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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
अब शबाना की चूत में लण्ड घुस चुका था। प्रताप ने धक्कों की शुरुआत कर दी थी। बिल्कुल धीरे-धीरे... कुछ इस तरह कि लण्ड की हर हरकत शबाना अच्छी तरह महसूस कर सके। लण्ड उसकी चूत के आखिरी सिरे तक जाता और बहुत धीरे-धीरे वापस उसकी चूत के मुँह तक आ जाता। जैसे कि वो चूत में सैर कर रहा हो - हल्के-हल्के धीरे-धीरे। प्रताप को शबाना की चूत के अंदर का एक-एक हिस्सा महसूस हो रहा था। चूत का पानी, उसके अंदर की नर्म,  मुलायम माँसपेशियाँ! और शबाना - वो तो बस अपनी आँखें बंद किये मज़े लूट रही थी। उसकी गाँड ने भी अब ऊपर उठना शुरू कर दिया था। मतलब कि अब शबाना को रफ्तार चाहिये थी और अब प्रताप को अपनी रफ्तार बढ़ाते जानी थी... और बिना रुके तब तक चोदना था जब तक कि शबाना की चूत उसके लण्ड को अपने रस में नहीं डुबा दे। प्रताप ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और अब वो तेज़ धक्के लगा रहा था। शबाना की सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगी थी। उसकी टाँगें अकड़ रही थीं और अब उसने प्रताप को कसकर पकड़ लिया और गाँड उठा दी। इसका मतलब अब उसका काम होने वाला था। जब भी उसका स्खलन होने वाला होता था वो बिल्कुल मदमस्त होकर अपनी गाँड उठा देती थी, जैसे वो लण्ड को खा जाना चाहती हो। फिर जब उसकी चूत बरसात कर देती तो वो धम से बेड पर गाँड पटक देती। आज भी ऐसा ही हुआ शबाना बिल्कुल मदमस्त होकर पड़ी थी। उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी लेकिन प्रताप अभी नहीं झड़ा था। प्रताप को पता था कि शबाना को पूरा मज़ा देने के लिये अपने लण्ड का सारा पानी उसकी चूत में उड़ेलना होगा... मतलब अभी और एक बार चोदना होगा और अपने लण्ड के पानी में भिगो देना होगा शबाना की चूत को।

 [Image: KIMG-1792.jpg]
प्रताप ने अपना लण्ड बाहर निकाला और बेड से नीचे आ गया। नीचे बैठ कर उसने शबाना कि टाँगों को उठाया और उसकी चूत का पानी चाटने लगा। तभी प्रताप को अपने लण्ड पर कुछ गीलापन महसूस हुआ जैसे किसी ने उसके लण्ड को मुँह में ले लिया हो। उसने चौंक कर नीचे देखा। ना जाने कब ताज़ीन कमरे में आ गयी थी और उसने प्रताप का लण्ड मुँह में ले लिया था। ताज़ीन पूरी नंगी थी उसने कुछ नहीं पहन रखा था - शबाना की तरह ही बस उसके पैरों में भी ऊँची पेंसिल हील के सैंडल मौजूद थे। प्रताप को कुछ समझ नहीं आ रहा था। शबाना तब तक बैठ चुकी थी और वो मुस्कुरा रही थी। आज तुम्हें इन्हें भी खुश करना है प्रताप! ये मेरी ननद है ताज़ीन आपा!
 
अब तक प्रताप भी संभल चुका था और ताज़ीन को गौर से देख रहा था। शबाना जितनी खूबसूरत नहीं थी मगर फिर भी काफी खूबसूरत थी। उसका जिस्म थोड़ा ज्यादा भरा हुआ लेकिन काफी कसा हुआ था। उसके मम्मे भी बड़े-बड़े और शानदार थे। एक दम गुलाबी चूचियाँ... गाँड एक दम भरी हुई और चौड़ी थी। उसके घुंघराले बाल कंधों से थोड़े नीचे तक आ रहे थे जिन्हें उसने एक बक्कल में बाँध कर रखा था। प्रताप अब भी ज़मीन पर बैठा था और उसका लण्ड ताज़ीन के मुँह में था। प्रताप अब तक सिर्फ़ बैठा हुआ था और जो कुछ भी हो रहा था ताज़ीन कर रही थी। वो शबाना के बिल्कुल उलट थी - उसके मज़े लेने का मतलब था मर्द को चोद कर रख दो। कुछ वैसा ही हो रहा था प्रताप के साथ। ताज़ीन जैसे उसका बलात्कार कर रही थी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 31-12-2022, 04:40 AM



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