31-12-2021, 12:10 AM
(This post was last modified: 28-04-2022, 01:35 AM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
थोड़ी देर बाद रूबिना उठ कर बाथरूम में गयी। मैंने देखा कि चलते हुए नशे में रूबिना के कदम बीच-बीच में बहक रहे थे। उसने अभी भी ऊँची हील वाले सेंडल पहने हुए थे और नशे में डगमगाते हुए रूबिना के गुदाज़ चूतड़ बहुत ही कामुक ढंग से हिल रहे थे। ये देखकर मेरा लण्ड फिर तनने लगा था। जब वो बाथरूम से बाहर अयी तो मैं भी बाथरूम में जा कर थोड़ा प्रेश हुआ। बाथरूम से निकला तो रूबिना पैग बना रही थी। मैं अपना ग्लास लेकर सोफे पर बैठ गया और वो मेरी टाँगों के बीच में नीचे बैठ गयी। अचानक उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अपने व्हिस्की के ग्लास में डुबा दिया और फिर बाहर निकाल कर अपने मुँह में लिया। रूबिना इसी तरह मेरा लण्ड व्हिस्की में डुबा-डुबा कर चूसने लगी।
मेरा लण्ड फिर से पत्थर की तरह सख्त हो कर तन कर गया था। मैं बोला, “रूबिना, अब तुम फिर से घोड़ी बन जाओ!” रूबिना ने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और ज़मीन पर घोड़ी बन गयी। तब मैंने कहा, “रूबिना, अब मैं तुम्हारी गाँड मारुँगा!” रूबिना थोड़ा डरते हुए बोली, “लेकिन तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है!” मैं बोला, “तुम घबराओ मत... मैं आराम से करुँगा!” रूबिना अब काफी नशे में थी और मस्ती में चहकते हुए बोली, “ओके, तुम सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं बल्कि जानेमन हो, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है! चाहे जो करो... आज तुम्हारी रूबिना तुम्हारे लण्ड की ग़ुलाम है! मारो मेरी गाँड को, फाड़ दो इसे भी... मैं कितना भी चिल्लाऊँ... तुम रुकना मत.... अपनी रूबिना की गाँड बेदर्दी से पेलना!”
मैं उठ कर उसके पीछे आ गया और रूबिना की गाँड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। मेरा लण्ड तो पहले से ही रूबिना के थूक से सना हुआ था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर रूबिना की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को रूबिना की गाँड में घुसाने लगा। रूबिना ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से रूबिना की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया। रूबिना दर्द से अपना सर कुत्तिया की तरह इधर-उधर हिलाने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो रूबिना और भी ज़ोर-ज़ोर से चींखने-चिल्लाने लगी। मैं बोला, “रूबिना मेरी जान! अगर तुम ऐसे चिल्लाओगी तो कैसे काम बनेगा? अभी तो ये तीन इंच ही अंदर घुसा है!” रूबिना दर्द से चिल्लाते हुए ही बोली, “मेरे चिल्लाने कि तुम परवाह मत करो! घुसा दो अपने तमाम लण्ड को मेरी गाँड में... फाड़ डालो इसे!”
फिर मैंने रूबिना के मुँह पर एक हाथ रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर धक्के पर धक्का लगाते हुए अपने लण्ड को रूबिना के गाँड में घुसाने लगा। लण्ड रूबिना की गाँड में और गहराई तक घुसने लगा तो रूबिना दर्द के मारे छटपटाने लगी। मैं बोला, “शाबाश रूबिना! मेरा लण्ड अब तुम्हारी गाँड में करीब छः इंच तक घुस चुका है!” दर्द से रूबिना कि हालत अभी भी खराब हो रही थी। मैं पूरी ताकत से रूबिना की गाँड में लंड ठूँसने में लगा था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था। रूबिना की गाँड चौड़ी होती गयी और दर्द भी बढ़ता गया। गाँड में दर्द की वजह से रूबिना सिसकियाँ लेती रही। रूबिना के आँसू भी निकल आये पर रूबिना ने हिम्मत नहीं हारी। रूबिना की गाँड में अपना लण्ड पूरा घुसाने के बाद मैं रुक गया।
थोड़ी देर में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू कर दिया। अब मैं अपना आधा लण्ड बाहर निकालता और वापस एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी गाँड में अंदर तक घुसेड़ देता। हालांकि दर्द अभी खतम नहीं हुआ था पर फिर भी रूबिना अब अपनी गाँड मेरे हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिलाने लगी थी। अब मैं पुरी स्पिड से रूबीना को चोदने लगा। अब मैं अपना पुरा लण्ड बाहर निकालता और वापस तेजी के साथ अंदर घुसा देता। रूबिना को तो यकीन ही नहीं था कि इतना लंबा और मोटा लण्ड वो कभी अपनी गाँड में ले पायेगी।
मैं बहुत मज़े ले-ले कर रूबिना की गाँड मारने में लगा हुआ था। रूबिना भी और ज्यादा मस्त हो गयी थी और अपनी गाँड ढकेलते हुए बोली, “पेलो मुझे! मेरी गाँड फाड़ दो! अपनी रूबिना की गाँड चौड़ी कर दो! बेदर्दी से पेलो मुझे... मेरे जनू! मेरे बॉस!” मैं रूबिना की गाँड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता हुआ अपना लण्ड उसकी गाँड में गहराई तक घुसेड़-घुसेड़ कर पेलता रहा। वो भी कभी चींखती तो कभी सिसकती और कभी मुजे ज़ोर-ज़ोर से गाँड पेलने को कहती और फिर चींखने लगती। थोड़ी देर में मैं रूबिना की गाँड में ही झड़ गया और हम दोनों दोने ज़मीन पर ही लेट गये। दोनों की साँसें फूली हुई थीं। बीस पच्चीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं रूबिना को अपनी बांहों में सहरा दे कर बेडरूम में ले गया और हम दोनों बिस्तर पे लेट कर सो गये।
अगले दिन सुबह रूबिना बहुत खुश थी और मैंने भी एक हफ़्ते के अंदर उसका प्रमोशन करा दिया। रूबिना तो मेरे लण्ड की दीवानी बन गयी थी और मैं जब तक लखनऊ में रहा हर रात रूबिना के घर पर उसकी चुदाई करने में गुज़ारी।
मेरा लण्ड फिर से पत्थर की तरह सख्त हो कर तन कर गया था। मैं बोला, “रूबिना, अब तुम फिर से घोड़ी बन जाओ!” रूबिना ने जल्दी से अपना गिलास खाली किया और ज़मीन पर घोड़ी बन गयी। तब मैंने कहा, “रूबिना, अब मैं तुम्हारी गाँड मारुँगा!” रूबिना थोड़ा डरते हुए बोली, “लेकिन तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा है!” मैं बोला, “तुम घबराओ मत... मैं आराम से करुँगा!” रूबिना अब काफी नशे में थी और मस्ती में चहकते हुए बोली, “ओके, तुम सिर्फ मेरे बॉस ही नहीं बल्कि जानेमन हो, मेरा सब कुछ तुम्हारा ही तो है! चाहे जो करो... आज तुम्हारी रूबिना तुम्हारे लण्ड की ग़ुलाम है! मारो मेरी गाँड को, फाड़ दो इसे भी... मैं कितना भी चिल्लाऊँ... तुम रुकना मत.... अपनी रूबिना की गाँड बेदर्दी से पेलना!”
मैं उठ कर उसके पीछे आ गया और रूबिना की गाँड के छेद पर ढेर सारा थूक लगा दिया। मेरा लण्ड तो पहले से ही रूबिना के थूक से सना हुआ था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद पर अपने लण्ड की टोपी रखकर रूबिना की कमर को पकड़ लिया और धीरे-धीरे अपने लण्ड को रूबिना की गाँड में घुसाने लगा। रूबिना ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी। अभी तक लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा ही घुस पाया था। फिर मैंने रूबिना की गाँड के छेद को हाथों से फैलाया और फिर से रूबिना की कमर पकड़ कर एक धक्का दिया। रूबिना दर्द से अपना सर कुत्तिया की तरह इधर-उधर हिलाने लगी। मैंने थोड़ा ज़ोर और लगाया तो रूबिना और भी ज़ोर-ज़ोर से चींखने-चिल्लाने लगी। मैं बोला, “रूबिना मेरी जान! अगर तुम ऐसे चिल्लाओगी तो कैसे काम बनेगा? अभी तो ये तीन इंच ही अंदर घुसा है!” रूबिना दर्द से चिल्लाते हुए ही बोली, “मेरे चिल्लाने कि तुम परवाह मत करो! घुसा दो अपने तमाम लण्ड को मेरी गाँड में... फाड़ डालो इसे!”
फिर मैंने रूबिना के मुँह पर एक हाथ रख दिया और उसकी कमर को पकड़ कर धक्के पर धक्का लगाते हुए अपने लण्ड को रूबिना के गाँड में घुसाने लगा। लण्ड रूबिना की गाँड में और गहराई तक घुसने लगा तो रूबिना दर्द के मारे छटपटाने लगी। मैं बोला, “शाबाश रूबिना! मेरा लण्ड अब तुम्हारी गाँड में करीब छः इंच तक घुस चुका है!” दर्द से रूबिना कि हालत अभी भी खराब हो रही थी। मैं पूरी ताकत से रूबिना की गाँड में लंड ठूँसने में लगा था और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे था। रूबिना की गाँड चौड़ी होती गयी और दर्द भी बढ़ता गया। गाँड में दर्द की वजह से रूबिना सिसकियाँ लेती रही। रूबिना के आँसू भी निकल आये पर रूबिना ने हिम्मत नहीं हारी। रूबिना की गाँड में अपना लण्ड पूरा घुसाने के बाद मैं रुक गया।
थोड़ी देर में दर्द धीरे-धीरे कम हो गया तो मैंने फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू कर दिया। अब मैं अपना आधा लण्ड बाहर निकालता और वापस एक ही धक्के में पूरा लण्ड उसकी गाँड में अंदर तक घुसेड़ देता। हालांकि दर्द अभी खतम नहीं हुआ था पर फिर भी रूबिना अब अपनी गाँड मेरे हर धक्के के साथ आगे-पीछे हिलाने लगी थी। अब मैं पुरी स्पिड से रूबीना को चोदने लगा। अब मैं अपना पुरा लण्ड बाहर निकालता और वापस तेजी के साथ अंदर घुसा देता। रूबिना को तो यकीन ही नहीं था कि इतना लंबा और मोटा लण्ड वो कभी अपनी गाँड में ले पायेगी।
मैं बहुत मज़े ले-ले कर रूबिना की गाँड मारने में लगा हुआ था। रूबिना भी और ज्यादा मस्त हो गयी थी और अपनी गाँड ढकेलते हुए बोली, “पेलो मुझे! मेरी गाँड फाड़ दो! अपनी रूबिना की गाँड चौड़ी कर दो! बेदर्दी से पेलो मुझे... मेरे जनू! मेरे बॉस!” मैं रूबिना की गाँड पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारता हुआ अपना लण्ड उसकी गाँड में गहराई तक घुसेड़-घुसेड़ कर पेलता रहा। वो भी कभी चींखती तो कभी सिसकती और कभी मुजे ज़ोर-ज़ोर से गाँड पेलने को कहती और फिर चींखने लगती। थोड़ी देर में मैं रूबिना की गाँड में ही झड़ गया और हम दोनों दोने ज़मीन पर ही लेट गये। दोनों की साँसें फूली हुई थीं। बीस पच्चीस मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैं रूबिना को अपनी बांहों में सहरा दे कर बेडरूम में ले गया और हम दोनों बिस्तर पे लेट कर सो गये।
अगले दिन सुबह रूबिना बहुत खुश थी और मैंने भी एक हफ़्ते के अंदर उसका प्रमोशन करा दिया। रूबिना तो मेरे लण्ड की दीवानी बन गयी थी और मैं जब तक लखनऊ में रहा हर रात रूबिना के घर पर उसकी चुदाई करने में गुज़ारी।