23-07-2023, 07:25 PM
“बस साली कुत्तिया! मेरा लण्ड भी खा ले, फिर छोड़ देंगे!” कहते हुए शम्भू ने उसकी दोनों टाँगों को उठा कर उसके पैरों को अपने कंधों पर रखा और उसकी चूत में लण्ड घुसा दिया। दर्द के मरे शबाना की आँखें फैल गयीं मगर मुँह से आवाज़ नहीं निकाली। शम्भू ने ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। शबाना की चूत जैसे फैलती जा रही थी और शम्भू का लण्ड उसे किसी खंबे की तरह महसूस हो रहा था। शबाना ने इतना मोटा लण्ड पहले कभी नहीं लिया था। फिर शम्भू ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। शबाना एक मुर्दे की तरह उसके नीचे लेटी हुई पिस रही थी और शम्भू का पानी गिर जाने का इंतज़ार कर रही थी। उसका अंग-अंग दुख रहा था और वो बिल्कुल बेबस लेटी हुई थी। शम्भू उसे लण्ड खिलाये जा रहा था। फिर शबाना को महसूस हुआ कि इतने दर्द के बावजूद उसकी चूत में से पानी बह रहा था और मज़ा भी आने लगा था। तभी शम्भू ने ज़ोरदार झटके मारने शुरू कर दिये और शबाना की आँखों में आँसू आ गये और उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी चुदी चुदाई चूत जो कि कईं लण्ड खा चुकी थी, जैसे फट गयी थी। फिर भी इतना दर्द झेलते हुए भी उसकी चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और झड़ गयी। शम्भू का पानी भी उसके चूत के पानी में मिला गया। इतनी दर्द भरी चुदाई के बाद किसी तरह से शबाना अभी भी होश में थी।
वो बुरी तरह हाँफ रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी बेरहम और दर्दनाक वहशियाना चुदाई के बावजूद कहीं ना कहीं उसे मज़ा भी ज़रूर आया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी फटी हुई चूत ने भी कैसे झड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया था जिसमें कि इस वक्त भी बे-इंतेहा दर्द हो रहा था। थोड़ी देर के बाद किसी तरह वो बैठ सकी थी। “मैं घर कैसे जाऊँगी? मेरा सामान तो ढूँढने में मेरी मदद करो!”
“तेरा सामान यहीं है… और हाँ मैंने फोन भी बंद कर दिया था!” कहते हुए लखन ने घास के धेर के पास रखे हुए सामान की तरफ़ इशारा किया। यही वजह थी लखन के देर से आने की।
वो बुरी तरह हाँफ रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि इतनी बेरहम और दर्दनाक वहशियाना चुदाई के बावजूद कहीं ना कहीं उसे मज़ा भी ज़रूर आया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसकी फटी हुई चूत ने भी कैसे झड़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया था जिसमें कि इस वक्त भी बे-इंतेहा दर्द हो रहा था। थोड़ी देर के बाद किसी तरह वो बैठ सकी थी। “मैं घर कैसे जाऊँगी? मेरा सामान तो ढूँढने में मेरी मदद करो!”
“तेरा सामान यहीं है… और हाँ मैंने फोन भी बंद कर दिया था!” कहते हुए लखन ने घास के धेर के पास रखे हुए सामान की तरफ़ इशारा किया। यही वजह थी लखन के देर से आने की।