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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
ढाबेवाला भी बोला, और मेरा लंड भी देख कैसे तेरे मुँह में जाने के लिये तरस रहा है देख कैसे इसके मुँह में से लार टपक रही है! साली कुत्तिया राँड उन दोनों छोकरों के लौड़ों का रस निकालने से बाज़ नहीं आयी तू! उसका इशारा मेरे लहंगे पे पीछे गाँड के ऊपर और मेरे पैरों और सैंडलों पे लगा उन लड़कों के लौड़ों के रस की तरफ था। मैंने देखा कि इन दोनों के लौड़े अब तक खतरनाक शक्ल इख्तियार कर चूके थे और ये दोनों अपने अज़ीम लौड़ों से जमकर मेरी चूत रौंद कर चोदने को तैयार थे।

उन्हें और उकसाने के लिये मैंने ठर्रे का आधा भरा पव्वा उठाया और होंठों से लगा कर गटागट सारी शराब पी गयी और फिर भर्रायी आवाज़ में बोली, अरे मेरे दिलबरों मादरचोदों तुम्हारे लंड रेडी हैं तो देखो मेरी भी चूत तुम्हारे लंड खाने को कैसे मुँह खोले तैयार है मैं भी पूरी मस्ती में हूँ बोलो कैसे लोगे मेरी चूत और गाँड? एक साथ या बरी-बारी से!
[Image: drink-jack-daniels.gif]
 
साली कुत्तिया! अब तो जो भी करेंगे साथ-साथ ही करेंगे! तीनों मिलकर तिकड़ी-चुदाई करेंगे! टाँगेवाला बोला।
 
मैं तो खुद बेहद शौक से उनकी ये बात मानने को रज़ामंद थी। इस वक्त देसी शराब का नशा भी परवान चढ़ चुका था और बेहद मखमूर और मस्ती के आलम में थी लेकिन पूरी तरह मदहोश या बेखबर भी नहीं हुई थी। मैंने अपना लहंगा और चुनरी उतार कर एक तरफ फेंक दिये और सिर्फ ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने, अपने चूतड़ों पे हाथ रखे हुए नशे में झूमती हुई खड़ी हो गयी।

टाँगेवाला बोला, ले पहले तू मेरे यार का लंड चूस!
 
मैं अपने घुटने ज़मीन पर टिका कर ढाबेवाले के सामने कुत्तिया की तरह झुक गयी और उसका फड़कता हुआ लंड अपने मुँह में लिया। तभी मुझे एहसास हुआ कि टाँगेवाले ने मेरे पीछे से आकर मेरे चूतड़  हाथों में जकड़ कर मसलने शुरू कर दिये। उस वक्त मेरे मुँह में ढाबेवाले का लंड भरा होने की वजह से मैं इस दो तरफा हमले पे कोई एतराज़ नहीं कर सकती थी और वैसे भी मुझे कोई एतराज़ था भी नहीं। मेरे चूतड़ मसलते हुए टाँगेवाला मेरी गाँड का छेद भी रगड़ने लगा और खुद से ही बड़बड़ाने लगा, आहह हाऽऽऽ आज तो कुँवारी गाँड मारने को मिली है हाय तेरी गाँड का छेद कितना कसा हुआ है तेरा आदमी तो पूरा ही चूतिया है साला हिजड़ा जिसने आज तक ऐसी मस्त और कसी हुई गाँड नहीं मारी ऊऊऊममम क्या चूतड़ हैं तेरे इनमें तो मुँह मार कर सारा दिन और रात तेरी इस मस्त अनचुदी भूरी गाँड को मैं चूसता रहूँ ऊपअफ़फ़ क्या नरम गोलाइयाँ हैं एक-एक चूतड़ को खा जाने का मन करता है! टाँगेवाला अपने बड़े हाथों से बेहद बेरहमी से मेरे हर एक चूतड़ को दबाते हुए मसल रहा था। फिर दोनों चूतड़ फैला कर अलग कर के वो अपनी ज़ुबान मेरी गाँड के छेद पर फिराते हुए अंदर घुसेड़ने की कोशिश करने लगा और अपने होंठ गाँद के छेद पर कसके चिपकाते हुए शिद्दत से चूसने लगा जैसे कि उसकी जान उसपे टिकी हो। इस वहशियाना चुसाई के बेरहम हमले का असर सीधे मेरी रस बहाती हुई चूत पर हो रहा था।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 12-08-2022, 08:04 PM



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