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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
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अब प्रताप ने शबाना को अपनी बाँहों भर लिया और बुरक़े से झाँकती आँखों पर चुंबन जड़ दिया। शबाना की आँखें बंद हो गयी और उसके हाथ अपने आप प्रताप के कंधों पर पहुँच गये। प्रताप ने उसके नकाब को ऐसे हटाया जैसे कोई घूँघट उठा रहा हो। शबाना का चेहरा देखकर प्रताप को अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हो रहा था। ग़ज़ब की खूबसूरत थी शबाना - गुलाबी रंग के पतले होंठ,  बड़ी आँखें,  गोरा चिट्टा रंग और होंठों के ठीक नीचे दांयी तरफ़ एक छोटा सा तिल। प्रताप ने अब धीरे-धीरे उसके गालों को चूमना और चाटना शुरू कर दिया। शबाना ने आँखें बंद कर लीं और प्रताप उसे चूमे जा रहा था। उसके गालों को चाट रहा था,  उसके होंठों को चूस रहा था। अब शबाना भी बाकायदा साथ दे रही थी और उसकी जीभ प्रताप की जीभ से कुश्ती लड़ रही थी। प्रताप ने हाथ नीचे किया और उसके बुरक़े को उठा दिया। शबाना ने अपनी दोनों बाँहें ऊफर कर दीं और प्रताप ने बुरक़ा उतार कर फेंक दिया। प्रताप शबाना को देखता रह गया। इतना शानदार जिस्म जैसे किसी ने बहुत ही फुर्सत में तराश कर बनाया हो। काले रंग की छोटी सी जालीदार ब्रा और थाँग पैंटी और काले ही रंग के ऊँची पेन्सिल हील के सैंडलों में शबाना जन्नत की हूर से कम नहीं लग रही थी।

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दरवाज़े पर ही करना है सब कुछ?” शबाना ने कहा तो प्रताप मुस्कुरा दिया और उसने शबाना को अपनी बाँहों में उठा लिया और गोद में लेकर बेडरूम की तरफ़ चल पड़ा। उसने शबाना को बेड के पास ले जाकर गोद से उतार दिया और बाँहों में भर लिया। शबाना की ब्रा खोलते ही जैसे दो परिंदे पिंजरे से छूट कर उड़े हों। बड़े-बड़े मम्मे और उनपर छोटे-छोटे गुलाबी चुचक और तने हुए निप्पल। प्रताप तो देखता ही रह गया... जैसे कि हर कपड़ा उतारने के बाद कोई खज़ाना सामने आ रहा था। प्रताप ने अपना मुँह नीचे लिया और शबाना की चूचियों को चूसता चला गया और चूसते हुए ही उसने शबाना को बिस्तर पर लिटा दिया। शबाना के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो प्रताप के बालों में हाथ फिरा रही थी और अपनी चूचियाँ उसके मुँह में ढकेल रही थी। शबाना मस्त हो चुकी थी। अब प्रताप उसके पेट को चूस रहा था और प्रताप का हाथ शबाना की पैंटी पर से उसकी चूत की मालिश कर रहा था। शबाना बेहद मस्त हो चुकी थी और लण्ड के लिये उसकी चूत की प्यास उसे मदहोश कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ बंद होने का नाम नहीं ले रही थी और टाँगें अपने आप फैलकर लण्ड को चूत में घुसने का निमंत्रण दे रही थी। प्रताप उसके पेट को चूमते हुए उसकी जाँघों के बीच पहुँच चुका था। शबाना बिस्तर पर लेटी हुई थी और उसकी टाँगें बेड से नीचे लटक रही थी। प्रताप उसकी टाँगों के बीच बेड के नीचे बैठ गया और शबाना की टाँगें फैला दीं। वो शबाना की गोरी-गोरी,  गदरायी हुई भरी भरी सुडौल जाँघों को बेतहाशा चूम रहा था और उसकी उंगलियाँ पैंटी पर से उसकी चूत सहला रही थी। प्रताप की नाक में शबाना की चूत से रिसते हुए पानी की खुशबू आ रही थी और वो भी मदहोश हो रहा था। शबाना पर तो जैसे नशा चढ़ गया था और वो अपनी गाँड उठा-उठा कर अपनी चूत को प्रताप की उंगलियों पर रगड़ रही थी।
 
अब प्रताप पैंटी के ऊपर से ही शबाना की चूत को चूमने लगा। वो हल्के-हल्के दाँत गड़ा रहा था शबाना की चूत पर और शबाना प्रताप के सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा रही थी और गाँड उठा-उठा कर चूत को प्रताप के मुँह में घुसा रही थी। फिर प्रताप ने शबाना की पैंटी उतार दी। शबाना अब ऊँची पेंसिल हील के सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी थी। प्रताप के सामने अब सबसे हसीन चूत थी... एक दम गुलाबी एक दम प्यारी। एक दम सफायी से रखी हुई कोई सीप जैसी। प्रताप उसकी खुशबू से मदहोश हो रहा था और उसने अपनी जीभ शबाना की चूत पर रख दी। शबाना उछल पड़ी और उसके जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया। उसने प्रताप के सिर को पकड़ा और अपनी गाँड उचका कर चूत प्रताप के मुँह पर रगड़ दी। प्रताप की जीभ शबाना की चूत में धंस गयी और प्रताप ने अपने होंठों से शबाना की चूत को ढक लिया और एक उंगली भी शबाना की चूत में घुसा दी - अब शबाना की चूत में प्रताप की जीभ और उंगली घमासान मचा रही थी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 21-12-2022, 03:24 AM



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