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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
पता है मुझे तज़ीन आपा! मैं तो बेकार ही आपका लिहाज कर रही थी वरना मैं भी बेहद शौक  से  प्रताप के साथ अक्सर पीती हूँ... ! शबाना भी किचन में से दो ग्लास और ले आयी और उनके पास आकर बैठ गयी और एक ग्लास में शराब उडेल कर ताज़ीन के अंदाज़ में एक ही साँस में पी गयी।

अब जगबीर चारों ग्लासों में पैग बनाने लगा और ताज़ीन के लिये ग्लास में शराब उड़ेलने लगा तो ताज़ीन ने रोक दिया, एक से ही पी लेंगे, तुम अपने मुँह से पिलाओ मुझे! वो उठ कर जगबीर की गोद में बैठ गयी। उसकी स्कर्ट और ऊपर हो गयी। उसने अपनी चूत जगबीर के लण्ड के उभार पर रगड़ी और उसके गले में बाँहें डालकर उसके होंठों को चूम लिया। पहली बार कोई सरदार मिला है, मज़ा आ जायेगा! उसने ग्लास उठाया और जगबीर को पिलाया। फिर जगबीर के होंठों को चूमने लगी। जगबीर ने अपने मुँह की शराब उसके मुँह में डाल दी।
 
इधर शबाना भी प्रताप की गोद में बैठी उसे शराब पिला रही थी और खुद भी अपनी ननद की तरह ही अपने आशिक प्रताप के मुँह में से शराब पी रही थी। इस तरह चारों ही तीन-चार पैग पी गये। अब ताज़ीन और शबाना नशे में धुत्त थीं और उनके असली रंग बाहर आने वाले थे।
 
प्रताप और शबाना उठ कर बेडरूम में चले गये। शबाना तो नशे में ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। ऊँची हील के सैंडल में वो प्रताप के सहारे नशे में झूमती हुई वो अंदर गयी। 
 
इधर जगबीर की उंगलियाँ ताज़ीन की स्कर्ट में घुस कर उसकी चूत का जायज़ा ले रही थी। उसके होंठ ताज़ीन के होंठों से जैसे चिपक गये थे और उसकी जीभ ताज़ीन की जीभ को जैसे मसल कर रख देना चाहती थी। ताज़ीन भी बेकाबू हो रही थी और उसने जगबीर की शर्ट के सारे बटन खोल दिये थे। जगबीर ने उसकी टॉप में हाथ घुसा दिये और उसके मम्मों को रौंदना शुरू कर दिया। उसके निप्पलों को अपनी उंगलियों में दबाकर उनको कड़क कर रहा था। ताज़ीन ने ब्रा नहीं पहनी थी। फिर ताज़ीन ने अपने हाथ ऊपर उठा दिये और जगबीर ने उसकी टॉप को निकाल फेंका।
 
अब जगबीर ने उसके गोरे मुलायम मम्मों को चूमना चाटना और काटना शुरू कर दिया। और काट जग्गू... बहुत दिनों से आग लगी हुई है... मज़ा आ गया! जगबीर ने अपना हाथ उसकी स्कर्ट में घुसाकर पैंटी को साइड में किया और चूत पर उंगली रगड़ने लगा। ताज़ीन मदहोश हो रही थी। उसने जगबीर के होंठों को कस कर अपने होंठों में दबा लिया और अपनी जीभ उसके मुँह में घुसा दी। फिर जगबीर ने उसे वहीं सोफ़े पर लिटा दिया और उसकी स्कर्ट और पैंटी एक झटके से खींच कर नीचे फेंक दीं। ताज़ीन की दोनों टाँगों के बीच जगबीर की उंगलियों में होड़ लगी हुई थी, चूत में घुसने और बाहर निकलने की। उसकी उंगलियाँ सीधी चूत में घुसती और बाहर निकल जाती। जगबीर की उंगलियाँ एक दम अंदर तक जाकर ताज़ीन को पागल कर रही थी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 15-01-2023, 01:29 AM



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