23-04-2022, 08:14 PM
पंद्रह मिनट बाद उठ कर बड़ी-मुश्किल से जैसे-तैसे हमने अपने कपड़े पहने क्योंकि नशे में कुछ सूझ नहीं रहा था। पहले से ही हम नशे में लड़खड़ाती यहाँ आयी थीं और अब तो हम दोनों मिलकर स्कॉच की आधी बोतल गटक चुकी थीं। कंधों पर अपने पर्स लटकाये और बाँहों में बाँहें डाले हम दोनों झूमती हुई नीचे आयीं। सशा के हाथ में करीब आधी भरी स्कॉच की बोतल भी थी। रिसेफ्शन पर वही औरत मौजूद थी। “डिड यू हैव अ गुड टाइम?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।
“येस द बेस्ट टाइम!” हम दोनों नशे में खिलखिलाती हुई बुलंद आवाज़ में बोलीं और बाहर सड़क पर आ गयीं। रात के करीब एक बज रहे थे लेकिन पिगाल डिस्ट्रिक्ट इलाके में इस वक्त भी पुरी रौनक थी। जगह-जगह नशे में झूमते आधे नंगे लोगों के झुँड या खुले आम चुमाचाटी करते लोग दिख जाते। ग्राहकों को उकसाती रंडियाँ और ज़िगोलो भी हर जगह मौजूद थे।
हमें मेट्रो स्टेशन जाना था लेकिन नशे में कुछ होश नहीं था कि हम जा कहाँ रही हैं। सिगरेट स्मोक करती हुई और बोतल से स्कॉच के सिप लेती हुई हम दोनों नशे में चूर और मस्ती में झूमती लड़खड़ाती और एक दूसरे को सहारा देती हुई पिगाल डिस्ट्रिक्ट की मेन रोड पर चली जा रही थीं। नशे में चूर हम दोनों बहकी- बहकी बातें करती हुई जोर-जोर से बे-वजह ही हंस रही थीं। ऐसे ही बीच-बीच में रुक कर एक दूसरे के होंठ चूम लेतीं या फिर खुलेआम दूसरे टॉप में हाथ डाल कर मम्मे भींच देती। इसी बीच में अचानक मुझे ज़ोर से पेशाब लगी तो सशा खिलखिला कर हंसते हुए बोली की पेशाब करना है तो वहीं खड़े-खड़े पेशाब कर लूँ। मुझसे भी रहा नहीं गया। पैंटी तो वैसे ही स्ट्रिप क्लब से ही नदारद थी। बेशर्मी से हंसते हुए एक दुकान के सामने ही खड़े-खड़े ही मैंने अपनी स्कर्ट उठा कर पेशाब की धार छोड़ दी। मेरी दोनों टाँगें, पैर और सैंडल बुरी तरह पेशाब में भीग गये और पेवमेंट पर नीचे मेरे पैरों के पास पेशाब फैल गया। सच कहूँ तो इस टुच्ची हरकत में भी मुझे बहद रोमाँच आया। मेरे बाद सशा ने भी अपनी स्कर्ट उठा कर पेशाब करना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल मेरे समने खड़ी थी और जानबूझ कर उसने पेशाब की धार मेरी टाँगों और मेरे पैरों पर भी छोड़ी।
“येस द बेस्ट टाइम!” हम दोनों नशे में खिलखिलाती हुई बुलंद आवाज़ में बोलीं और बाहर सड़क पर आ गयीं। रात के करीब एक बज रहे थे लेकिन पिगाल डिस्ट्रिक्ट इलाके में इस वक्त भी पुरी रौनक थी। जगह-जगह नशे में झूमते आधे नंगे लोगों के झुँड या खुले आम चुमाचाटी करते लोग दिख जाते। ग्राहकों को उकसाती रंडियाँ और ज़िगोलो भी हर जगह मौजूद थे।
हमें मेट्रो स्टेशन जाना था लेकिन नशे में कुछ होश नहीं था कि हम जा कहाँ रही हैं। सिगरेट स्मोक करती हुई और बोतल से स्कॉच के सिप लेती हुई हम दोनों नशे में चूर और मस्ती में झूमती लड़खड़ाती और एक दूसरे को सहारा देती हुई पिगाल डिस्ट्रिक्ट की मेन रोड पर चली जा रही थीं। नशे में चूर हम दोनों बहकी- बहकी बातें करती हुई जोर-जोर से बे-वजह ही हंस रही थीं। ऐसे ही बीच-बीच में रुक कर एक दूसरे के होंठ चूम लेतीं या फिर खुलेआम दूसरे टॉप में हाथ डाल कर मम्मे भींच देती। इसी बीच में अचानक मुझे ज़ोर से पेशाब लगी तो सशा खिलखिला कर हंसते हुए बोली की पेशाब करना है तो वहीं खड़े-खड़े पेशाब कर लूँ। मुझसे भी रहा नहीं गया। पैंटी तो वैसे ही स्ट्रिप क्लब से ही नदारद थी। बेशर्मी से हंसते हुए एक दुकान के सामने ही खड़े-खड़े ही मैंने अपनी स्कर्ट उठा कर पेशाब की धार छोड़ दी। मेरी दोनों टाँगें, पैर और सैंडल बुरी तरह पेशाब में भीग गये और पेवमेंट पर नीचे मेरे पैरों के पास पेशाब फैल गया। सच कहूँ तो इस टुच्ची हरकत में भी मुझे बहद रोमाँच आया। मेरे बाद सशा ने भी अपनी स्कर्ट उठा कर पेशाब करना शुरू कर दिया। वो बिल्कुल मेरे समने खड़ी थी और जानबूझ कर उसने पेशाब की धार मेरी टाँगों और मेरे पैरों पर भी छोड़ी।