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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
लेकिन मैंने उसे ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि मैं उसे थोड़ा और तड़पाना चाहती थी। मैं बोली, अरे पहले ऊपर का काम तो मुकम्मल कर लें! नीचे की बात बाद में सोचेंगे ना!

टाँगेवाला मेरे करीब-करीब नंगे मम्मों को देख रहा था जो चोली में से बाहर झाँक रहे थे। वैसे तो चोली का आखिरी हुक खोलना बाकी था लेकिन अमलन तौर पे तीसरे हुक का कोई फायदा नहीं था क्योंकि मेरे मम्मे तो झिनी चुनरी में से पूरे नंगे नुमाया हो ही रहे थे। टाँगेवाले से और सब्र नहीं हुआ और मेरे मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलने लगा। उसके मजबूत और खुरदरे हाथों के दबाव से मैं कंपकंपा गयी। मैं सोचने लगी कि जब इसके हाथों से मुझे इतनी लज़्ज़त मिल रही है तो अपने लंड से वो मुझे कितना मज़ा देगा।
 
फिर वो बोला, मेमसाब आप अपने मम्मों का दीदार हमें छलनी में से छान कर क्यों करा रही हैं ज़रा इस पर्दे को हटा दीजिये! वो मेरी चुनरी की तरफ इशारा कर रहा था लेकिन इस दिल्चस्प शायराना अंदाज़ में उसे अपनी ख्वाहिश का इज़हार करते देख मैं मुस्कुराये बिना नहीं रह सकी।
 
बरहाल उसकी गुज़ारिश मानते हुए मैं अपनी चोली का आखिरी हुक खोलते हुए बोली,तुम्हारी तमन्ना भी पूरी कर देते हैं लो अब तुम दिल भर के मेरे मम्मों से खेल लो पर तुम सिर्फ़ अपने बारे में ही सोचते रहोगे या हमारा भी कुछ ख्याल रखोगे?” मैं उसके बड़े लंड की तरफ देखते हुए बोली जो अब तक बेहद बड़ा हो चुका था और पहला मौका मिलते ही मेरी चूत फाड़ने के लिये तैयार था। मैं उस हैवान को हाथों में लेने के लिये इस कदर तड़प रही थी कि एक पल भी और इंतज़ार ना कर सकी और उसे अपनी लुंगी खोलने का भी मौका नहीं दिया और झपट कर उसका लौड़ा अपने हाथों में ले लिया।
 
ऊऊऊहहह मेरे खुदा! या अल्लाहऽऽ… वो इतना गरम था जैसे अभी तंदूर में से निकला हो! मुझे लगा जैसे मेरी हथेलियाँ उसपे चिपक गयी हों। मैं वो लौड़ा हाथों में दबान लगी जैसे कि मैं उसके कड़ेपन का मुआयना कर रही होऊँ। मेरी चूत भी उस लंड को लेने के लिये बिलबिला रही थी। उस पल मैंने फैसला किया कि जिस्म की सिर्फ नुमाईश और ये छेड़छाड़ और मसलना काफी हो गया… आज की रात तो मैं इस लौड़े से अपनी चूत की आग ठंडी करके रहुँगी। अब मैं उससे चुदवाये बगैर नहीं रह सकती थी। इस दौरान टाँगेवाला एक हाथ से मेरे मम्मों से खेलने में मसरूफ था। वो मेरे निप्पलों को मरोड़ रहा था और झुक कर उन्हें चूसने की कोशिश भी कर रहा था लेकिन टाँगे के हिचकोलों की वजह से ठीक से चूस नहीं पा रहा था। मैं उसके लण्ड को इतनी ज़ोर-ज़ोर से मसल रही थी जैसे कि ज़िंदगी में फिर दोबारा मुझे दूसरा लण्ड नसीब नहीं होगा। फिर कमीने लण्ड का ज़ुबानी एहतराम करने के लिये मैं उसे अपने मुँह में लेने के लिये झुक गयी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 12-07-2022, 11:53 PM



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