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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
मैं कहने ही वाली थी कि अपना या फिर…” लेकिन फिर जाने दिया। मैं उसकी दोहरे मतलब वाली बातें समझ रही थी कि हकीकत में वो ये कहना चाह रहा था कि मैं उसे अपनी चूत चोदने का एक मौका दे दूँ तो वो पूरी तरह मेरी दिलभर कर तसल्ली करवा देगा। उसे और तड़पाने के लिये मैं थोड़ा आगे को झुकते हुए बोली,सवारी क्या खाक करायेगा! मुझे तो लगता है कि तुम्हारा घोड़ा तो एकदम बुड्ढा हो गया है देखो कैसी मरियल चाल है इसकी!

टाँगेवाला बोला,वो तो मेरा घोड़ा मेरे काबू में है जब तक मैं इसे सिगनल नहीं दूँगा, ये उठेगा और भगेगा नहीं! ये कहते हुए वो लुंगी के ऊपर से ही खुल्लेआम अपना लौड़ा सहलाने लगा।
 
उसकी दोहरी मतलब वाली बातों से मेरी चुदास भड़क रही थी और ज्यादा मज़ा लेने के लिये मैं उसकी तरफ थोड़ा और खिसक गयी। अब मेरा एक मम्मा टाँगे के हिचकोलों के साथ उसके कंधे को छू रहा था। टाँगेवाले ने जब देखा कि मैं उसे पूरी शह दे रही हूँ तो वो अपनी कोहनी से मेरे मम्मों को दबाने लगा। मुझे तो इसमें कोई एतराज़ था ही नही लेकिन मैंने एक बार पीछे की सीट पर ये तहकीक करने के लिये नज़र डाली मेरी सास और देवर गहरी नींद सो तो रहे हैं। फिर मुझे अपने जिस्म के उससे सटने के असर का भी एहसास हुआ - टाँगेवाले का लंड ने लुंगी में खड़े होकर उसे तंबू की शकल दे दी थी।
 
मैंने हंसते हुए मज़ाक में उसे छेड़ा, अरे! तुम्हारा घोड़ा तो उठने लग गया!
 
अरे मेमसाब! इसे खाने का सामान दिखेगा तो बेचारा अपना मुँह तो खोलेगा ही ना आखिर कब तक भूखा रहेगा!
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-07-2022, 10:25 PM



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