31-12-2021, 12:09 AM
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प्रमोशन की मजबूरी
लेखक: दीनू
मेरी उम्र छब्बीस साल है और मैं सरकारी दफ़्तर में ऑडिटिंग ऑफिसर हूँ और हमारे दफ़्तर की शाखायें पूरे देश में हैं और अक्सर मुझे काम के सिलसिले में दूसरे शहरों की शाखाओं में दो-तीन महीनों के लिये जाना पड़ता है। मैं शादीशुदा नहीं हूँ इसलिये मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं होती है।
एक बार मुझे काम के सिलसिले में तीन महीने के लिये लखनऊ शाखा जाना पड़ा। वहाँ के दफ़्तर में मेरी सहकरमी ‘रूबिना’ थी जो कि सीनियर क्लर्क थी। उसकी उम्र बत्तीस-तेत्तीस साल की थी और उसकी शादी को आठ साल हुए थे। उसके शौहर बहरीन में दो साल से सर्विस कर रहे थे। रूबिना बेहद खूबसूरत थी और उसका फिगर ३६-३०-३८ था। उसका भरा-भरा सा जिस्म बेहद सुडौल था और मैं तो उसके चूतड़ों पर बहुत फिदा था। वो जब ऊँची हील की सेंडल पहन कर चलती थी तो गाँड मटका-मटका कर चलती थी। रुबिना काफी बनठन कर दफ्तर आती थी। एक महीने में ही काम के दरमियाँ काफी घुलमिल गयी थी। वो मुझे ‘सर’ कह कर बुलाती थी क्योंकि वो मुझसे जुनियर थी। मैं भी उम्र में उससे छः-सात साल छोटा होने की वजह से उसे ‘रूबीना जी’ कह कर बुलाता था ।
एक बार बातों-बातों में उसने मुझसे रिक्वेस्ट की कि “सर! आप चाहें तो मेरा प्रमोशन हो सकता है... इसलिये आप हेड ऑफिस में मेरी सफारिश करेंगे तो मेरा प्रमोशन हो जायेगा और मैं इसके लिये कुछ दे भी सकती हूँ!” तब मैंने कहा, “आप क्या दे सकती हो?” तो वो कुटिल मुस्कान भरते हुए अदा के साथ बोली, “चाय पानी!” मैं भी हंस कर रह गया। उसके बाद से तो मैंने महसूस किया कि वो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और उसकी नज़रों में काम वासना की ललक नज़र आती थी। पहले मैं समझ नहीं सका कि वो ऐसे क्यों देखती है। फिर मुझे लगा कि या तो वो प्रमोशन के लिये ऐसा कर रही है या फिर दो साल से प्यासी होगी। रूबिना को देख केर अक्सर मेरा लण्ड भी पैंट में तंबू की तरह खड़ा हो जाता था।
एक दिन उसने मुझे डिनर के लिये अपने घर इन्वाइट किया। उस दिन शुक्रवार था तो ऑफिस से मैं उनके साथ ही उसके घर के लिये निकला। रास्ते में उसने व्हिस्की की बोतल खरीद ली और होटल में डिनर का ऑर्डर दे दिया। घर पहुँच कर उसने मुझे ड्राइंग रूम में बिठाया और खुद फ्रेश होने अंदर चली गयी। जब वो ऊँची हील की सैंडल खटखटाती हुई व्हिस्की की बोतल, सोडा, बर्फ और ग्लास वगैरह ले कर वापस आयी तो मैंने देखा कि रूबिना ने अपना मेक-अप दुरुस्त किया हुआ था और बदल कर दूसरा सलवार-सूट पहन लिया था।
उसने दो ग्लास में पैग बनाये तो मैंने चौंकते हुए पूछा, “रूबिना जी! आप भी ये शौक फरमाती हैं क्या?” वो अदा से हंसते हुए बोली, “क्यों औरतें शराब का मज़ा नहीं ले सकती क्या...?” और फिर एक ग्लास नुझे पकड़ाते हुए बोली, “अकेलापन दूर करने के लिये कभी-कभी पी लेती हूँ!” फिर हम दोनों व्हिस्की पीते हुए बातें करने लगे। जब हम दो-दो पैग पी चुके तो मैंने महसुस किया कि रूबिना कुछ ज्यादा ही खिलखिला कर हंस रही थी और बार-बार मुझे अजीब निगाहों से देखती थी और बातों-बातों में कभी-कभी आँख मार देती या अपने होंठों को अपने दाँतों से दबा लेती थी। मैं समझ गया कि वो आज गरम हो चुकी है और उसे नशा चढ़ने लगा है। उसकी हरकतों से मेरा लण्ड भी सख्त हो गया था।
वो मेरे सामने सोफे पर बैठी थी और जब वो अपने लिये एक और पैग बनाने उठी तो मैंने रूबिना का हाथ पकड़ कर उसको अपनी तरफ़ खींच लिया। उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया तो मैंने उठकर रूबिना को दीवार के सहारे खड़ा कर दिया और रूबिना के होंठों को चूमने और चूसने लगा। रूबिना एकदम पागल सी हो रही थी जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा हो। मैं रूबिना की ज़ुबान भी चूसे जा रहा था और मेरे हाथ रूबिना की कमर पर चल रहे थे। फिर मैं एक हाथ से रूबिना चूची दबने लगा तो रूबिना बेताब होने लगी। मैंने रूबिना के कान में कहा, “बहुत ज्यादा भूखी हो आप तो रुबिना जी!” रूबिना सिर्फ़, “सर....” ही कह सकी।
मेरा हाथ अब धीरे-धीरे रूबिना की सलवार के नाड़े पर आ गया और मैंने रूबिना को चूमते हुए एक झटके में ही सलवार के नाड़े को खोल दिया। रूबिना की लाल सलवार सरक कर नीचे उसके पैरों के पास ज़मीन पर गिर गयी। वो नीचे बिल्कुल नंगी थी। उसकी फूली हुई गोरी चूत बिल्कुल चिकनी थी और उस पर झाँटों का एक रेशा भी नहीं था। उसकी चूत बेहद गीली हो गयी थी। रूबिना ने मेरी पैंट में से लण्ड बाहर निकाल लिया और सहलाते हुए बोली, “हायऽऽऽऽ अल्लाहऽऽऽ काफी मोटा और लंबा है सर आपका ये!”
फिर मैं रूबिना की टाइट कमीज़ ऊपर की तरफ़ करने लगा तो रूबिना और जोश में आ गयी और रूबिना ने सहुलियत के लिये अपने हाथ ऊपर की तरफ़ कर दिये। मैंने उसकी कमीज़ उतार दी। कमीज़ उतारने के बाद पीछे से रूबिना की ब्रा का हुक खोल दिया और एक झटके से रूबिना की ब्रा को उतार कर फेंक दिया। अब वो बिल्कुल नंगी थी और ऊँची हील के सैंडल में बहुत ही सैक्सी लग रही थी।
फिर मैंने उसको दीवार की तरफ़ मुँह करके खड़ा किया और पीछे से उसकी चूचियों को दोनों हाथों में पकड़ लिया और मसलने लगा। जब मैंने उसके निप्पलों को मसलना शुरू किया तो रूबिना सिसकरियाँ भरने लगी। मैंने उसको दीवार के सहारे और दबा दिया। रूबिना की गाँड पर मेरा लण्ड सटा हुआ था और रूबिना के दोनों बूब्स मेरी मुठ्ठी में थे। मैं उंगली और अंगूठे से रूबिना के निप्प्लों को बेदर्दी से मसलने लगा। रूबिना तो जोश में एक दम जैसे पागल सी हो रही थी। दस मिनट बाद मैं रूबिना को पकड़ कर टेबल के पास ले गया और उसे टेबल पर बैठने को कहा। रूबिना टेबल पर बैठ गयी। अब मेरा मोटा और लंबा तना हुआ लण्ड रूबिना के सामने था। उसने तुरंत ही मेरा लण्ड हाथ में पकड़ा और सहलाने लगी। मैं बोला, “रानी, मुँह में लेकर चूसो इसको!” रूबिना लण्ड को पकड़ कर अपनी जीभ से चाटने लगी। थोड़ी ही देर बाद रूबिना ने लण्ड अपने मुँह में ले लिया और लण्ड के सुपाड़े को चूसने लगी। रूबिना भी जोश में अपने आपको काबू में नहीं रख पा रही थी और बोली, “जानू, प्लीज़ जल्दी कुछ करो ना! नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी!” फिर मैंने रूबिना की गाँड को टेबल के किनारे पर किया और उसकी सुडौल टाँगों के बीच आ कर खड़ा हो गया।
रूबिना टेबल पर आधी लेटी हुई थी। मैंने रूबिना की टाँगों को हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत के बीच में रख दिया। फिर एक झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया। रूबिना दर्द से चिल्ला उठी, “ऊऊईईई! अल्लाह!! मर जाऊँगी मैं! आहहह रुक जाओ जानू! प्लीज़ऽऽ!” रूबिना कराहने लगी तो मैं रुक गया और अपने लण्ड को रूबिना की चूत से बाहर निकल लिया।