06-07-2022, 10:10 PM
सायकोलोजी लैब में बीएड मैडम को चोदा
लेखक: अन्जान
मेरी मैडम बेहद खूबसूरत दिलदरिया और गाँड समुंदर!! हाँ कुछ ऐसा ही कह सकता हूँ मैं अपनी बीएड की लेक्चरर रुख़साना मैडम के बारे में। खूबसूरत, सांवली, सलोनी, पावरोटी की तरह फ़ूली गाँड और पपीते के तरह मोटे चूंचे उनकी पर्सनालिटी को चार चाँद लगाते थे। मजेदार गुदाज हुस्नो शबाब की मल्लिका और कोयल के कंठ से फ़ूटती सेक्सी आवाज की तरह कूहूकने वाली रुख़साना मैडम को चोदने के लिये उनके छात्रों का मन हर सेमेस्टर में बेकरार रहता था। जब अपने बाल झटक के सामने वाले पर जादू कर के वो पलट के मुसकरा के चल देती, उनकी गाँडके गोले एक दूसरे पर चढते हुए सामने वाले पर सेक्स का कीचड़ उछालते मजाक उड़ाते और अगला आदमी हाथ में अपने लंड को पकड़ कर बैठ जाता। रुख़साना मैडम पैंतीस-छत्तीस साल की थी लेकिन पच्चीस-छब्बीस से ज्यादा की नहीं लगती थी। हमेशा फ़ैशनेबल कपड़ों के साथ सैंडल और एक्सेसरिज़ पहनती थी।
रुख़साना मैडम दो दफ़ा तलाक़शुदा थीं और उनकी ऐय्याशियों के किस्से भी आम थे की वो एक नंबर की चुदक्कड़ और लंडखोर औरत थी। उनकी ऐसी रेप्यूटेशन थी की वो उभयलिंगी (बॉयसेक्ज़ुअल) थीं और कईं मर्दों के अलावा औरतों के साथ भी उनके शारिरिक संबंध थे। रुख़साना मैडम के बारे में ये भी अफ़वाह थी कि गत वर्षों में कुछ छात्रों और छात्राओं के साथ भी उनके अवैध संबंध रहे हैं लेकिन वो हर किसी को घास नहीं डालती थी और काफी च्यूज़ी थीं।
मेरी उम्र बाईस साल थी और बीएड के दूसरे सेमेस्टर में सायकोलोजी की मेरी पहली क्लास थी और सामने अगले बेंच पर मैं बैठा हुआ था। जैसे ही रुख़साना मैम अंदर घुसीं सारे छात्र-छात्राएँ खड़े हो गये। खड़ा तो मैं भी होने वाला था लेकिन मुझसे पहले मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने तुरंत अपने हाथों से अपनी जींस को दबाया और हक्का बक्का रह गया जब देखा कि सामने खड़ी रुख़साना मैडम मेरी इस फ़्रस्ट्रेशन को देख कर मुस्करा रही है। मैंने किताब उठायी। अपनी जिप के आगे वाले हिस्से को ढका और धम्म से बेंच पर बैठ गया। वो साइकालोजी की टीचर थी। लेक्चर स्टार्ट हुआ और जैसे ही उन्होंने कहा, “सायकोलोजी मन का विज्ञान है…!” मैं समझ गया कि ये मेरे मन की बात तो जान ही गयी होंगी। मैं उन्हें एकटक देख रहा था और वो भी तिरछी नजरों से शायद मेरी हाइट को निहार रही थी जो छ: फ़ीट तीन इंच है और मेरा बदन भी कसरती है।