15-01-2023, 01:36 AM
जगबीर ने उससे ये क्यों कहा कि वो शहर से बाहर जायेगा तो भी यही कहेगा शहर में ही है! तो क्या जगबीर सच्चाई से उलटा बोल रहा था? मतलब कि परवेज़ शहर में ही था लेकिन उसे कहकर गया कि वो बाहर जा रहा है? लेकिन परवेज़ झूठ क्यों बोलेगा? और जगबीर ने उलटा क्यों कहा अगर वो जानता था कि परवेज़ शहर में ही है! जहाँ तक जगबीर का सवाल है... सरदार ना सिर्फ़ चालाक और होशियार था बल्कि काफी सुलझा हुआ और इन्टेलिजेन्ट भी था। जो भी थोड़ी बहुत वो उसे समझी थी, उससे यही ज़ाहिर होता था कि वो बिना मतलब के इतनी बातें करने वालों में से नहीं था। कईं सवाल शबाना के ज़हन में गूँज रहे थे लेकिन उसके पास कोई जवाब नहीं था।
दोपहर में एक बजे के करीब शबाना ने प्रताप को फोन लगाया।
“हैलो, प्रताप कहाँ हो?”
“ऑफिस में! कहो कैसे याद किया?” प्रताप ने पूछा।
“प्रताप, ये जगबीर क्या करता है?” शबाना ने सीधे-सीधे सवाल किया।
“क्यों जान अब पीछे से वार करने वाले पसंद आ गये... हम तो लुट जायेंगे... जानेमन!” प्रताप ने रोमांटिक होते हुए कहा।
“धत्त, ऐसी कोई बात नहीं है... ऐसे ही पूछ रही हूँ!” शबाना ने शरमाते हुए कहा।
“वो आसिस्टेंट कमिशनर ऑफ पुलीस है! तीन साल पहले ही आई-पी-एस में टॉप किया था उसने। काफी ऊँची चीज़ है वो... काम है क्या कुछ? कहो तो हम ही आ जाते हैं!”
“चुपचाप काम करो अपना! हर वक्त यही सूझता है तुम्हें!” शबाना ने प्यार से डाँटते हुए कहा। “वैसे एक दो दिन में फोन करके बताऊँगी.... ताज़ीन आपा भी बेताब हैं तुमसे फिर मिलने के लिये!”
फोन रखने पर शबाना की परेशानी अब बढ़ गयी थी। मतलब कि जगबीर सचमुच काफी पहुँचा हुआ आदमी था... और उसने जो भी कहा था... वो बात जितनी सीधी दिख रही थी... उतनी थी नहीं.... ज़रूर कुछ वजह रही होगी!
“शबाना क्या सोच रही हो?” ताज़ीन के सवाल ने उसका ध्यान तोड़ा।
“कुछ नहीं, आपका भाई अचानक आज जल्दी आ गया!”
“हाँ! आज तो हुम बाल बाल बच गये! अगर मेरे कहने पर जग्गू और प्रताप रुक जाते तो आज तो गये ही थे काम से!”
अगले पंद्रह दिनों के दौरान ताज़िन के जाने से पहले प्रताप चार बार आया दिन के वक्त और तीनों ने मिलकर काफी ऐश करी। प्रताप ने बताया कि जगबीर किसी केस में उलझा हुआ है और दिन के वक्त वो समय नहीं निकाल पायेगा।
दोपहर में एक बजे के करीब शबाना ने प्रताप को फोन लगाया।
“हैलो, प्रताप कहाँ हो?”
“ऑफिस में! कहो कैसे याद किया?” प्रताप ने पूछा।
“प्रताप, ये जगबीर क्या करता है?” शबाना ने सीधे-सीधे सवाल किया।
“क्यों जान अब पीछे से वार करने वाले पसंद आ गये... हम तो लुट जायेंगे... जानेमन!” प्रताप ने रोमांटिक होते हुए कहा।
“धत्त, ऐसी कोई बात नहीं है... ऐसे ही पूछ रही हूँ!” शबाना ने शरमाते हुए कहा।
“वो आसिस्टेंट कमिशनर ऑफ पुलीस है! तीन साल पहले ही आई-पी-एस में टॉप किया था उसने। काफी ऊँची चीज़ है वो... काम है क्या कुछ? कहो तो हम ही आ जाते हैं!”
“चुपचाप काम करो अपना! हर वक्त यही सूझता है तुम्हें!” शबाना ने प्यार से डाँटते हुए कहा। “वैसे एक दो दिन में फोन करके बताऊँगी.... ताज़ीन आपा भी बेताब हैं तुमसे फिर मिलने के लिये!”
फोन रखने पर शबाना की परेशानी अब बढ़ गयी थी। मतलब कि जगबीर सचमुच काफी पहुँचा हुआ आदमी था... और उसने जो भी कहा था... वो बात जितनी सीधी दिख रही थी... उतनी थी नहीं.... ज़रूर कुछ वजह रही होगी!
“शबाना क्या सोच रही हो?” ताज़ीन के सवाल ने उसका ध्यान तोड़ा।
“कुछ नहीं, आपका भाई अचानक आज जल्दी आ गया!”
“हाँ! आज तो हुम बाल बाल बच गये! अगर मेरे कहने पर जग्गू और प्रताप रुक जाते तो आज तो गये ही थे काम से!”
अगले पंद्रह दिनों के दौरान ताज़िन के जाने से पहले प्रताप चार बार आया दिन के वक्त और तीनों ने मिलकर काफी ऐश करी। प्रताप ने बताया कि जगबीर किसी केस में उलझा हुआ है और दिन के वक्त वो समय नहीं निकाल पायेगा।


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