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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
टाँगेवाले के कहने पर इस हद तक अपने जिस्म की नुमाईश करने में पहले मैं जो हिचकिचा रही थी अब इसमें  बेहद मज़ा आ रहा था। उस लड़के की बात का जवाब देते हुए मैं फर्ज़ी गुस्से से बोली,तुम लोग अपने-अपने घर जाकर अपनी माँ-बहनों के मम्मे क्यों नहीं देखते उनके तो हो सकता है कि मेरे से भी बड़े हों!” मेरा जवाब सुनकर वो दोनों चुप हो गये और उसके आगे कुछ नहीं बोले।

 
जब चाय तैयार हो गयी तो मैंने दो गिलासों में चाय भरी और उन्हें देने के लिये उनके करीब गयी।छोटा वाला लड़का मेरे मम्मों की तरफ देखते हुए मुझसे बोला,क्यों भाभीजी! चाय में दूध तो पूरा डाला है ना?” और अपने दोस्त की तरफ देख कर आँख मार दी। उसका दोस्त भी कमीनेपन से मुस्कुरा दिया।
 
मैंने अदा से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, सब कुछ पूरा डाला दिया है मैंने लेकिन अगर चाय में फिर भी कुछ बाकी हो तो बोल देना, वो और भी डाल दूँगी!
 
फिर मैं वहाँ से हट कर वापस स्टोव के पास जाकर खड़ी हो गयी। मैंने नोटिस किया कि  उन लड़कों की नज़रें मेरा ही पीछा कर रही थीं। ऐसा लग रहा था कि ऊपर वाले ने उनकी खुशकिस्मती से अचानक जो ये हसीन मौका उन्हें बख्शा था उसका ये दोनों लड़के पूरी हद तक फायदा उठाना चाहते थे। अपनी हवस भरी नज़रों से दोनों मेरे खुबसूरत और हसीन जिस्म का मज़ा ले रहे थे। उनकी नज़रें खासतौर पे मेरे मम्मों और मेरी गाँड पे चिपकी हुई थीं। बगैर पेटिकोट के उस जालीदार लहंगे में से यकीनन मेरी टाँगें और मोटी गाँड उन्हें साफ नज़र आ रही थी।
 
उनमें से छोटा वाला फिर से बोला, अरे भाभी जी आपने चाय में चीनी तो बहुत थोड़ी डाली है क्या चीनी और मिलेगी?”
 
मेरे खयाल से चाय में चीनी तो सही थी लेकिन किसी भी बहाने से वो दोनों मुझे अपने करीब बुलाना चाहते थे जिससे उन्हें मेरे मम्मों का बेहतर नज़ारा मिल सके। बहरहाल मैं फिर भी चीनी लेकर उनके करीब गयी उनकी चाय के गिलासों में चीनी डालने के लिये झुकी। जैसे ही मैं झुकी वैसे ही चुनरी मेरे कंधे से फिसल गयी और मेरा एक मम्मा उनकी हवस भरी नज़रों के सामने पूरा नंगा हो गया। मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था और अचानक इस वाक़ये से मैं हैरान रह गयी लेकिन लड़कों के लिये तो अब बर्दाश्त से कुछ ज्यादा ही बाहर हो गया था। उन दोनों ने खड़े हो कर अचानक मुझे दोनों तरफ से दबोच लिया। बड़ा लड़का जो पहले मेरे मम्मों की तारीफ कर रहा था, वो इस मौके का फायदा उठाते हुए मेरे मम्मों को मसलते हुए मेरे निप्पल मरोड़ने लगा। मैंने बचाव के लिये दिखावा करते हुए चिल्लाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मेरा मुँह बंद कर दिया था और अपने अरमान पूरे करने लगे। मैं भी सिर्फ दिखावा ही कर रही थी क्योंकि हकीकत में तो मैं भी कहाँ उनकी गिरफ्त से छूटना चाहती थी।
 
छोटे लड़के ने अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और पीछे से मेरे चूतड़ों पर रगड़ने लगा। नेट के लहंगे के ऊपर से अपनी गाँड पे उसके लंड का एहसास बेहद मज़ेदार था। मेरे जिस्म में या यूँ कहूँ कि चूत में शोले भड़कने लगे। मैं नहीं जानती कि अंदर कमरे में से वो टाँगेवाला और ढाबेवाला ये नज़ारा देख रहे थे कि नहीं मगर मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि वो दोनों देख रहे हैं और ये खयाल मेरी मस्ती में और इज़ाफा कर रहा था कि मैं दो लड़कों के बीच जकड़ी हुई अपना जिस्म मसलवा रही हूँ और दो और मर्द मुझे ये सब करते देख रहे हैं। इस दौरान बड़े लड़के को मेरे मुँह से शराब की बदबू आ गयी और वो मेरे मम्मे मसलते हुए बोला, वाह भाभी जी! आपने तो शराब पी रखी है इसी लिये खुलकर जलवे दिखा रही थी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 22-07-2022, 11:33 PM



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