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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
फिर मैंने एक तकिया लिया और रूबिना की गाँड उठा कर उसकी गाँड के नीचे रख दिया। अब रूबिना की चूत थोड़ा और ऊपर हो गयी। मैं रूबिना के ऊपर झुक गया और रूबिना के होंठों को अपने मुँह में ले लिया। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा एक बार फिर उसकी चूत के मुहाने पर रख कर एक जोरदार धक्का मारा। रूबिना की चींख निकलते-निकलते रह गयी क्योंकि मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबा रखा था। रूबिना दर्द से कराह उठी तो मैं रुक गया। रूबिना के शौहर का लण्ड छोटा था और उसकी चूत का छेद छोटे लण्ड के लिये ही मुनासिब था।
 
मेरा आधा लण्ड घुस चुका था। दो-तीन मिनट तक मैं उसके ऊपर बिना हिलेडुले लेटा रहा। फिर मैंने धीरे-धीरे लण्ड को अंदर बाहर करना शुरू किया। रूबिना अभी भी दर्द से कराह रही थी। अचानक मैंने एक जोरदार धक्का दिया तो मेरा लण्ड सरसराता हुआ रूबिना की चूत में और ज्यादा अंदर तक घुस गया। रूबिना चिल्लाते हुए रुकने के लिये कहने लगी लेकिन मैं नहीं रुका और रूबिना को तेजी से चोदने लगा। बिजली की तरह मेरा लण्ड रूबिना की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। जैसे ही रूबिना की चींख कुछ कम होती मैं एक धक्का ज़ोर से लगा देता था और रूबिना फिर चींख पड़ती थी। कुछ देर तक मैं इसी तरह चोदता रहा। धीरे-धीरे मेरा पूरा लण्ड रूबिना की चूत की गहराई तक जगह बना चुका था और तेजी के साथ अंदर-बाहर हो रहा था। रूबिना दर्द से तड़प रही थी। आठ-दस मिनट के बाद रूबिना को भी मज़ा आने लगा। उसने अपने हाथ मेरी कमर पर कैंची की तरह कस दिये और अपनी गाँड उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी। मैं बोलाशाबाश जानेमन! अब तो तुम्हें भी चुदवाने में मज़ा आ रहा है! मैं उसको लगभग पंद्रह-बीस मिनट तक चोदता रहा। इस दौरान रूबिना तीन-चार बार झड़ चुकी थी लेकिन मेरा लण्ड था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
 
अब मैं रूबिना के ऊपर से हट गया और उसको घोड़ी की तरह बन जाने को कहा। रूबिना उठ कर ज़मीन पर आ गयी और घोड़ी की तरह हो गयी। मैंने उसकी कमर पकड़ कर अपना लण्ड पीछे से रूबिना की चूत में डाल दिया। रूबिना फिर दर्द से कराहने लगी पर कुछ ही देर में रूबिना का दर्द कम हो गया और रूबिना को मज़ा आने लगा। रूबिना अब अपनी गाँड को पीछे ढकेल-ढकेल कर ताल से ताल मिला रही थी। दस-पंद्रह मिनट के बाद मैं रूबिना की चूत में ही झड़ गया और अपना लण्ड रूबिना की चूत से बाहर निकाल कर रूबिना के मुँह में दे दिया। रूबिना ने मेरे लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ किया और हम दोनों साथ साथ ही ज़मीन पर ही लेट गये।
 
फिर हम दोनों ने नंगे ही खाना खाया और खाना खाने के बाद हम फिर शराब पी रहे थे तो मैंने रूबिना से कहारूबिनाऔर मज़ा दोगी?” रूबिना नशे में थी। उसने मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया और बोलीमज़ा दूँगी भी और लूटुँगी भी! फिर रूबिना ने मेरा लण्डजोकि फिर खड़ा हो गया था,  अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने अपनी बीच की मोटी उंगली रूबिना की चूत में घुसा दी। उफ़्फ़....! रूबिना तड़प उठी। मेरी उंगली रूबिना की चूत में अंदर बाहर होने लगी। रूबिना को भी मज़ा आने लगा और रूबिना मेरा लण्ड चूसते हुए आहें भरने लगी।

फिर मैंने रूबिना के मुँह में से अपना लण्ड निकाला और उसे लेटने को कहा। मैं भी उठा और रूबिना की टाँगों के बीच में आ गया। उसके पैर उठा कर अपने कंधों पर रख लिये। मेरा तना हुआ लण्ड रूबिना की चूत से केवल एक इंच की ही दूरी पर था। फिर मैंने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा,  चोदूँमेरी रानी?” रूबिना ने अपना सर हाँ में हिला दिया और अपनी गाँड आगे ढकेलते हुए अपनी चूत मेरे लण्ड से सटा दी और बोलीधीरे-धीरे चोदना प्लीज़! बहुत दर्द होता है... बहुत ही बड़ा है तुम्हारा! फिर मैंने उसकी चूची को पकड़ा और निप्पलों को मसलते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसाने लगा। अभी तक मैंने हल्का सा धक्का मारा था लेकिन आधा लण्ड रूबिना की चूत में घुस चुका था। रूबिना की चूचियों को दबाते हुए और दोनों निप्पलों को खींचते हुए मैं बोलाएक बार में पुरा अंदर लोगी?” रूबिना तो एक दम जोश और नशे में थी और उसने दर्द की परवाह ना करते हुए कहा, “हाँ जानू! फिर मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। इससे पहले कि रूबिना कुछ समझ पाती कि एक ही धक्के में मैंने अपना पूरा लण्ड वापस रूबिना की चूत में गहराई तक घुसा दिया। रूबिना अपनी चींख बड़ी मुश्किल से रोक पायी।

कुछ देर बाद मैंने रूबिना को तेजी से चोदना शुरू कर दिया। रूबिना के सैंडल मेरे हर धक्के के साथ मेरी गर्दन के पास थपथपाते थे जिससे मुझे और जोश आने लगा और मैं रूबिना को और तेजी के साथ चोदने लगा। मेरे हाथ अभी भी रूबिना की चूचियों और निप्पलों को मसल रहे थे और रूबिना को दर्द हो रहा था लेकिन उसे फिर भी मज़ा आ रहा था क्योंकि आज दो साल बाद कोई उसकी चूत की प्यास को बुझा रहा था वो भी इतने मोटे तगड़े लण्ड से। थोड़ी देर बाद मैंने रूबिना के पैरों को अपने कंधों से उठाया और रूबिना की टाँगें पीछे मोड़कर उसके कंधों की तरफ़ झुका दीं। अब रूबिना एक दम दोहरी हो गयी और रूबिना की चूत और ऊपर उठ आयी। फिर आगे होकर मैंने उसके पैरों के पास उसकी टाँगों को पकड़ कर बहुत ही तेजी के साथ रूबिना की चुदाई करनी शुरू कर दी। मुझे मेरे लण्ड के सुपाड़े पर उसकी बच्चेदानी का मुँह महसूस होने लगा था। रूबिना और भी जोश में आ गयी और अपनी आँखें बंद कर लीं। रूबिना के मुँह से केवल मस्ती भरी आवाज़ें निकल रही थी,  हाय मेरे जानू! ऐसे ही और कस-कस कर जोर से चोदो... और जोर से चोदो... फाड़ दो मेरी चूत को!

मेरे चेहरे का पसीना रूबिना की चूचियों पर टपक रहा था लेकिन लण्ड रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। रूबिना अब तक दो-तीन बार झड़ चुकी थी। कुछ ही देर में मेरे लण्ड ने फिर उसकी चूत में पानी छोड़ दिया था। मैं ऐसे ही थोड़ी देर रूबिना के ऊपर पड़ा रहा और रूबिना मुझे चूमती रही। फिर मैं रूबिना के ऊपर से हट कर उसके बगल में लेट गया।

 
थोड़ी देर बाद रूबिना ने मेरे मुर्झाये हुए लण्ड को अपने हाथों में लिया और अपने होंठों को दाँत से काटते हुए बोलीअगर बुरा ना मानो तो मैं तुम्हारे लण्ड को फिर से चूसना चाहती हूँप्लीज़!!! मैं बोलाइसमें इजाज़त की क्या बात है... ये लण्ड तो अब सिर्फ़ तुम्हारा ही है! रूबिना मेरे पैरों के बीच में आकर बैठ गयी और दोनों हाथों से लण्ड को पकड़ कर लण्ड के सुपाड़े पर धीरे से किस किया। रूबिना ने मेरी तरफ़ देख कर आँख मारी और वापस अपने होंठ मेरे लण्ड पर रख दिये। लण्ड को पकड़ कर चूसते हुए रूबिना अपने मुँह को ऊपर-नीचे करने लगी और मेरा लण्ड बिल्कुल तन गया। फिर रूबिना उठ कर मेरे ऊपर आ गयी और अपने हाथ से लण्ड को पोज़िशन में करके अपनी चूत के बीच में सटा दिया और ऊपर से दबाव डालने लगी पर सिर्फ़ सुपाड़ा ही रूबिना की चूत में घुस पाया। उसने तरसती निगाहों से मेरी तरफ़ देखा। मैं उसका इशारा समझ गया। मैंने उसकी कमर को पकड़ कर ज़ोर से नीचे किया तो एक झटके से आधे से ज्यादा लण्ड रूबिना की चूत में घुस गया। अब रूबिना धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी और मैं रूबिना की कमर को पकड़े हुए था। रूबिना ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चुदाई का मज़ा लेने लगी। उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी और वो इतनी तेज़ हो गयी कि पता ही नहीं लगा कब दोनों झड़ गये। फिर हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लिपट कर लेट गये।
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RE: हिंदी की कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 31-12-2021, 12:09 AM



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