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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
आपा! कल कैमिस्ट्री की इग़्ज़ैम है और मुझे तो कुछ समझ नहीं आता है! ये टेबल और कैमिकल फोर्मुले तो मेरी जान ले लेंगे! काफी झुंझलायी हुई थी ज़ीनत।

 
कोई बात नहीं, मैं समझा दुँगी! शबाना ने प्यार से कहा।
 
तीन घंटे की पढ़ाई के बाद ज़ीनत काफी खुश थी। उसका लगभग सारा पोर्शन खत्म हो चुका था। थैंक यू आपा! मुझे तो लगा था मैं गयी इस बार! आपने बचा लिया! कहते हुए उसने शबाना को गले लगा लिया।
 
अगले दिन परवेज़ के जाने के बाद, वो जगबीर का इंतज़ार करने लगी थी। बहुत अच्छे से सजधज कर तैयार हुई वो। हरे रंग की नेट वाली झीनी साड़ी पहनी... वो भी बिना पेटीकोट के,  जिससे उसकी टाँगें साफ झलक रही थीं। उसका ब्लाऊज़ भी इतना छोटा था कि उसके नीचे ब्रा की जरूरत ही नहीं थी। पैरों में चॉकलेट ब्राऊन रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल उसके फिगर को और ज्यादा सैक्सी बना रहे थे।
 
ठीक ग्यारह बजे जगबीर आ गया।
 
क्यों डार्लिंग बड़े दिनों बाद याद किया... वो भी जब प्रताप बाहर गया है.... जब तक वो था... आपने तो मुझे याद ही नहीं किया! जगबीर ने सवाल में ही जवाब दाग दिया था।
 
लगता है कि तुम उसके बिना कुछ कर नहीं सकते! हर बार उसकी मदद चाहिये क्या? शबाना ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया।
 
पता चल जायेगा जानेमन! कहते हुए जगबीर ने उसे बाँहों में उठा लिया।
 
क्यों आज शराब नहीं लाये?” शबाना ने पूछा।
 
मैं दिन में नहीं पीता! अब जगबीर उसके जिस्म को हर जगह से दबा रहा था।
 
दिन में शबाब का मज़ा तो लेते हो लेकिन शराब नहीं पीते...?” शबाना ने हंसते हुए कहा।
 
काम पर भी तो जाना है बाद में... आपको पीनी है तो ले आता हूँ... जीप में ही रखी है!
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 23-07-2023, 07:10 PM



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