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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
दरवाज़े पर अचानक ज़ोर से दस्तक हुई और किसी ने ढाबेवाले को आवाज़ दी। इस तरह अचानक किसी के आने से मैं हैरान हो गयी और ढाबेवाले से पूछा रात को इस वक्त उसे कौन बुला रहा है। वो बोला कि शायद चाय पीने के लिये कोई गाहक आया होगा। उसने अपनी धोती ठीक की और मुझे ज़रा इंतज़ार करने को बोला। फिर जाकर उसने थोड़ा सा दरवाजा खोला और अपने गाहक से पूछा कि उसे क्या चाहिये। ढाबेवाला का अंदाज़ा सही था। बाहर दो लोग खड़े थे और उन्हें चाय ही चाहिये थी। ढाबेवाले ने साफ मना कर दिया कि ढाबा बंद हो चुका है और इस वक्त उन्हें चाय नहीं मिल सकती। लेकिन वो उससे बार-बार इल्तज़ा करने लगे कि बाहर ठंड-सी हो रही है और चाय के लिये आसपस और कोई दुकान भी नहीं है।

 
अचानक टाँगेवाला जो ये सब सुन रहा था, उसने अपने दोस्त को अंदर बुलाया और उसे धीरे से कुछ कहा जो मैं सुन नहीं सकी। मैं तो वैसे भी अपने मज़े में इस बे-वक्त खलल पड़ने से बेहद झल्ला गयी थी और पव्वे में बचे हुए ठर्रे की चुस्कियाँ ले रही थी। टाँगेवाले की बात सुनकर वो ढाबेवाला फिर बाहर गया और अपने गाहकों से बोला कि जब तक उसकी बीवी (?) चाय बनाती है वो लोग कुछ देर इंतज़ार करें।
 
मैं हैरान थी कि ये उसकी बीवी कहाँ से आ गयी लेकिन तभी जब टाँगेवाले ने मुझे उन बेचारे गाहकों के लिये चाय बनाने को कहा तो मैं समझी। मैं ये करने के लिये तैयार तो नहीं थी और मुझे देसी शराब की खुमारी भी अब पहले जयादा हो गयी थी लेकिन मुझे मालूम था कि उसकी बात मानने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं था। मैंने शराब के पव्वे को खाली करते हुए आखिरी घूँट पीया और पहनने के लिये अपनी चोली उठायी लेकिन टाँगेवाले ने इशारे से मुझे वो चोली पहनने को रोकते हुए सिर्फ लहंगा और चुनरी पहन कर बाहर जाके चाय बनाने को कहा। पहले मैंने ज़रा सी हिचकिचाहट ज़ाहिर की लेकिन दो-दो लौड़ों से मस्ती भरी चुदाई का मंज़र दिखा कर टाँगेवाले ने मुझे राज़ी कर लिया। वैसे भी मेरे लिये तो अपने जिस्म की नुमाईश का ये बेहतरीन मौका था। मैं तो बस इसलिये नराज़ थी कि वो दो कमीने इस वक्त कहाँ से अचानक टपक पड़े थे और मेरा सारा मज़ा किरकिरा हो गया था। खैर मुस्कुराते हुए मैंने बगैर स्लिप (पेटीकोट) के ही अपना झलकदार लहंगा पहना और उससे भी ज्यादा झलकदार चुनरी से अपने मम्मे ढके। इतने में ढाबेवाला कमरे में वापस आ गया और मैं वैसे ही बाहर बैठे उन दो कमीनों के लिये चाय बनाने बाहर निकली। वैसे मैं नशे में बहुत ज्यादा धुत्त तो नहीं थी लेकिन फिर भी इतनी मदहोश तो थी ही कि हाई हील के सैंडलों में मुझे अपने कदम थोड़े डगमगाते से महसूस हो रहे थे।
[Image: sareess82-K.jpg]
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 22-07-2022, 11:32 PM



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