12-07-2022, 11:57 PM
इस दौरान मेरी सास ने शायद टाँगेवाले का कराहना सुन लिया था और उसने पूछा, “क्या हुआ? कौन गया? अरे भाई टाँगेवाले… तुम्हें क्या हुआ है?”
“माता जी ये मेरा घोड़ा बेचारा बहुत थक गया है… इसे थोड़ी देर आराम करना है… इसलिये हम… यहाँ एक ढाबा है… वहीं पर थोड़ी देर रुक जाते हैं! आप लोग चाय पी लीजियेगा और मेरा घोड़ा थोड़ा चारा खा लेगा… नहीं तो ये घोड़ा यहीं पर दम तोड़ देगा!” टाँगेवाले ने कहा। फिर वो मेरे निप्पलों से टपकती अपने लंड की मलाई देख कर धीरे से फुसफुसाया, “मेमसाब ज़रा अपने मम्मों पर पर्दा डाल लीजिये… हम ढाबे तक पहुँचने ही वाले हैं!”
मुझे कुछ दूरी पर मद्धम सी रोश्नी नज़र आयी और मैं अपनी चोली के हुक लगाने लगी तो अचानक टाँगेवाले ने मुझे चोली के हुक लगाने से रोकते हुए ईशारा किया कि मैं अपने मम्मे बस चुनरी से ढक लूँ। मैंने भी चुनरी से ही अपने मम्मे ढक लिये और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए इस अंदाज़ में देखा जैसे की पूछ रही होऊँ कि यही चाहता था ना तू… अब तो खुश है? ऊसके चेहरे पर भी तसल्ली भरी मुस्कुराहट थी।
मेरी सास ने पूछा, “भैया यहाँ पर कितनी देर रुकेंगे?”
ढाबे पर टाँगा रोकते हुए वो बोला, “माता जी बस थोड़ी देर… इतने में आप लोग चाय पी लो… मैं अभी लेकर आया!” उसने मुझे भी उसके साथ आने का इशारा किया तो मैंने भी इशारे से ही उसे समझा दिया कि अभी नहीं… मैं बाद में आऊँगी!
टाँगेवाला ढाबे में चला गया और कुछ देर में दो गिलास चाय लेकर लौटा तो उसके साथ उसी की तरह दरमयानी उम्र का आदमी भी था। टाँगेवाले ने मुझसे इशारे से नींद की गोलियाँ माँगी तो मैंने अपने पर्स में से निकाल कर दे दीं। उसने वो गोलियाँ दो गिलासों में मिला दीं और एक गिलास मेरी सास को दिया और फिर मेरे देवर को उठाने लगा, “लो बबुआ! थोड़ी सी चाय ले लो… अभी हम थोड़ी देर यहाँ रुकेंगे!” हम पूरी तसल्ली कर लेना चाहते थे कि मेरा देवर भी हमारी ऐय्याशी के दौरान नींद से जाग कर मज़ा खराब ना कर दे। मैंने महसूस किया कि टाँगेवाले के साथ जो दूसरा शख्स आया था वो मेरे करीब-करीब नंगे मम्मों को हवसनाक नज़रों से देख रहा था। मुझे तो वैसे भी अपना जिस्म दिखाने का शौक था तो मैंने कोई एतराज़ नहीं किया लेकिन उसे मैंने ज्यादा बढ़ावा भी नहीं दिया। नींद की गोलियों का असर जानने के लिये करीब पाँच मिनट के बाद मैंने अपने देवर को नाम लेकर आवाज़ दी। जब उसने कोई आवाज़ नहीं दी तो मेरे होंठों पर मुस्कान फैल गयी। इसका मतलब दोनों फिर से गहरी नींद के आगोश में जा चुके थे और इस बार दो-तीन घंटे से पहले हिलने वाले नहीं थे।
फिर मैं टाँगे से उतरने लगी तो टाँगेवाला दौड़ कर मेरे पास आया और मदद के लिये अपना हाथ मुझे दिया, “मेमसाब! आराम से उतरिये… लो मेरे हाथ को पकड़ लो!” लेकिन उस बदमाश ने एक चालबज़ी कर दी और जैसे ही मैंने उसका हाथ थामा तो उसने चालाकी से दूसरे हाथ से मेरी चुनरी इस तरह खींच दी कि लगे कि गलती से ऐसा हो गया। उसकी इस हरकत से मेरे मम्मे उस दूसरे अजनबी की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगे हो गये। मेरे तने हुए निप्पल तो जैसे उस ललकार रहे थे। वैसे तो मैं ऐसे मौके खुद ही तलाशती रहती हूँ पर उस वक्त मैं नहीं चाहती थी कि वो अजनबी शख्स कोई गलत मतलब निकाले। मैं अपने मम्मों पर चूनरी वापस लेते हुए टाँगेवाले को थोड़ा गुस्से से बोली, “ज़रा एहतियात से हाथ लगाना था ना!” कमीनेपन से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर टाँगेवाला बोला, “अरे मेमसाब! इससे कैसी शरम… ये तो अपना ही आदमी है!” मेरे खुल्ले बर्ताव और नर्मी की वजह से वो टाँगेवाला धीरे-धीरे दिलेर होता जा रहा था।
“माता जी ये मेरा घोड़ा बेचारा बहुत थक गया है… इसे थोड़ी देर आराम करना है… इसलिये हम… यहाँ एक ढाबा है… वहीं पर थोड़ी देर रुक जाते हैं! आप लोग चाय पी लीजियेगा और मेरा घोड़ा थोड़ा चारा खा लेगा… नहीं तो ये घोड़ा यहीं पर दम तोड़ देगा!” टाँगेवाले ने कहा। फिर वो मेरे निप्पलों से टपकती अपने लंड की मलाई देख कर धीरे से फुसफुसाया, “मेमसाब ज़रा अपने मम्मों पर पर्दा डाल लीजिये… हम ढाबे तक पहुँचने ही वाले हैं!”
मुझे कुछ दूरी पर मद्धम सी रोश्नी नज़र आयी और मैं अपनी चोली के हुक लगाने लगी तो अचानक टाँगेवाले ने मुझे चोली के हुक लगाने से रोकते हुए ईशारा किया कि मैं अपने मम्मे बस चुनरी से ढक लूँ। मैंने भी चुनरी से ही अपने मम्मे ढक लिये और उसकी तरफ मुस्कुराते हुए इस अंदाज़ में देखा जैसे की पूछ रही होऊँ कि यही चाहता था ना तू… अब तो खुश है? ऊसके चेहरे पर भी तसल्ली भरी मुस्कुराहट थी।
मेरी सास ने पूछा, “भैया यहाँ पर कितनी देर रुकेंगे?”
ढाबे पर टाँगा रोकते हुए वो बोला, “माता जी बस थोड़ी देर… इतने में आप लोग चाय पी लो… मैं अभी लेकर आया!” उसने मुझे भी उसके साथ आने का इशारा किया तो मैंने भी इशारे से ही उसे समझा दिया कि अभी नहीं… मैं बाद में आऊँगी!
टाँगेवाला ढाबे में चला गया और कुछ देर में दो गिलास चाय लेकर लौटा तो उसके साथ उसी की तरह दरमयानी उम्र का आदमी भी था। टाँगेवाले ने मुझसे इशारे से नींद की गोलियाँ माँगी तो मैंने अपने पर्स में से निकाल कर दे दीं। उसने वो गोलियाँ दो गिलासों में मिला दीं और एक गिलास मेरी सास को दिया और फिर मेरे देवर को उठाने लगा, “लो बबुआ! थोड़ी सी चाय ले लो… अभी हम थोड़ी देर यहाँ रुकेंगे!” हम पूरी तसल्ली कर लेना चाहते थे कि मेरा देवर भी हमारी ऐय्याशी के दौरान नींद से जाग कर मज़ा खराब ना कर दे। मैंने महसूस किया कि टाँगेवाले के साथ जो दूसरा शख्स आया था वो मेरे करीब-करीब नंगे मम्मों को हवसनाक नज़रों से देख रहा था। मुझे तो वैसे भी अपना जिस्म दिखाने का शौक था तो मैंने कोई एतराज़ नहीं किया लेकिन उसे मैंने ज्यादा बढ़ावा भी नहीं दिया। नींद की गोलियों का असर जानने के लिये करीब पाँच मिनट के बाद मैंने अपने देवर को नाम लेकर आवाज़ दी। जब उसने कोई आवाज़ नहीं दी तो मेरे होंठों पर मुस्कान फैल गयी। इसका मतलब दोनों फिर से गहरी नींद के आगोश में जा चुके थे और इस बार दो-तीन घंटे से पहले हिलने वाले नहीं थे।
फिर मैं टाँगे से उतरने लगी तो टाँगेवाला दौड़ कर मेरे पास आया और मदद के लिये अपना हाथ मुझे दिया, “मेमसाब! आराम से उतरिये… लो मेरे हाथ को पकड़ लो!” लेकिन उस बदमाश ने एक चालबज़ी कर दी और जैसे ही मैंने उसका हाथ थामा तो उसने चालाकी से दूसरे हाथ से मेरी चुनरी इस तरह खींच दी कि लगे कि गलती से ऐसा हो गया। उसकी इस हरकत से मेरे मम्मे उस दूसरे अजनबी की नज़रों के सामने बिल्कुल नंगे हो गये। मेरे तने हुए निप्पल तो जैसे उस ललकार रहे थे। वैसे तो मैं ऐसे मौके खुद ही तलाशती रहती हूँ पर उस वक्त मैं नहीं चाहती थी कि वो अजनबी शख्स कोई गलत मतलब निकाले। मैं अपने मम्मों पर चूनरी वापस लेते हुए टाँगेवाले को थोड़ा गुस्से से बोली, “ज़रा एहतियात से हाथ लगाना था ना!” कमीनेपन से मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देख कर टाँगेवाला बोला, “अरे मेमसाब! इससे कैसी शरम… ये तो अपना ही आदमी है!” मेरे खुल्ले बर्ताव और नर्मी की वजह से वो टाँगेवाला धीरे-धीरे दिलेर होता जा रहा था।