12-08-2022, 08:53 PM
(This post was last modified: 12-08-2022, 09:26 PM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
“अरे आपको ज़रूर मज़ा आयेगा… ऐसा चस्का लग जायेगा कि आज के बाद रोज़-रोज़ अपना ही मूत पीने लगोगी…!” मेरी रज़ामंदी देख कर टाँगेवाला खुश होते हुए बोला और मेरे करीब आकर मेरे चेहरे के सामने खड़ा हो गया। अभी भी मैं बस ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी फर्श पर बैठी हुई थी। उसने अपना लंड मेरे होंठों पर रखा तो और मैंने उसका आधा-खड़ा लंड अपने मुँह में लिया जोकि अभी कुछ पल पहले ही मेरी गाँड में से निकला था।
![[Image: Gina-Ryder-Mario091.jpg]](https://i.ibb.co/wzt65kp/Gina-Ryder-Mario091.jpg)
मैं उस गंदे लंड को शौक से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी जो उसकि मनि और मेरी खुद की गलाज़त से सना हुआ था। फिर उसने अपना लंड ज़रा पीछे खींच लिया जिससे अब सिर्फ उसका सुपाड़ा मेरे मुँह में था और उसने धीरे से गरम-गरम पेशाब की ज़रा सी धार छोड़ी। मैंने हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ही घुमाया तो उसका ज़ायका बुरा नहीं लगा और मैं उसे पी गयी। खट्टा सा और ज़रा सा कड़वा और तीखा ज़ायका था। मैंने कोई एतराज़ नहीं किया तो टाँगेवाले ने इस दफा थोड़ा ज्यादा मूत मेरे मुँह में छोड़ा। मैंने एक बार फिर उसका मूत अपने मुँह में घुमा कर उसका ज़ायका लिया तो पिछली बार से ज्यादा बेहतर लगा। उसके बाद तो मैंने इशारे से उसे और मूतने को कहा और वो लगातार लेकिन धीरे-धीरे मेरे मुँह में अपने मूत की धार छोड़ने लगा और मैं खुशी से गटगट पीने लगी। जब उसका मूतना बंद हुआ तो उसने लंड का सुपाड़ा मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। अपने हाथ के पीछे से अपने होंठ पोंछते हुए मैंने ढाबेवाले को अपने करीब आने को कहा, “अब तुझे क्या मूतने के लिये दावातनामा भेजूँ… चल आजा और करले अपनी ख्वाहिश पूरी!”
टाँगेवाला बोला, “देखा मेमसाहब! मैं जानता था कि आपको स्वाद बहुत अच्छा लगेगा! देखो कैसे गट-गट पी गयी और खुद ही मेरे दोस्त को भी अपने मुँह में मूतने के लिये बुला रही हो!”
![[Image: 89838054-015-5c74.jpg]](https://i.ibb.co/Y2VYYmN/89838054-015-5c74.jpg)
मैं कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराते हुए उसे देख कर आँख मार दी। इतने में ढाबेवाला भी मेरे सामने खड़ा था। मैंने उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में अंदर लिया और चार-पाँच चुप्पे लगाये और फिर सिर्फ उसका सुपाड़ा अपने मुँह में लेकर उसपे अपने होंठ कस दिये। फिर अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए “ऊँहह” करके घुरघुरा कर उसे मूतने के लिये इशारा किया। ढाबेवाला अपने दोस्त की तरह मुहतात नहीं था और मेरे मुँह में तेज़ी से मूतने लगा। मैंने बेहद कोशिश की लेकिन मैं उतनी तेज़ी से उसका मूत पी नहीं पा रही थी और थोड़ा सा मूत मेरे होंठों के किनारों से बाहर मेरे जिस्म पर बहने लगा।
ढाबेवाले का मूत पीने के बाद मैंने एक कपड़े से अपना जिस्म पोंछा और फिर अपने कपड़े पहने। बाहर आकर देखा तो मेरी सास और देवर आभी भी आराम से गहरी नींद सो रहे थे, इस बात से बिल्कुल अंजान कि अंदर छोटे से कमरे में क्या गुल खिल रहे थे। ये देख कर मैं मुस्कराये बगैर ना रह सकी।
खैर, ये पहली दफा मैंने अपने शौहर से बेवफाई करके किसी गैर-मर्द या कहो कि दो गैर-मर्दों से चुदवाया था। इसके बाद तो मेरे हौंसले बुलंद हो गये और और मैं इसी तरह अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया और इन दो सालों में अब तक अस्सी-नब्बे लंड मेरी चूत और गाँड की सैर कर चुके हैं।
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मैं उस गंदे लंड को शौक से लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी जो उसकि मनि और मेरी खुद की गलाज़त से सना हुआ था। फिर उसने अपना लंड ज़रा पीछे खींच लिया जिससे अब सिर्फ उसका सुपाड़ा मेरे मुँह में था और उसने धीरे से गरम-गरम पेशाब की ज़रा सी धार छोड़ी। मैंने हिचकिचाते हुए उसे अपने मुँह में ही घुमाया तो उसका ज़ायका बुरा नहीं लगा और मैं उसे पी गयी। खट्टा सा और ज़रा सा कड़वा और तीखा ज़ायका था। मैंने कोई एतराज़ नहीं किया तो टाँगेवाले ने इस दफा थोड़ा ज्यादा मूत मेरे मुँह में छोड़ा। मैंने एक बार फिर उसका मूत अपने मुँह में घुमा कर उसका ज़ायका लिया तो पिछली बार से ज्यादा बेहतर लगा। उसके बाद तो मैंने इशारे से उसे और मूतने को कहा और वो लगातार लेकिन धीरे-धीरे मेरे मुँह में अपने मूत की धार छोड़ने लगा और मैं खुशी से गटगट पीने लगी। जब उसका मूतना बंद हुआ तो उसने लंड का सुपाड़ा मेरे मुँह से बाहर निकाल लिया। अपने हाथ के पीछे से अपने होंठ पोंछते हुए मैंने ढाबेवाले को अपने करीब आने को कहा, “अब तुझे क्या मूतने के लिये दावातनामा भेजूँ… चल आजा और करले अपनी ख्वाहिश पूरी!”
टाँगेवाला बोला, “देखा मेमसाहब! मैं जानता था कि आपको स्वाद बहुत अच्छा लगेगा! देखो कैसे गट-गट पी गयी और खुद ही मेरे दोस्त को भी अपने मुँह में मूतने के लिये बुला रही हो!”
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मैं कुछ नहीं बोली, बस मुस्कुराते हुए उसे देख कर आँख मार दी। इतने में ढाबेवाला भी मेरे सामने खड़ा था। मैंने उसका लंड पकड़ कर अपने मुँह में अंदर लिया और चार-पाँच चुप्पे लगाये और फिर सिर्फ उसका सुपाड़ा अपने मुँह में लेकर उसपे अपने होंठ कस दिये। फिर अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखते हुए “ऊँहह” करके घुरघुरा कर उसे मूतने के लिये इशारा किया। ढाबेवाला अपने दोस्त की तरह मुहतात नहीं था और मेरे मुँह में तेज़ी से मूतने लगा। मैंने बेहद कोशिश की लेकिन मैं उतनी तेज़ी से उसका मूत पी नहीं पा रही थी और थोड़ा सा मूत मेरे होंठों के किनारों से बाहर मेरे जिस्म पर बहने लगा।
ढाबेवाले का मूत पीने के बाद मैंने एक कपड़े से अपना जिस्म पोंछा और फिर अपने कपड़े पहने। बाहर आकर देखा तो मेरी सास और देवर आभी भी आराम से गहरी नींद सो रहे थे, इस बात से बिल्कुल अंजान कि अंदर छोटे से कमरे में क्या गुल खिल रहे थे। ये देख कर मैं मुस्कराये बगैर ना रह सकी।
खैर, ये पहली दफा मैंने अपने शौहर से बेवफाई करके किसी गैर-मर्द या कहो कि दो गैर-मर्दों से चुदवाया था। इसके बाद तो मेरे हौंसले बुलंद हो गये और और मैं इसी तरह अक्सर गैर-मर्दों से चुदवाने का सिलसिला शुरू हो गया और इन दो सालों में अब तक अस्सी-नब्बे लंड मेरी चूत और गाँड की सैर कर चुके हैं।