23-04-2022, 08:11 PM
ब्लू-फिल्म अभी भी चल रही थी लेकिन हमारा ध्यान उसमें बिल्कुल भी नहीं था। हब्शियों से चुद रही औरतों की आँहें और चींखें जरूर हमारी मस्ती में इज़ाफा कर रही थीं। जब सशा वाला लौड़ा झड़ा तो उसकी हालत भी मेरे जैसी ही थी। उसका चेहरा, बाल, मम्मे वगैरह सभी वीर्य से बुरी तरह सन गये थे। मैं भी पीछे नहीं रही और उसके पास खिसक कर उसके चेहरे से वीर्य चाटने लगी। तभी मैंने महसूस किया कि सशा अपने मुँह में भरे वीर्य का जैसे कुल्ला सा कर रही है और अगले ही पल उसने अपने होंठ मेरे होठों से चिपकते हुए अपने मुँह का वीर्य मेरे मुँह में ट्रांसफर कर दिया।
अगले करीब आधे घंटे में इसी तरह तीन-तीन लौड़ों से वीर्य छुड़ा कर हम दोनों चुदैल औरतों ने जी भर कर वीर्य पीने के साथ-साथ वीर्य की गंदी होली खेली। जैसे ही एक लौड़े का झड़ना पूरा होता तो वो छेद में पीछे खींच लिया जाता और उसकी जगह नया लौड़ा हाज़िर हो जाता।
उसके बाद मैंने देखा कि सशा ने बटन दबा कर वो छेद बंद कर दिया और खड़ी होकर पीछे वाली दीवार में थोड़ा ऊँचे वाले ग्लोरी-होल का बटन दबा दिया। कुछ ही पलों में उस ग्लोरी-होल में से नया एक फुट लंबा और काला लौड़ा निकल आया। मैं समझ गयी कि सशा का इरादा उसे अपनी चूत में लेकर चोदने का था। सशा उस लौड़े पर थूक-थूक कर उसे मुठियाने लगी। मैं भी अब चुदने के लिये बेकरार थी। मैंने भी अपनी दीवार में उँचे वाले ग्लोरी-होल का शटर खोल दिया और मेरे लिये भी करीब एक फुट लंबा लौड़ा हाज़िर हो गया लेकिन ये बिल्कुल गोरा-चिट्टा लौड़ा था। सशा की तरह मैं भी उसे मुठियाने लगी।
इस दौरान सशा घूम कर दीवार से अपनी पिठ सटा कर खड़ी हो चुकी थी। उसने अपने आगे एक कुर्सी खींच ली थी और एक टाँग उठा कर अपना पैर उस पर रख कर अपने सेंडल की पेंसिल हील कुर्सी की गद्दी में गड़ा रखी थी। अपना वाला लौड़ा मुठियाते हुए मैं पीछे गर्दन घुमा कर देख रही थी कि सशा किस तरह लौड़ा अपनी चूत में ले रही है। दीवार से अपनी कमर और कुल्हे सटाते हुए वो थोड़ी आगे झुकी और अपनी टाँगों के बीच में हाथ डाल कर उस लौड़े को पकड़ कर उसका सुपाडा अपनी चूत पर टिकाते हुए अंदर घुसेड़ लिया। अपने सामने कुर्सी की बैक पर अपने दोनों हाथ टिका कर वो अपने चूतड़ दीवार पर पीछे ठोंकने लगी और वो लौड़ा उसकी चूत में अंदर बाहर खिसकने लगा। दीवार के पीछे मौजूद अन्जान आदमी भी धक्के मारते हुए सशा की मदद कर रह था। सशा सिसकते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।
अगले करीब आधे घंटे में इसी तरह तीन-तीन लौड़ों से वीर्य छुड़ा कर हम दोनों चुदैल औरतों ने जी भर कर वीर्य पीने के साथ-साथ वीर्य की गंदी होली खेली। जैसे ही एक लौड़े का झड़ना पूरा होता तो वो छेद में पीछे खींच लिया जाता और उसकी जगह नया लौड़ा हाज़िर हो जाता।
उसके बाद मैंने देखा कि सशा ने बटन दबा कर वो छेद बंद कर दिया और खड़ी होकर पीछे वाली दीवार में थोड़ा ऊँचे वाले ग्लोरी-होल का बटन दबा दिया। कुछ ही पलों में उस ग्लोरी-होल में से नया एक फुट लंबा और काला लौड़ा निकल आया। मैं समझ गयी कि सशा का इरादा उसे अपनी चूत में लेकर चोदने का था। सशा उस लौड़े पर थूक-थूक कर उसे मुठियाने लगी। मैं भी अब चुदने के लिये बेकरार थी। मैंने भी अपनी दीवार में उँचे वाले ग्लोरी-होल का शटर खोल दिया और मेरे लिये भी करीब एक फुट लंबा लौड़ा हाज़िर हो गया लेकिन ये बिल्कुल गोरा-चिट्टा लौड़ा था। सशा की तरह मैं भी उसे मुठियाने लगी।
इस दौरान सशा घूम कर दीवार से अपनी पिठ सटा कर खड़ी हो चुकी थी। उसने अपने आगे एक कुर्सी खींच ली थी और एक टाँग उठा कर अपना पैर उस पर रख कर अपने सेंडल की पेंसिल हील कुर्सी की गद्दी में गड़ा रखी थी। अपना वाला लौड़ा मुठियाते हुए मैं पीछे गर्दन घुमा कर देख रही थी कि सशा किस तरह लौड़ा अपनी चूत में ले रही है। दीवार से अपनी कमर और कुल्हे सटाते हुए वो थोड़ी आगे झुकी और अपनी टाँगों के बीच में हाथ डाल कर उस लौड़े को पकड़ कर उसका सुपाडा अपनी चूत पर टिकाते हुए अंदर घुसेड़ लिया। अपने सामने कुर्सी की बैक पर अपने दोनों हाथ टिका कर वो अपने चूतड़ दीवार पर पीछे ठोंकने लगी और वो लौड़ा उसकी चूत में अंदर बाहर खिसकने लगा। दीवार के पीछे मौजूद अन्जान आदमी भी धक्के मारते हुए सशा की मदद कर रह था। सशा सिसकते हुए मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगी।