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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
क्लास खत्म होने के बाद लैब थी और साइकोलोजी लैब में सभी को एक टेस्ट करने को दिया गया था। ख़ुशक़िस्मती से मेरी इंस्ट्रक्टर वही थी रुख़साना मैम। अलग-अलग साउंड प्रूफ़ केबिन में ये टेस्ट करना था। हम दोनों प्रैक्टिकल के लिये एक केबिन में अंदर घुसे। अंदर घुसते ही मुझे उसके बदन की सुंदर ख़ुशबू मदहोश करने लगी। हम दोनों आमने-सामने बैठे थे और बीच में एक टेबल थी। उन्होंने कहा, टेस्ट निकालो!तो मैं उन्हें देखता रहा। दो दफ़ा तलाक़शुदा मैडम पैंतीस साल के करीब होंगी पर खुद को बेहद मेंटेन कर रखा था। मेरा लंड फ़नफ़ना रहा था। सामने उनके चूंचे इतने भारी थे कि उनके कसे हुए लो-कट ब्लाऊज़ में से उछलकर बाहर आने को तैयार थे और लाल-लाल होंठों पर लिप ग्लॉस उन्हें चूत के अंदरुनी दीवारों की तरह पिंक बना रहा था। थोड़ी देर के लिये मैं कल्पना करता रहा कि ये कोई चूत ही है। उन्हें भी मेरे जज़्बातों का एहसास हो गया था की ये लड़का दिल ही दिल में उन्हें चोदने के ख़्वाब देख रहा है।


उनके हावभाव से वो भी बेकरार नज़र आ रही थी। टेबल के नीचे से उनकी उँची हील वाली सैंडल का सिरा सीधा मेरी जींस की जिप से लंड पे टकराया। मेरे को जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का झटका लगा। मैडम मुझे पहले ही दीवाना बना चुकी थी और मेरे पहले से तने हुए लंड का लहू तो वैसे भी गरम हो चुका था। सैंडल की रगड़ से लंड का लावा निकलने वाला था। रुख़साना मैडम अदा से मुस्कुराते हुए बोली सौरी!लेकिन अपना सैंडल मेरे लंड से दूर नहीं हटाया और हल्के-हल्के मेरा लंड रगड़ती रहीं। अब तक इतना तो मैं समझ ही गया थी की उनकी चूत भी गरम हो चुकी थी और जो कुछ भी इस राँड के बारे में सुना था वो सब सच था। उनके सैंडल की रगड़ से मेरा लंड बुरी तरह से अकड़ गया था। मेरी फ़्रस्ट्रेशन देखकर रुख़साना मैडम अंजान बनते हुए बोली, “क्या हुआ? चोट तो नहीं लगी!जबकि ये सब तो उन्होंने जान बूझ कर ही किया था। मैं भी ये मौका गंवाना नहीं चाहता था तो मैंने टेबल के नीचे हाथ लगा कर उनका पैर पकड़ लिया और सहलाते हुए जवाब दिया, नहीं नहीं मैममुझे नहीं लगी लेकिन आपके पैर में दर्द हो तो मसाज कर दूँ?” ये कहते हुए मैं साईड से उनके पैर और सैंडल के बीच में उंगली डाल कर उनका तलवा सहलाने लगा और उनके पैरों की उंगलियों के बीच अपने उंगलियों से गरमा गरम मसाज देने लगा।

हम दोनो ही एक दूसरे को चोदने की फ़िराक में थे और अंजान बन कर एकदूसरे को धोखा दे रहे थे। रुख़साना मैडम कुटिल मुस्कान के साथ रसभरी आवाज़ में बोली, पैर में नहीं लेकिन उपर तक़लीफ हो रही हैजरा सा उपर हाथ लगाओ ना!
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 06-07-2022, 10:11 PM



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