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Misc. Erotica मैं हसीना गज़ब की
हम दोनों ने खुशी-खुशी चार सौ - चार सौ यूरो निकाल कर उसे दे दिये। मेरी हालत ऐसी थी कि इस वक्त चार सौ की जगह हज़ार यूरो भी देने पड़ते तो भी मैं सोचती नहीं। वैसे भी ससुर जी ने पैरिस आते ही मुझे शॉपिंग वगैरह के लिये चार हज़ार यूरो दे दिये थे और अब तक मैंने सिर्फ बारह सौ यूरो ही खर्च किये थे।


“योर केबिन इज़ ऑन सेकेंड फ्लोर! योर चॉइस ऑफ ड्रिंक्स विल बी इन द केबिन एंड इफ यू हैव एनी प्रॉब्लम... यू कैन कॉल मी फ्रॉम द फोन इन द केबिन! इंजॉय!” कहते हुए उस औरत ने हमें चाबी पकड़ा दी।

इंडियन रेलवे के फर्स्ट-क्लास कूपे जितना केबिन था। अंदर दो कुर्सियाँ और एक टेबल थी और दीवार पर बड़ा सा टीवी भी लगा था। नीचे रिसेप्शन पर सशा ने जो पसंद की थी वो स्कॉच की बोतल और चार ग्लास भी टेबल पर पहले से मौजूद थे। टेबल पर ही एक डब्बे में कंडोम के पैकेट भी रखे थे। सशा ने उन कंडोम के पैकेटों की तरफ इशारा करेते हुए कहा कि ग्लोरी-होल में से पेशेवर ज़िगोलो-मर्दों के लौड़ों को चूसते वक्त चाहे ना सही पर उनसे चुदवाते वक्त मैं कंडोम इस्तेमाल करना ना भूलूँ। साइड की दोनों दीवारों में अलग-अलग ऊँचाई पर कईं छेद थे। सभी छेद अभी बंद थे और हर छेद के पास एक बटन था। अपनी पसंद और जरूरत के हिसाब से हम जिस छेद का बटन दबायें, उसी छेद में से लौड़ा निकल कर हमारी खिदमद में हाज़िर हो जायेगा। पहला बटन दबाने के बाद ही हमारा एक घंटे का वक्त शुरू होना था इसलिये केबिन का दरवाज़ा लॉक करने के बाद सशा ने दो पैग बनाये और दो सिगरेट सुलगा कर केबिन की रोश्‍नी थोड़ी मद्दिम करके ब्लू-फिल्म ऑन कर दी।
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RE: मैं हसीना गज़ब की - by rohitkapoor - 23-04-2022, 08:09 PM



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