23-07-2023, 07:13 PM
जगबीर ऊपर चढ़ गया और उसके होंठों को चूमने लगा। शबाना ने जगबीर की बालों से भरी छाती पर हाथ फिराने शुरू कर दिये। अच्छा लगता था उसे जब जगबीर की बालों से भरी छाती उसके चिकने और भरे हुए मम्मों को रगड़ती थी। अजीब तरह की गुदगुदी सी होती थी उसे। अब शबाना बैठ गयी और उसने जगबीर की पैंट के बटन खोले और उसकी पैंट और अंडरवीयर निकाल कर फेंक दिये। उसने जगबीर के लण्ड को अपने हाथों में लिया और उसकी जड़ से टोपी तक अपना हाथ ऊपर नीचे करने लगी। उसके लण्ड की चमड़ी के पीछे होते ही उसका लाल-लाल गोल सुपाड़ा जैसे हमले की तैयारी में नज़र आता था। शबाना झुकी और जगबीर का लण्ड चूसना शुरू कर दिया। उसने जगबीर के लण्ड के सुपाड़े को मुँह में लिया और उसका स्वाद अपनी जीभ पर महसूस करने लगी। उसकी जीभ जगबीर के लण्ड के मूतने वाले छेद में घुसने की कोशिश कर रही थी। उसके सुपाड़े को अपनी जीभ में लपेट कर शबाना उसके हर हिस्से का मज़ा ले रही थी। जगबीर उसके सर पर हाथ रख कर उसे दबाने लगा। अब शबाना जगबीर के पूरे लण्ड को अपने मुँह में ले रही थी। जगबीर का लण्ड उसके गले तक जा रहा था और उसकी आँखें जैसे बाहर आने को हो गयीं। उसने लण्ड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर थोड़ी कोशिश के बाद वो अब उसके लण्ड को अपने मुँह में एडजस्ट कर चुकी थी। अब जगबीर को पूरा मज़ा मिल रहा था। शबाना बिल्कुल रंडी की तरह अच्छी तरीके से उसका लण्ड चूस रही थी - नीचे से ऊपर... ऊपर से नीचे। फिर जगबीर ने उसे बिस्तर से नीचे उतरने को कहा।
शबाना नशे और मस्ती में झूमती हुई बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी होकर झुक गयी और अपने हाथ बेड पर रख दिये। अब वो बेड का सहारा लेकर गाँड उठाये खड़ी थी। जगबीर उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। ऊँची ऐड़ी की सैंडल की वजह से शबाना की गाँड उठ कर उघड़ी हुई थी और वो गाँड मटकाते हुए आराम से जगबीर के लण्ड का अपनी चूत में घुस जाने का इंतज़ार करने लगी। जगबीर ने शबाना के पैरों को और फैलाया और अपने लण्ड को पकड़ कर शबाना कि उठी गाँड पर रगड़ने लगा। वो उसके पीछे खड़ा होकर उसकी उठी हुई गाँड से लेकर उसकी चूत तक अपने लण्ड को रगड़ रहा था। शबाना की सिसकारियों से कमरा गूँज रहा था। शबाना की चूत के मुँह पर उसने अपने लण्ड को एडजस्ट किया और धीरे-धीरे बड़े प्यार से लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत में पहुँचा दिया।
शबाना नशे और मस्ती में झूमती हुई बिस्तर से उतर कर नीचे खड़ी होकर झुक गयी और अपने हाथ बेड पर रख दिये। अब वो बेड का सहारा लेकर गाँड उठाये खड़ी थी। जगबीर उसके पीछे आकर खड़ा हो गया। ऊँची ऐड़ी की सैंडल की वजह से शबाना की गाँड उठ कर उघड़ी हुई थी और वो गाँड मटकाते हुए आराम से जगबीर के लण्ड का अपनी चूत में घुस जाने का इंतज़ार करने लगी। जगबीर ने शबाना के पैरों को और फैलाया और अपने लण्ड को पकड़ कर शबाना कि उठी गाँड पर रगड़ने लगा। वो उसके पीछे खड़ा होकर उसकी उठी हुई गाँड से लेकर उसकी चूत तक अपने लण्ड को रगड़ रहा था। शबाना की सिसकारियों से कमरा गूँज रहा था। शबाना की चूत के मुँह पर उसने अपने लण्ड को एडजस्ट किया और धीरे-धीरे बड़े प्यार से लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत में पहुँचा दिया।