23-07-2023, 07:23 PM
शबाना ने फिर हिम्मत जुटायी और ज़ोर से छेद्दीलाल को धक्का दिया। तभी शम्भू ने उसके दोनों हाथों को पकड़ कर उन्हें उसके सिर के ऊपर तक उठा दिया और नीचे छेद्दी ने उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना पायजामा भी। उसने अंडरवीयर नहीं पहनी थी और शबाना की नज़र सीधे उसके लण्ड पर गयी और उसने अपनी टाँगें फिर से जोड़ लीं। वो सिर्फ अब ऊँची ऐड़ी के सुनहरी सैंडल पहने बिल्कुल नंगी घास के ढेर पर पीठ के बल लेटी हुई थी। उसके हाथ उसके सर के ऊपर से शम्भू ने पकड़ रखे थे और नीचे छेद्दीलाल उसकी चुदाई की तैयारी में था। शबाना इस चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी और वो अब भी चींख रही थी। “और चींख रंडी! यहाँ कौन सुनने वाला है तेरी...? आराम से चुदाई करवा ले तो तुझे भी मज़ा आयेगा!” शम्भू ने उसके हाथों को ज़ोर से दबाते हुए कहा। शबाना को शम्भू कर सिर्फ़ चेहरा नज़र आ रहा था क्योंकि वो उसके सिर के पीछे बिठा हुआ था। “छेद्दी! ये मुआ लखनपाल कहाँ मर गया?” “आता ही होगा!” अब शबाना समझ गयी कि इनका एक और साथी भी है।
तभी किसी ने उसकी चूचियों को ज़ोर से मसल दिया। ये लखन था। “क्या माल मिला है... आज तो खूब चुदाई होगी!” लखन ने उसकी एक टाँग पकड़ी और ज़ोर से खींच कर दूसरी टाँग से अलग कर दी। छेद्दीलाल तो जैसे मौके की ताक में था। उसने झट से शबाना की दूसरी टाँग को उठाया और सीधे शबाना की चूत में लण्ड घुसेड़ दिया और शबाना के ऊपर लेट गया। शबाना की चूत बिल्कुल सूखी थी क्योंकि वो चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका बलात्कार हो रहा है, और वो भी तीन-तीन मर्द उसको चोदने वाले हैं... वो भी ज़बरदस्ती। वैसे तो चुदाई के लिये वो खुद हमेशा तैयार रहती थी लेकिन ये हालात और इन लोगों का तबका और रवैया उसे गवारा नहीं हो रहा था। इन जानवरों को तो सिर्फ अपनी इशरत और तसल्ली से मतलब था और उसकी खुशी या खैरियत की ज़रा भी परवाह नहीं थी।
तभी उसकी चूत पर एक ज़ोरदार वार हुआ और उसकी चींख निकाल गयी। उसकी सूखी हुई चूत में जैसे किसी ने मिर्च रगड़ दी हो। छेद्दीलाल एक दम ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा था। शबाना की एक टाँग लखन ने इतनी बाहर की तरफ खींच दी थी कि उसे लग रहा था कि वो टूट जायेगी। उसके दोनों हाथ शम्भू ने कस कर पकड़ रखे थे और वो हिल भी नहीं पा रही थी। अब छेद्दीलाल उसे चोदे जा रहा था और उसके धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी। हालात कितने भी नागवार थे लेकिन शबाना थी तो असल में एक नम्बर की चुदासी। इसलिये ना चाहते हुए भी शबाना को भी अब धीरे-धीरे मज़ा आने लगा था और उसकी गाँड उठने लगी थी। उसकी चूत भी अब पहले की तरह सूखी नहीं थी और भीगने लगी थी। तभी छेद्दीलाल ने ज़ोर से तीन-चार ज़ोर के धक्के लगाये और अपना लण्ड बाहर खींच लिया। अब लखन ने उसे उलटा लिटा दिया।
तभी किसी ने उसकी चूचियों को ज़ोर से मसल दिया। ये लखन था। “क्या माल मिला है... आज तो खूब चुदाई होगी!” लखन ने उसकी एक टाँग पकड़ी और ज़ोर से खींच कर दूसरी टाँग से अलग कर दी। छेद्दीलाल तो जैसे मौके की ताक में था। उसने झट से शबाना की दूसरी टाँग को उठाया और सीधे शबाना की चूत में लण्ड घुसेड़ दिया और शबाना के ऊपर लेट गया। शबाना की चूत बिल्कुल सूखी थी क्योंकि वो चुदाई के लिये बिल्कुल तैयार नहीं थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका बलात्कार हो रहा है, और वो भी तीन-तीन मर्द उसको चोदने वाले हैं... वो भी ज़बरदस्ती। वैसे तो चुदाई के लिये वो खुद हमेशा तैयार रहती थी लेकिन ये हालात और इन लोगों का तबका और रवैया उसे गवारा नहीं हो रहा था। इन जानवरों को तो सिर्फ अपनी इशरत और तसल्ली से मतलब था और उसकी खुशी या खैरियत की ज़रा भी परवाह नहीं थी।
तभी उसकी चूत पर एक ज़ोरदार वार हुआ और उसकी चींख निकाल गयी। उसकी सूखी हुई चूत में जैसे किसी ने मिर्च रगड़ दी हो। छेद्दीलाल एक दम ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा था। शबाना की एक टाँग लखन ने इतनी बाहर की तरफ खींच दी थी कि उसे लग रहा था कि वो टूट जायेगी। उसके दोनों हाथ शम्भू ने कस कर पकड़ रखे थे और वो हिल भी नहीं पा रही थी। अब छेद्दीलाल उसे चोदे जा रहा था और उसके धक्कों की रफ़्तार तेज़ हो गयी थी। हालात कितने भी नागवार थे लेकिन शबाना थी तो असल में एक नम्बर की चुदासी। इसलिये ना चाहते हुए भी शबाना को भी अब धीरे-धीरे मज़ा आने लगा था और उसकी गाँड उठने लगी थी। उसकी चूत भी अब पहले की तरह सूखी नहीं थी और भीगने लगी थी। तभी छेद्दीलाल ने ज़ोर से तीन-चार ज़ोर के धक्के लगाये और अपना लण्ड बाहर खींच लिया। अब लखन ने उसे उलटा लिटा दिया।