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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
मुझे नखरा करते देख ढाबेवाला बेहद गुस्सा हो गया क्योंकि वो मेरी चूत चोदने के लिये बेकरार हो रहा था और बोला, साली कुत्तिया छिनाल बहन की लौड़ी अब क्यों नखरे कर रही है बड़ा लंड चाहिये था तभी तो हमारे से चुदवाने को आयी है छोटा लंड चाहिया था तो अपने मरद से ही चुदवाना था हमारे पास क्यों आयी है अपनी माँ चुदाने के लिये? अभी पाँच मिनट पहले तो दारू पी कर बहुत उड़ रही थी कि एक साथ मेरी चूत और गाँड मारोगे या बारी-बारी से अब क्या हो गया छिनाल नशा उतर गया तो और दारू दूँ चल जल्दी से चुदाने को तैयार हो जा नहीं तो अभी ये घोड़े का चाबुक तेरे भोंसड़े में घुसेड़ दूँगा साली खड़े लंड पर नखरा कर रही है!

ऐसा कह कर ढाबेवाले ने खड़े होकर गुस्से में टाँगेवाले का चाबुक उठा लिया। मुझे लगा कि अब अगर मैंने और नखरा किया तो वो अपनी धमकी पे अमल करने से बाज़ नहीं आयेगा। मैं कुत्तिया की तरह झुक गयी और मुस्कुरा कर आँख मारते हुए उसे अपनी चूत पेश करते हुए बोली,तू तो नाराज़ हो गया ले मादरचोद इतनी आग लगी तो है पहले तू ही चोद ले! 

[Image: dfa-649.jpg]
ढाबेवाले ने एक पल भी ज़ाया नहीं किया और अपना हलब्बी लौड़ा पीछे से मेरी चूत में घुसेड़ कर अंदर तक चोदने लगा। आगे झुक कर मेरे दोनों मम्मों को पकड़ते हुए वो मुझे अपने हर धक्के के साथ पीछे खींचने लगा। उसका लंड मेरी चूत में बच्चेदानी तक ठोक रहा था। पहले मैं टाँगेवाले के अज़ीम लौड़े से चुदवा चुकी थी इसलिये अब ढाबेवाले का हलब्बी लौड़ा लेने में आसानी हो रही थी। उसने ज़ोर-ज़ोर से लंबे-लंबे धक्के मारने शुरू कर दिये। ऐसा लग रहा था जैसे कि वो अपनी गोटियों का सारा माल जल्दी से जल्दी मेरी चूत में निकालने के लिये बेकरार था।
 
इतने में टाँगेवाला मेरे सामने आया और अपना लौड़ा मुझे पेश कर दिया। मैंने मुँह खोल कर जितना मुमकिन हो सकता था उतना लंड अपने हलक तक ले लिया और चूसने लगी। साली तुम शहरी औरतें जितनी मस्त होती हो उतना ही नखरा भी करती हो पहले देसी दारू पीने को मना कर रही थी और फिर बाद में खुद ही शौक से गटागट इतनी दारू पी गयी अब देख जब हम दोनों एक साथ चोदेंगे तो तू ही मज़े से चुदवायेगी गाँड और चूत एक साथ मैं तो कहता हूँ एक बार मूत पी कर भी देख लेउसका भी चस्का लग जायेगा तुझे!
 
मेरे खयाल में उस टाँगेवाला का लंड चूसना उस रात की सबसे खास और बेहतरीन चीज़ थी। उसका लौड़ा इतना बड़ा होने के साथ-साथ इस कदर प्यारा और लज़ीज़ था कि कोई भी चुदासी औरत अपनी तमाम ज़िंदगी उस नौ इंच के गोश्त को चूसते और उससे चुदते हुए गुज़ार सकती थी। टाँगेवाला कराहने लगा, हाँ चूस इसे साली राँड साली बापचुदी और ज़ोर से चूस फिर तुझे सारी ज़िंदगी ऐसा लौड़ा चूसने को नहीं मिलेगा! इसे ऐसे ही प्यार से चूसेगी तो मैं भी तेरी गाँड प्यार से मारूँगा आआहहहऽऽऽऽ हाऽऽऽय और चूस साली राँड तेरी माँ के भोंसड़े में घोड़े का लंड आआआऽऽऽऽ!”  किसी बेइंतेहा चुदासी कुत्तिया की तरह मैं दीवानगी और वहशियानेपन से उसका लंड चूस रही थी।
[Image: grpbar-049.jpg]
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 12-08-2022, 08:07 PM



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