता और उसके होंठों पर शरारत भरी मुस्कुराहट फैल जाती और गाल लाल हो जाते। उस का मन होता कि कब अपने घर वापस जाये और प्रताप और जगबीर के साथ चुदाई के मज़े लूटे। तीसरे दिन रात की नौ बजे  उसने बस पकड़नी थी। पूरी रात का सफ़र था और अगले दिन परवेज़ उसे लेने आने वाले थे।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 07:26 PM



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