20-07-2022, 12:26 AM
मस्ती में मैं भी खुद पे और काबू नहीं रख सकी और अपने जिस्म की तमाम आग और गर्मी अपनी चूत में दागने लगी। “हाय अल्लाहऽऽऽ… अब मेरा काम तो हो गया है मेरा तो पानी छूट गया… ऊऊऊहहहऽऽऽऽ मेरे खुदाऽऽऽऽ अब जल्दी कर तू भी!” जब उसे एहसास हुआ कि मेरा इखराज़ हो गया है तो उसने भी चोदने की रफ्तार तेज़ कर दी और चिल्लाते हुए बोला, “साली कुत्तिया… ले अब तो तेरा दिल भर गया ना… ले… अब मैं भी अपना पानी छोड़ता हूँ… हाऽऽऽऽ ओहहऽऽऽऽऽ हायऽऽऽ मेरी रानी… आहहहऽऽऽ मज़ा आ गयाऽऽऽऽ!” फिर उसने मेरी चूत में अपना गाढ़ा माल छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे कि अचानक मेरी चूत गरम पिघलते हुए लावा से भर गयी है। मुकम्मल तमानियत का एहसास था। ज़िंदगी में पहली दफा चुदाई में इस कदर तसल्ली महसूस की थी मैंने। कुछ वक्त के लिये मैं ऐसे ही पड़ी रही। अपनी भीगी और टपकती चूत को साफ करने के लिये उठने की भी ताकत नहीं थी मुझमें। मैं तो बस चुदाई के बाद के सुरूर के एहसास का मज़ा ले रही थी। ऐसे ही पड़े हुए मुझे पाँच मिनट हुए थे जब किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी।
टाँगेवाला बोला, “लगता है कि मेरा दोस्त… वही ढाबेवाला… बाहर खड़ा अपना लंड हिला रहा था और उससे अब और इंतज़ार नहीं हो रहा है… आने दो… उस बेचारे को भी बुला लेते हैं और तुझे भी अब अपने वादे के मुताबिक उस ढाबेवाले से चुदाना पड़ेगा… तो फिर साली… तू तैयार है ना हम दोनों का लंड एक साथ खाने के लिये?”
“हाँ बहनचोद! अब जो वादा किया है वो तो निभाना ही पड़ेगा ना… लेकिन एक बार मुझे अपने आपको ज़रा ढक तो लेने दे… नहीं तो पता नहीं तेरा दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेगा!” ये कहते हुए मैं अपनी चोली पहनने के लिये उठी तो टाँगे वाला मुझे चोली पहनने से रोकते हुए बोला, “अब कपड़े पहनने से क्या फायदा फिर पाँच मिनट के बाद तो खोलने ही हैं तो क्यों ये तकलीफ दे रही है अपने आप को… अगर ढकना ही है तो अपनी चुनरी से ढक ले!”
मुझे भी उसका मशवारा पसंद आया और तमाम कपड़े पहनने के बजाय मैंने चुनरी से खुद को ढक लिया और बगैर स्लिप (पेटीकोट) के अपना लहंगा पहन कर ढाबेवाले के लिये दरवाज़ा खोला। मैंने जब दरवाज़ा खोला तो टाँगेवाले का दोस्त मेरे जिस्म को मुँह खोले और आँखें फाड़े ऐसे देखता रह गया जैसे कि उसने ज़िंदगी पहले कोई औरत ना देखी हो। टाँगेवाले ने अपने दोस्त को अंदर बुलाया और बोला, “अबे चुतिये! इस तरह से क्या देख रहा है… ये कुत्तिया तो अब पूरी की पूरी हमारी ही है! इसे हम जिस तरह से भी चाहें चोद सकते हैं… गाँड मार सकते हैं… और… और जो कुछ भी करना चाहें कर सकते हैं… ये हमें ना नहीं बोल सकती। ले तेरे को इसके मम्मे दबाने हैं तो जा… बिंदास होकर इसके मम्मों को जी भर के दबा… ये तुझे कुछ भी नहीं बोलेगी… क्यों राँड… करेगी ना सब कुछ?”
टाँगेवाला बोला, “लगता है कि मेरा दोस्त… वही ढाबेवाला… बाहर खड़ा अपना लंड हिला रहा था और उससे अब और इंतज़ार नहीं हो रहा है… आने दो… उस बेचारे को भी बुला लेते हैं और तुझे भी अब अपने वादे के मुताबिक उस ढाबेवाले से चुदाना पड़ेगा… तो फिर साली… तू तैयार है ना हम दोनों का लंड एक साथ खाने के लिये?”
“हाँ बहनचोद! अब जो वादा किया है वो तो निभाना ही पड़ेगा ना… लेकिन एक बार मुझे अपने आपको ज़रा ढक तो लेने दे… नहीं तो पता नहीं तेरा दोस्त मेरे बारे में क्या सोचेगा!” ये कहते हुए मैं अपनी चोली पहनने के लिये उठी तो टाँगे वाला मुझे चोली पहनने से रोकते हुए बोला, “अब कपड़े पहनने से क्या फायदा फिर पाँच मिनट के बाद तो खोलने ही हैं तो क्यों ये तकलीफ दे रही है अपने आप को… अगर ढकना ही है तो अपनी चुनरी से ढक ले!”
मुझे भी उसका मशवारा पसंद आया और तमाम कपड़े पहनने के बजाय मैंने चुनरी से खुद को ढक लिया और बगैर स्लिप (पेटीकोट) के अपना लहंगा पहन कर ढाबेवाले के लिये दरवाज़ा खोला। मैंने जब दरवाज़ा खोला तो टाँगेवाले का दोस्त मेरे जिस्म को मुँह खोले और आँखें फाड़े ऐसे देखता रह गया जैसे कि उसने ज़िंदगी पहले कोई औरत ना देखी हो। टाँगेवाले ने अपने दोस्त को अंदर बुलाया और बोला, “अबे चुतिये! इस तरह से क्या देख रहा है… ये कुत्तिया तो अब पूरी की पूरी हमारी ही है! इसे हम जिस तरह से भी चाहें चोद सकते हैं… गाँड मार सकते हैं… और… और जो कुछ भी करना चाहें कर सकते हैं… ये हमें ना नहीं बोल सकती। ले तेरे को इसके मम्मे दबाने हैं तो जा… बिंदास होकर इसके मम्मों को जी भर के दबा… ये तुझे कुछ भी नहीं बोलेगी… क्यों राँड… करेगी ना सब कुछ?”