15-01-2023, 01:32 AM
फिर तज़ीन ने जगबीर के लण्ड को चूम चाटकर साफ़ कर दिया।
“मैं भी बाथरूम में जाकर थोड़ा फ्रेश होकर आती हूँ... तब तक शायद शबाना और प्रताप का भी काम हो जायेगा!” ये सुनकर जगबीर को ध्यान आया कि वो दोनों भी दूसरे कमरे में मज़े ले रहे हैं। ताज़ीन नशे में झूमती हुई बाथरूम की तरफ ऊँची हील की सैंडल में लड़खड़ाती चली गयी। जगबीर उठ कर सीधे दूसरे कमरे में गया। दरवाज़ा बंद था लेकिन उसने दरवाज़े को धक्का दिया तो वो खुल गया।
शबाना की दोनों टाँगें हवा में तैर रही थी और उसके सफेद सैंडलों की ऊँची ऐड़ियाँ और तलवे छत्त की तरफ थे। प्रताप उसके ऊपर चढ़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए चोद रहा था। शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी और प्रताप के धक्के रफ्तार पकड़ रहे थे। अचानक शबाना ने अपनी टाँगें नीचे करके घुटने मोड़ते हुए अपने पैर बेड पर रखे और बिस्तर में अपनी सैंडल गड़ाते हुए ज़ोर से अपनी गाँड हवा में उठा दी। उसकी मस्ती परवान पर पहुँच रही थी और वो झड़ने वाली थी। उसने नीचे से प्रताप के लण्ड पर ज़ोरों से झटके देने शुरू कर दिये, जैसे उस लण्ड को अपनी चूत में दबाकर खा जायेगी। उधर प्रताप के भी धक्के तेज़ होने लगे।
तभी प्रताप ने धक्के मारने बंद कर दिये और शबाना को उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया। शबाना की चूत में लण्ड घुसा हुआ था और वो प्रताप के ऊपर बैठी थी। प्रताप ने उसकी गाँड के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उठाकर उसकी चूत में लण्ड के धक्के लगाने लगा। शबाना का पूरा वज़न प्रताप के लण्ड और हाथों पर था और उसकी चूत में जैसे हथौड़े चल रहे थे। उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो गयी और अब वो आवाज़ों में बदल गयी थी। प्रताप ने उसे ऐसे वक्त में पलट कर अपने ऊपर बिठा लिया था जब उसकी चूत में बरसात होने वाली थी। शबाना को ऐसा लगा था जैसे रेगिस्तान में बारिश वाले बादल आये और अचानक छंट गये। इसलिये शबाना की उत्तेजना अब बिल्कुल परवान पर थी।
ये सब देख कर जगबीर का लण्ड फिर खड़ा हो गया और वो सीधे अंदर घुस गया। प्रताप ने उसे देख लिया पर वो रुका नहीं। शबाना को तो शराब के नशे और चुदाई की मस्ती में होश ही नहीं था कि जगबीर अंदर आ चुका है। जगबीर सीधे शबाना के पीछे जाकर खड़ा हो गया और शबाना के गले को चूमने लगा। शबाना बिल्कुल चौंक गयी, मगर इस वक्त उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुछ कर पाती। तभी जगबीर ने पीछे से हाथ डालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और पीछे से उसकी पीठ को बेतहाशा चूमते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा। फिर शबाना को उसने प्यार से धक्का दिया और वो सीधे प्रताप की छाती से चिपक गयी। उसकी चूत में प्रताप का लण्ड घुसा हुआ था और अब भी प्रताप उसे उछाल रहा था। तभी जगबीर नीचे झुका और शबाना की गाँड चाटने लगा। शबाना को जैसे करंट सा लगा, लेकिन एक अजीब सी चमक आ गयी उसकी आँखों में। जगबीर उसकी गाँड को चाटे जा रहा था। शबाना की चूत का पानी गाँड तक आ चुका था और जगबीर ने उसकी गाँड में उंगली डालना शुरू कर दिया।
“मैं भी बाथरूम में जाकर थोड़ा फ्रेश होकर आती हूँ... तब तक शायद शबाना और प्रताप का भी काम हो जायेगा!” ये सुनकर जगबीर को ध्यान आया कि वो दोनों भी दूसरे कमरे में मज़े ले रहे हैं। ताज़ीन नशे में झूमती हुई बाथरूम की तरफ ऊँची हील की सैंडल में लड़खड़ाती चली गयी। जगबीर उठ कर सीधे दूसरे कमरे में गया। दरवाज़ा बंद था लेकिन उसने दरवाज़े को धक्का दिया तो वो खुल गया।
शबाना की दोनों टाँगें हवा में तैर रही थी और उसके सफेद सैंडलों की ऊँची ऐड़ियाँ और तलवे छत्त की तरफ थे। प्रताप उसके ऊपर चढ़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए चोद रहा था। शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थी और प्रताप के धक्के रफ्तार पकड़ रहे थे। अचानक शबाना ने अपनी टाँगें नीचे करके घुटने मोड़ते हुए अपने पैर बेड पर रखे और बिस्तर में अपनी सैंडल गड़ाते हुए ज़ोर से अपनी गाँड हवा में उठा दी। उसकी मस्ती परवान पर पहुँच रही थी और वो झड़ने वाली थी। उसने नीचे से प्रताप के लण्ड पर ज़ोरों से झटके देने शुरू कर दिये, जैसे उस लण्ड को अपनी चूत में दबाकर खा जायेगी। उधर प्रताप के भी धक्के तेज़ होने लगे।
तभी प्रताप ने धक्के मारने बंद कर दिये और शबाना को उठाकर अपने ऊपर बिठा लिया। शबाना की चूत में लण्ड घुसा हुआ था और वो प्रताप के ऊपर बैठी थी। प्रताप ने उसकी गाँड के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उठाकर उसकी चूत में लण्ड के धक्के लगाने लगा। शबाना का पूरा वज़न प्रताप के लण्ड और हाथों पर था और उसकी चूत में जैसे हथौड़े चल रहे थे। उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो गयी और अब वो आवाज़ों में बदल गयी थी। प्रताप ने उसे ऐसे वक्त में पलट कर अपने ऊपर बिठा लिया था जब उसकी चूत में बरसात होने वाली थी। शबाना को ऐसा लगा था जैसे रेगिस्तान में बारिश वाले बादल आये और अचानक छंट गये। इसलिये शबाना की उत्तेजना अब बिल्कुल परवान पर थी।
ये सब देख कर जगबीर का लण्ड फिर खड़ा हो गया और वो सीधे अंदर घुस गया। प्रताप ने उसे देख लिया पर वो रुका नहीं। शबाना को तो शराब के नशे और चुदाई की मस्ती में होश ही नहीं था कि जगबीर अंदर आ चुका है। जगबीर सीधे शबाना के पीछे जाकर खड़ा हो गया और शबाना के गले को चूमने लगा। शबाना बिल्कुल चौंक गयी, मगर इस वक्त उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि वो कुछ कर पाती। तभी जगबीर ने पीछे से हाथ डालकर उसके मम्मे पकड़ लिये और पीछे से उसकी पीठ को बेतहाशा चूमते हुए उसके मम्मों को दबाने लगा। फिर शबाना को उसने प्यार से धक्का दिया और वो सीधे प्रताप की छाती से चिपक गयी। उसकी चूत में प्रताप का लण्ड घुसा हुआ था और अब भी प्रताप उसे उछाल रहा था। तभी जगबीर नीचे झुका और शबाना की गाँड चाटने लगा। शबाना को जैसे करंट सा लगा, लेकिन एक अजीब सी चमक आ गयी उसकी आँखों में। जगबीर उसकी गाँड को चाटे जा रहा था। शबाना की चूत का पानी गाँड तक आ चुका था और जगबीर ने उसकी गाँड में उंगली डालना शुरू कर दिया।